मंडला : नरवाई यानी फसल अवशेष या पराली जलाना एक बड़ी समस्या है, इस से वातावरण में प्रदूषण फैलता है एवं मृदा के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है. नरवाई जलाने पर रोकथाम किया जाना बहुत जरूरी है. नरवाई जलाने से वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ता है और मृदा का कार्बनिक प्रदार्थ कम होने के साथसाथ मृदा के लाभकारी सूक्ष्मजीव भी नष्ट होते हैं.
सुपर सीडर का करें उपयोग
फसल अवशेष प्रबंधन के तहत जिले में सुपर सीडर से पहली बार बोनी हो रही है. कलक्टर सोमेश मिश्रा द्वारा सुपर सीडर से बोनी करने के लिए किसानों को जागरूक किए जाने के निर्देश दिए. कलक्टर सोमेश मिश्रा एवं सीईओ जिला पंचायत श्रेयांश कूमट ने स्वयं सुपर सीडर के प्रदर्शन का अवलोकन किया और किसानों को नरवाई न जला कर सुपर सीडर के उपयोग के लिए किसानों को प्रेरित किया.
सुपर सीडर के उपयोग से धान कटाई के उपरांत नई फसल के लिए खेत तैयार करने के लिए अलग से कल्टीवेटर, रोटावेटर और सीड ड्रिल की आवश्यकता नहीं पड़ती है. एक ही यंत्र से तीनों काम एकसाथ एक ही समय में हो जाते हैं. समय की बचत के साथसाथ लागत भी बहुत कम हो जाती है.
सुपर सीडर की खरीदी में तकरीबन 1.05 लाख रुपए की सब्सिडी भी मिलती है. हार्वेस्टर से धान कटाई के उपरांत सुपर सीडर से सीधे रबी फसलों की बोनी करने पर किसानों को 10 से 15 दिन की बचत होती है और लागत में भी कमी होती है.
सुपर सीडर से बोनी करने पर कृषि विभाग देगा 1,600 रुपए प्रति एकड़ का अनुदान
उपसंचालक, कृषि, मधु अली ने बताया कि ग्राम औघटखपरी में नरवाई जलाने की समस्या को दूर करने के लिए कृषि विभाग और अभियांत्रिकी विभाग द्वारा सुपर सीडर से बोनी करने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है. सुपर सीडर का प्रदर्शन कर किसानों को जागरूक किया गया. नरवाई में आग न जलाई जाए, इसलिए सुपर सीडर की बोनी करने वाले किसानों को कृषि विभाग 1,600 रुपए प्रति एकड़ का अनुदान देगी.
नरवाई जलाने वालों पर अर्थदंड का प्रावधान
नरवाई जलाने वालों पर अर्थदंड अधिरोपित करने के जारी आदेश के अनुसार 2 एकड़ से कम पर 2,500 रुपए प्रति घटना पर, 2 से 5 एकड़ तक 5,000 रुपए प्रति घटना पर एवं 5 एकड़ से अधिक पर 15,000 रुपए प्रति घटना पर अर्थदंड का प्रावधान किया गया है.
जिले में रबी फसल के अंतर्गत बोई जाने वाली फसलों की कटाई के बाद किसानों द्वारा नरवाई (फसलों के अवशेषों) जला दी जाती है, जिस के कारण भूमि में उपलब्ध जैव विविधिता समाप्त हो जाती है. भूमि की ऊपरी परत में पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व होते हैं, जो आग लगने के कारण जल कर नष्ट हो जाते हैं. साथ ही, नरवाई जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है.
भारत सरकार द्वारा खेतों में फसल अवशेष यानी नरवाई जलाने की घटनाओं की मौनिटरिंग सैटेलाइट के माध्यम से की जा रही है. प्रदेश में नरवाई जलाने की घटनाएं मुख्यतः गेहूं फसल की कटाई के बाद होती है, जो लगातार बढ़ती जा रही है.
नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश के क्रम में फसलों की कटाई के उपरांत फसल अवशेषों को खेतों में जलाए जाने से प्रतिबंधित किया गया है. पर्यावरण विभाग के नोटिफिकेशन द्वारा निर्देश जारी किए गए हैं, जिस के अंतर्गत नरवाई जलाने की घटनाओं पर अर्थदंड अधिरोपित करने का प्रावधान किया गया है, जिस में 2 एकड़ से कम पर 2,500 रुपए प्रति घटना पर, 2 से 5 एकड़ तक 5,000 रुपए प्रति घटना पर एवं 5 एकड़ से अधिक पर 15,000 रुपए प्रति घटना पर अर्थदंड का प्रावधान किया गया है.