आजकल ज्यादातर गेहूं, धान जैसी फसलों की कटाई कंबाइन हार्वेस्टर से की जाती है. हार्वेस्टर से फसल के सिर्फ ऊपरी हिस्से को ही काट लिया जाता है और बाकी अवशेष खेत में ही पड़ा रह जाता है. उस अवशेष को ज्यादातर किसान जला देते हैं जिस से आबोहवा भी दूषित होती है और खेत की मिट्टी को भी अच्छाखासा नुकसान होता है. साथ ही, खेत की मिट्टी के अनेक उपजाऊ तत्त्व खत्म हो जाते हैं.

वहीं दूसरी तरफ कुछ किसान ऐसे भी हैं जो समझदारी से काम लेते हैं. वे इन अवशेषों को खेत में न जला कर या तो इन्हें खेत में जोत कर खाद बना देते हैं या उस नरवाई वाले खेत में ही हैप्पी सीडर या जीरो टिलेज जैसी मशीनों से सीधे गेहूं की बोआई करते हैं. इस से उन्हें कई फायदे होते हैं.

पहला फायदा तो यह होता है कि इन कृषि यंत्रों के इस्तेमाल से बोआई करने पर फसल अवशेषों की जमीनों में मिल कर खाद बन जाती है. दूसरा फायदा यह होता है कि खेत तैयार करने के लिए कई बार जुताई करनी होती है तो जुताई का खर्चा बचता है. साथ ही, खेत में देने वाले पानी की भी बचत होती है. तीसरा फायदा समय की बचत होती है और बेहतर पैदावार भी मिलती है.

जीरो टिलेज यंत्र से बोआई

गेहूं की बोआई करने के लिए आमतौर पर खेत की कई बार जुताई करनी पड़ती है जिस में काफी समय बेकार हो जाता है. इस देरी से बचने के लिए धान कटने के बाद खेत में जीरो टिलेज मशीन से सीधे बोआई कर सकते हैं.

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