भारत में ज्यादातर लोग ज्यादा मिर्चमसाले का इस्तेमाल करते हैं और महिलाएं तीखी मिर्च खरीदना ही पसंद करती हैं. मिर्च का नाम सुनते ही कई लोगों को पसीना आ जाता है, तो कई के मुंह में पानी आ जाता है. अकसर आप ने सुना होगा या महसूस किया होगा कि कुछ मिर्च काफी तीखी होती हैं, तो कुछ बिलकुल भी तीखी नहीं होतीं. आप के मन में सवाल उठता होगा कि आखिर ऐसा क्यों होता है. तो आइए, जानते हैं कि आखिर मिर्च तीखी क्यों होती है:

तमाम शोधों के बाद वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे कि कोई मिर्च ज्यादा तीखी तो कोई कम तीखी क्यों होती है? जीवविज्ञान की पत्रिका बायोलाजिकल साइंसेज के मुताबिक इस का खास कारण मिर्च के पौधे का जल के संपर्क में आने से है.

वैज्ञानिकों का मानना है कि मिर्च में कसैलापन कैपसाइपिनोइड नाम के पदार्थ की वजह से पाया जाता है. यह मिर्च को फफूंद से बचाता है. इंडियाना यूनिवर्सिटी के डेविड हाक के नेतृत्व में शोध करने वाले दल ने बोलिविया जा कर मिर्च के पौधे में कैपसाइपिनोइड तत्त्व की जांच की.

इस जांच में उन्होंने पाया कि उत्तरी क्षेत्र में मात्र 15-20 फीसदी मिर्चों में ही यह तीखा पदार्थ मौजूद था, जबकि दक्षिणी हिस्से में मिर्च के तीखेपन की स्थिति एकदम से अलग थी. इस इलाके में 100 फीसदी मिर्च के पौधों में इस तीखे पदार्थ कैपसाइपिनोइड के होने से मिर्च बहुत तीखी और कसैली थी.

आखिर शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष निकाला कि मिर्च का तीखापन फफूंद से बचने के लिए इस तत्त्व के विकास से पनपता है, जितना अधिक यह पदार्थ मिर्च में मौजूद रहेगा, उतनी ही मिर्च ज्यादा तीखी और कसैली होगी.

अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें...