उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर, प्रतापगढ़, इलाहाबाद, जौनपुर, फैजाबाद जैसे जिलों में आंवला ज्यादा होता है. वहां के गांवों में जब कोई मेहमान घर आता है तो उस का स्वागत आंवले के लड्डू और मुरब्बा से किया जाता है.
आंवले का लड्डू बनाने के लिए अच्छी किस्म के आंवले को ले कर कद्दूकस से उस का गूदा निकाल लिया जाता है. इस को चूने के पानी में डाल कर साफ कर लिया जाता है.
इस के बाद आंवले के गूदे को हलका उबाला जाता है. इस के बाद इस में बराबर मात्रा में चीनी मिलाई जाती है. इस के बाद देशी घी, छोटी इलायची और शहद मिला कर इस को लोहे की कड़ाही में मिलाते हैं. गरम होने पर इस को भूना जाता है.
लड्डू खराब न हों, इस के लिए सोडियम बैंजोएट मिलाया जाता है. जब लड्डू बनाने के लायक आंवला हो जाए तो उस को ठंडा कर के गोलगोल आकार के लड्डू तैयार किए जाते हैं.
आंवले का मुरब्बा
आंवले का मुरब्बा तैयार करने के लिए अच्छी किस्म के आंवले लिए जाते हैं. बड़ेबड़े आंवले देखने में अच्छे लगते हैं, जिस से इस की कीमत अच्छी मिलती है.
आंवले का मुरब्बा तैयार करने के लिए आंवले की गोदाई सूजा (लंबी सी सूई) से की जाती है. यह काम मजदूरों के सहारे किया जाता है.
आंवले की गोदाई करने के बाद उस को चूने के पानी में डाल दिया जाता है. 2 दिन बाद इस को निकाल कर चीनी के घोल (चाशनी) में डाल दिया जाता है. आंवला पानी छोड़ता है. 7 दिन बाद आंवले को निकाल लिया जाता है.
इस के बाद दोबारा इस को चीनी के घोल में डाला जाता है. इस प्रोसैस में 25 दिन लग जाते हैं. हर 7 दिन बाद आंवले को चीनी के घोल में डाला जाता है.
शुरुआत में जब आंवले को चीनी के घोल में डाला जाता है तो उस का रंग बादामी गाढ़ा सा दिखता है. इस कलर को साफ करने के लिए ही आंवले को कई बार साफ चीनी के घोल में डाला जाता है.
25 दिन बाद चीनी का घोल कुछ इस तरह का हो जाता है जिस के अंदर आंवला साफतौर पर नजर आता है. ग्राहक साफ रंग देख कर ही मुरब्बे को पसंद करता है. 1 किलोग्राम आंवले के मुरब्बे में तकरीबन 12 पीस आते हैं.
लागत कम मुनाफा ज्यादा
आंवले का मुरब्बा बनाने के लिए बहुत बड़ी पूंजी की जरूरत नहीं होती है. 25,000 से ले कर 30,000 रुपए की लागत से इस को शुरू किया जा सकता है.
मुरब्बा बनाने के लिए आंवले को गोदने के लिए सूजा, रखने के लिए बरतन, चाशनी बनाने के लिए भट्ठी वगैरह की जरूरत होती है. इस के अलावा पैकिंग के लिए मशीन भी जरूरी होती है.
जब काम आगे बढ़ जाए तो आटोमैटिक मशीनों का सहारा लेना पड़ता है. बाजार में मुरब्बा 100 से 125 रुपए प्रति किलोग्राम बिकता है.
आंवले का मुरब्बा बनाने का काम तब सफल होगा जब उस की मार्केटिंग ठीक ढंग से की जाए. अच्छे किस्म का मुरब्बा तैयार करने पर सही तरह से बिक्री हो जाए तो 1 किलोग्राम आंवला मुरब्बा को बेचने पर 25 से 30 रुपए तक का मुनाफा हो जाता है.