Diesel Engine : गांवों में बिजली कम आती है और जब आती है, तो अकसर वोल्टेज सही नहीं आता. लिहाजा खेतीकिसानी के बहुत से काम वक्त पर ठीक से पूरे नहीं हो पाते. मजबूरन किसानों को डीजल से चलने वाले इंजन का सहारा लेना पड़ता है. डीजल इंजन (Diesel Engine) खेतीकिसानी से जुड़े बहुत से कामधंधों में काम आता है.
सिंचाई के पंपसैट, सबमर्सिबल पंप, जनरेटर, थ्रैशर, आटा चक्की, धान मशीन, गन्ना कोल्हू, आरा मशीन, इंटर लाकिंग टाइल्स प्लांट व तेल का स्पेलर आदि मशीनें चलाने में डीजल इंजन का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जाता है. इसीलिए डीजल इंजन को किसानों का सच्चा साथी भी कहा जाता है.
डीजल इंजन (Diesel Engine) खरीदते समय पूरी सूझबूझ व सावधानी बरतना बहुत जरूरी है. दरअसल, बाजार में बहुत से ब्रांड के डीजल इंजनों की भरमार है, लिहाजा आम किसान इंजन खरीदते समय चकरा जाते हैं. ज्यादातार किसान इनाम के लालच या दुकानदारों की चिकनीचुपड़ी बातों के झांसे में आ कर कोई भी डीजल इंजन खरीदने का फैसला कर बैठते हैं.
तकनीक में लगातार हो रही तरक्की के कारण अब नए किस्म के डीजल इंजन आसानी से स्टार्ट होने लगे हैं. आयशर आदि मशहूर कंपनियों के बनाए हुए 46 हार्स पावर तक की कूवत के दमदार एयर कूल्ड इंजन अपने देश में आसानी से मिलने लगे हैं, मगर ज्यादातर किसानों को उन की असलियत के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती है.
बरतें सावधानी
यह सच है कि बाजार में ग्राहकों को खूब ठगा जाता है. चालाक दुकानदार मुनाफा कमाने के चक्कर में बहुत सफाई से भोले ग्राहकों को चूना लगा देते हैं. खासतौर पर कम पढ़ेलिखे व भोले किसानों के साथ तो कई बार बहुत ही ज्यादती होती है. लिहाजा खरीदारी करते समय बहुत चौकस रहना लाजिम होता है.
किसानों को यह पहले ही तय कर लेना चाहिए कि उन्हें कौनकौन से काम डीजल इंजन से करने हैं और कामों को करने के लिए कितनी कूवत यानी हार्स पावर का इंजन लेना ठीक रहेगा. गौरतलब है कि कम हार्स पावर के इंजन से ज्यादा भारी काम लेने पर इंजन बैठ जाता है और ज्यादा हार्स पावर के इंजन से कम काम लेने से डीजल का खर्च ज्यादा आता है.
आमतौर पर डीजल इंजन 2 तरह के आते हैं, एयर कूल्ड व वाटर कूल्ड यानी एक हवा से ठंडा होने वाला और दूसरा पानी से ठंडा होने वाला. किसान पैसे व जरूरत के मुताबिक इंजन चुन सकते हैं.
सूझबूझ से करें फैसला
इंजन खरीदते समय जल्दबाजी न करें. हालांकि भीड़ में से उम्दा क्वालिटी का बेहतर इंजन छांट कर चुनना हर किसी के लिए आसान नहीं होता. लिहाजा अपने आसपास के जिन किसानों के पास डीजल इंजन हो, उन से पूरी मालूमात जरूर करें. उन के इंजन की खूबियों व दिक्कतों के तजरबे आप के काम आ सकते हैं. पूरी व सही जानकारी न होने से कई बार किसान बाजार में मात खा जाते हैं.
अकसर पूरी कीमत चुकाने के बाद भी घटिया क्वालिटी का इंजन किसानों के मत्थे मढ़ दिया जाता है. लिहाजा बहुत सोचसमझ कर फैसला करें.
याद रखें कि लोकल कंपनी के डीजल इंजन नामचीन कंपनी के इंजनों के मुकाबले सस्ते होते हैं, लेकिन उन की क्वालिटी घटिया होने से उन में घिसावट जल्दी व ज्यादा होती है. वे जल्दी खराब होते हैं. बारबार कारीगर के पास ले जा कर उन की मरम्मत करानी पड़ती है.
डीजल इंजन हमेशा अच्छी साख वाली दुकान या एजेंसी से व नामचीन कंपनी का व आईएसआई निशान वाला ही खरीदना चाहिए. नकली इंजन बेचने वाले किसानों को भरमाने के लिए आईएसआई के निशान का जाली स्टीकर लगाए रखते हैं, लेकिन उस में अंग्रेजी में एज आईएसआई यानी आईएसआई जैसा लिखा रहता है. लिहाजा चौकस रहें और किसी के बहकावे में कतई व भूल कर भी न आएं.
