खेती में इस्तेमाल होने वाले खास यंत्रों में ट्रैक्टर, कंबाइन हार्वेस्टर, जीरो टिल सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल, रोटावेटर लेजर लैंड लैवलर, मल्टीक्रौप थ्रेशर, पैडी राइस प्लांटर वगैरह हैं, जो खेती के कठिन कामों को आसान बनाते हैं, लेकिन ये सभी महंगे कृषि यंत्र हैं. म?ोले औैर छोटी जोत वाले किसानों के लिए इन्हें खरीदना आसान नहीं होता.
कुछ किसान जोरआजमाइश कर के ट्रैक्टर खरीद तो लेते हैं, लेकिन उस के साथ इस्तेमाल होने वाले अनेक कृषि यंत्र नहीं खरीद पाते, जबकि टै्रक्टर से सही कमाईर् तभी होगी, जब उस के साथ इस्तेमाल होने वाले अनेक कृषि यंत्र भी किसानों के पास मौजूद हों.
कृषि यंत्र सभी किसानों की पहुंच में हों, इस के लिए सरकार ने सीएचसी यानी कस्टम हायरिंग सैंटर फार्म मशीनरी स्कीम बनाई है. इस के तहत आप प्रोजैक्ट पास करवा सकते हैं और उस स्कीम से आप अपने इलाके के हिसाब से खेती में इस्तेमाल होने वाले कृषि यंत्रों का बैंक बना सकते हैं. इन कृषि यंत्रों को आप अन्य किसानों को किराए पर दे कर अपनी आमदनी में इजाफा कर सकते हैं. इस के अतिरिक्त कोऔपरेटिव ग्रुप बना कर भी आप कृषि यंत्र बैंक बना सकते हैं.
कहने का मतलब है कि आप के किसान ग्रुप को कुल रकम का केवल 20 फीसदी ही पैसा देना है, बाकी बची 80 फीसदी रकम सरकार द्वारा सब्सिडी के रूप में दी जाएगी.
ऐसे कृषि उत्पादक संघ के गठन के लिए किसानों के पास खुद की खेती योग्य जमीन होनी चाहिए. साथ ही, इस में जितने भी किसान चाहे सदस्य के रूप में जुड़ सकते हैं.
समूह द्वारा फार्म मशीनरी बैंक के तहत खरीदे गए स्ट्रा चौपर के जरीए पराली प्रबंधन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है, जिस से इस समूह द्वारा खेत में पराली जलाए जाने पर रोक लगाए जाने में कामयाबी मिली है.
फार्म मशीनरी बैंक चलाने वाले किसान समूहों को किराए पर यंत्रों को दिए जाने का सारा हिसाबकिताब और रजिस्टर रखना जरूरी है. जब भी कोई इस रजिस्टर को देखना चाहे तो देख सके.
कोई भी किसान दूसरे किसानों को संगठित कर कृषि उत्पादक संघ या एफपीओ का गठन कर फार्म मशीनरी बैंक का लाभ ले सकता है, क्योंकि फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना के एफपीओ को वरीयता दी जाती है. एफपीओ द्वारा फार्म मशीनरी के लिए आवेदन न किए जाने के चलते इस योजना का लाभ राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन यानी एनआरएलएम के तहत गठित समूहों को दे दी जाती है. ऐसे में किसान चाहें तो संगठित हो कर खुद की किसान कंपनी बना कर कृषि महकमे द्वारा दिए जाने वाले फार्म मशीनरी बैंक का फायदा ले सकते हैं.
इसी एफपीओ के निदेशक मंडल में शामिल राम मूर्ति मिश्र ने जानकारी दी कि अगर किसान संगठित हो कर एफपीओ बनाते हैं, तो वह कृषि महकमे द्वारा अनुदान पर फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना कर सकते हैं, बल्कि इस के जरीए मड़ाई के लिए थ्रेशिंग फ्लोर, बीज विधायन संयंत्र जैसे व्यवसायों को शुरू करने के लिए भी अनुदान ले सकते हैं.
उन्होंने बताया कि एफपीओ का गठन कर किसान कृषि मशीनरी, खादबीज, ब्रांडिंग, पैकेजिंग व मार्केटिंग जैसी समस्या से भी छुटकारा पा सकते हैं. इस से वे अपनी आमदनी के साथ ही दूसरे किसानों की आमदनी में भी इजाफा कर सकते हैं.
एफपीओ के गठन से जुड़ी जानकारी हासिल करने के लिए राम मूर्ति मिश्र के मोबाइल नंबर 9889387997 पर फोन कर के संपर्क कर सकते हैं.