देश में बेरोजगारी की समस्या काफी गंभीर है. गांवदेहात के इलाकों में तो यह समस्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है. वहां घटती खेती की जमीन और रोजगार का जरीया न होने की वजह से गांव के कई लोग शहरों की तरफ भाग रहे हैं ताकि यहां आ कर वह अपनी रोजीरोटी का जुगाड़ कर सकें.

लेकिन ऐसा भी नहीं है कि गांवदेहात में रोजगार के साधन पैदा नहीं किए जा सकते. आज खेतीकिसानी से जुड़े कई रोजगार हैं जैसे पशुपालन, मधुमक्खीपालन, मछलीपालन, फूड प्रोसैसिंग, मसाला प्रोसैसिंग वगैरह. ये ऐसे रोजगार हैं जिन्हें खेती के साथसाथ या उस से अलग भी अपना कर रोजगार का अच्छा जरीया बना सकते हैं.

मधुमक्खीपालन भी इन में से एक ऐसा ही रोजगार है. ट्रेनिंग ले कर मधुमक्खीपालन के काम को शुरू किया जा सकता है. ट्रेनिंग के दौरान आप को मधुमक्खीपालन के साथसाथ उस से जुड़े साजोसामान की जानकारी भी आसानी से मिल जाती है. आज मधुमक्खीपालन को कुटीर उद्योग का दर्जा हासिल है.

भारत में मधुमक्खीपालन काफी लंबे समय से किया जाता रहा है. पहले पेड़ों पर लगे छत्तों से शहद निकाला जाता था. इस में सब से पहले मधुमक्खी को छत्तों से धुआं कर के भगाया जाता था, फिर उन शहद के छत्तों को तोड़ कर उन से शहद निकाला जाता था. इस में ढेरों मधुमक्खियां भी शहद के साथ मिल जाती थीं या मर जाती थीं. इस से शहद की क्वालिटी पर भी असर होता था.

समय के साथसाथ बहुत सारे बदलाव हुए और इस काम को करने के लिए अनेक आधुनिक बक्से बाजार में आए जिन्होंने मुश्किल काम को काफी आसान बना दिया है. इस के अलावा इन मशीनों से शहद की क्वालिटी में भी सुधार मिलने लगा है.

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