आजकल पैकेट वाले दूध का चलन ज्यादा हो गया है. शहर में तो अधिकतर लोग इसी दूध का इस्तेमाल कर रहे हैं. पैकेट वाले दूध को पाश्चराइज्ड मिल्क भी कहते हैं. अधिकतर लोग इसी दूध का सेवन करते हैं पर समय और जगह की कमी के कारण ग्वालों के पास से दूध लाना मुमकिन नहीं हो पाता है, इसलिए भी लोग आसपास की डेरी से पैकेट मिल्क ले लेते हैं. पर, क्या आप जानते हैं कि पाश्चराइज्ड दूध क्या होता है? इस प्रक्रिया को कैसे किया जाता है? इस के क्या फायदे और नुकसान हैं? होमोजिनाइल्ड दूध क्या होता है?
पाश्चराइजेशन दूध क्या है
इस तकनीक में दूध को अधिक तापमान पर गरम करने के बाद तेजी से उस को ठंडा कर के पैक किया जाता है. यह प्रक्रिया दूध को लंबे समय तक सही रखती है. साथ ही, यह तकनीक सेहत के लिए हानिकारक बैक्टीरिया को भी खत्म करती है.
इसे ऐसे कहा जा सकता है कि इस विधि में तरल पदार्थों को गरम कर के उस के अंदर के सूक्ष्मजीवों जैसे जीवाणु, कवक, विषाणु आदि को नष्ट किया जाता है.
इस विधि में विसंक्रमित पदार्थ को मामूली तापमान पर एक निश्चित समय तक गरम किया जाता है, जिस से हानिकारक बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं और इस पदार्थ के रासायनिक संगठन में कोई बदलाव भी नहीं होता है.
पाश्चराइजेशन कितने तरीकों से किया जाता है
होल्डर विधि : इस विधि में दूध को 161 डिगरी फारेनाइट तापमान पर आधे घंटे के लिए गरम किया जाता है और फिर तुरंत 50ष्ट पर ठंडा कर लिया जाता है. यह छोटे पैमाने पर पाथेजिनस को नष्ट करने का तरीका है.
उच्च तापक्रम कम समय विधि : इस विधि में दूध को 161 डिगरी फारेनाइट तापमान पर 15 सैकंड के लिए गरम किया जाता है और फिर 40ष्ट पर तुरंत ठंडा कर लिया जाता है. अधिकतर इसी विधि का इस्तेमाल दूध को पाश्चराइज करने के लिए किया जाता है. इस प्रक्रिया से दूध 2 से 3 हफ्ते तक सही या फ्रैश रहता है.
अत्यधिक उच्च तापक्रम विधि : इस विधि में दूध को 275 डिगरी फारेनाइट पर 1 से 2 सैकंड के लिए गरम किया जाता है, जिस से इस की लाइफ 9 महीने तक बढ़ जाती है.
अब बात करते हैं कि होमोजिनाइशेन क्या होता है?
ये पाश्चराइजेशन विधि के बाद होता है. इस का मुख्य उद्देश्य दूध के अंदर के फैट के अणुओं को तोड़ना, ताकि ये दूध से अलग हो कर पैकेट में ऊपर न आ जाए या फिर दूध में ही रहे.
देखा जाए तो यह एक मेकैनिकल प्रक्रिया है, जिस में कोई अलग से कैमिकल वगैरह नहीं मिलाया जाता है. इस से दही, क्रीम यानी डेरी वाले प्रोडक्ट अच्छे से बनते हैं.
पाश्चराइज्ड दूध के फायदे और नुकसान
पाश्चराइजेशन की प्रक्रिया दूध में मौजूद बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है. कच्चे दूध की तुलना में यह दूध की शेल्फ लाइफ को काफी हद तक बढ़ा देता है.
पाश्चराइज्ड दूध और पाउडर दूध में कच्चे दूध की तुलना में पोषक तत्त्व कम होते हैं.
पाश्चराइजेशन की तकनीक दूध में सभी सूक्ष्म जीवों को नष्ट कर देती है, जैसे कि लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया (लैक्टोबैसिलि एसिडोफिलस), जो कि स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाते हैं.
पाश्चराइजेशन दूध एमिनो एसिड को बदल देता है, फैटी एसिड को बढ़ा देता है, विटामिन ए, डी, सी और बी 12 को नष्ट कर देता है, खनिज, कैल्शियम, क्लोराइड, मैग्नीशियम, फास्फोरस, सोडियम और सल्फर, साथ ही कई ट्रेस मिनरल्स को भी कम कर देता है.
इस के अलावा कुछ सिंथैटिक विटामिन को भी पाश्चराइज्ड दूध में मिलाया जाता है, क्योंकि दूध के प्राकृतिक एंजाइमों के बिना उसे पचाना मुश्किल होता है.