सस्ते पर न रीझें
लोकल कंपनी का सस्ता इंजन खरीदने में कुछ धन जरूर बच जाता है, लेकिन बाद में उस के रखरखाव पर उस से कहीं ज्यादा खर्च हो जाता है, तब पछताना पड़ता है. साथ ही महंगा रोए एक बार व सस्ता रोए बारबार वाली कहावत याद आने लगती है. लिहाजा शुरू में ही मशहूर कंपनी का असली इंजन खरीदने में समझदारी है. खरीदने से पहले पूरे बाजार में कीमत का जायजा लेना अच्छा रहता है, ताकि ठगे जाने की गुंजाइश न रहे.
आगरा, राजकोट, अहमदाबाद व मेरठ आदि शहरों में बड़े पैमाने पर डीजल इंजन बनाए जाते हैं. अलगअलग कंपनियों के माडल व हार्सपावर वाले इंजनों की कीमत भी अलगअलग शहरों में अलगअलग होती है. ब्रांडेड कंपनियों के इंजनों की कीमत में हेराफेरी करने की गुंजाइश नहीं होती, लिहाजा दुकानदार अपने मोटे मुनाफे के लिए किसानों को हमेशा लोकल कंपनियों का या मेड इन चाइना इंजन खरीदने की ही गलत सलाह देते हैं.
इंजन खरीदते समय यदि कोई भरोसे का मैकैनिक भी जांचपरख के लिए साथ में हो तो सोने में सुहागा रहता है. वह इंजन के बोर, स्ट्रोक व आरपीएम जैसी तकनीकी खासीयतों को आसानी से परख सकता है. इंजन खरीद की पक्की रसीद, मैनुअसल व उस का गारंटी कार्ड वगैरह पूरे कागजात जरूर लें. उस पर दुकानदार की मोहर लगवा कर दस्तखत कराएं व तारीख डलवाएं. इन को संभाल कर रखें ताकि वक्तजरूरत पर काम आएं.
यदि इंजन में खराबी, सेवा में चूक या धोखाधड़ी का मामला हो, तो जिले के उपभोक्ता फोरम में जा कर मुआवजा पा सकते हैं. वहां यही सुबूत काम आते हैं. इंजन के मैनुअसल में इस्तेमाल के तरीके, कई हिदायतें व सावधानियां लिखी रहती हैं, उन्हें ध्यान से पढ़ें व उन का पूरा पालन करें, ताकि बेवजह की दिक्कतें न आएं और आएं तो आसानी से हल हो जाएं.
बहुत से दुकानदार बिल या रसीद पर नीचे बाईं ओर ग्राहक के भी दस्तखत कराते हैं. वहां पहले से चैक्ड एन सैटिस्फाइड लिखा होता है, इस का मतलब होता है कि खरीदी गई चीज सही हालत में हासिल की जा रही है. इस के बाद घर जा कर उस चीज में यदि कोई खामी निकलती है, तो दुकानदार की जिम्मेदारी नहीं होती.
रखरखाव : डीजल इंजन का इस्तेमाल खेतखलिहान व दूसरे कामधंधों में किया जाता है, लिहाजा उम्मीद की जाती है कि वह ठीक से काम करे. इंजन की जितनी ज्यादा बेहतर देखभाल की जाती है, वह उतना ही अच्छा काम करता है और उतना ही ज्यादा चलता है. इस के लिए यह जरूरी है कि उसे लाने, ले जाने,
चढ़ोनउतारने व रखने में लापरवाही न बरती जाए. जहां तक मुमकिन हो इंजन को धूप व पानी से बचा कर छाया में रखें, उस की सफाई करते रहें और वक्त पर उस की सर्विसिंग भी जरूर कराएं.
इंजन में डीजल डालते समय ध्यान रखें कि उस का फिल्टर ठीक हो. तेल की टंकी में कचरा न जाने दें. यदि इंजन में कभी कोई कमी नजर आए, तो सीधे कंपनी के सर्विस स्टेशन पर ले जाएं या किसी अच्छे मिस्त्री को ही दिखाएं. इन कुछ उपायों को अपनाने से किसान इंजन के नाम पर अपनी मेहनत की कमाई को बरबाद होने से बचा सकते हैं.
किसान उम्दा क्वालिटी का इंजन खरीद कर उसे सालोंसाल बगैर किसी दिक्कत के चला सकते हैं. वे डीजल इंजन की मदद से अपना कीमती वक्त, धन व मेहनत बचा कर ज्यादा व बेहतर काम कर सकते हैं और खेती से जुड़े अपने सहायक कामधंधे बढ़ा कर अपनी कमाई में भरपूर इजाफा कर सकते हैं.