जब जैसी जरूरतें होती हैं, किसान उसी ढंग से ये चीजें जुटा लेते हैं. गन्ना फसल को खेत में लगाने के लिए ज्यादा लागत आती है और हजारों रुपए खर्च हो जाते हैं. ऐसे में छोटे किसानों का रुझान गन्ना उत्पादन की तरफ नहीं रहता.
‘आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है’ इस कहावत को नरसिंहपुर जिले के एक छोटे से किसान रोशनलाल विश्वकर्मा ने गन्ने की कलम बनाने की मशीन बना कर सच साबित कर दिया.
सकारात्मक सोच, मेहनत व लगन की बदौलत ही मध्य प्रदेश के जिला नरसिंहपुर के गांव मेख के 11वीं जमात पास 50 साला किसान रोशनलाल विश्वकर्मा ने खेती के क्षेत्र में किए गए अपने आविष्कारों से न केवल अपना बल्कि समूचे जिले का नाम रोशन कर दिया है.
रोशनलाल बताते हैं कि मेरे मन में यह खयाल आया कि जैसे खेत में आलू लगाते हैं तो क्यों न वैसे ही गन्ने के टुकड़े लगा कर देखा जाए. उन की ये तरकीब काम आ गई और ऐसा उन्होंने लगातार 1-2 साल किया. नतीजे अच्छे सामने आए.
इस तरह उन्होंने कम लागत में न सिर्फ गन्ने की कलम को तैयार किया बल्कि गन्ने की पैदावार आम उपज के मुकाबले 20 फीसदी ज्यादा हुई.
इतना ही नहीं, अब तक 1 एकड़ खेत में 35 से 40 क्विंटल गन्ना रोपना पड़ता था. ऐसे में रोशनलाल की नई तरकीब से 1 एकड़ खेत में केवल 3 से 4 क्विंटल गन्ने की कलम लगा कर ही अच्छी फसल मिलने लगी है.
रोशनलाल यहीं नहीं रुके. उन्होंने देखा कि हाथ से गन्ने की कलम बनाने का काम काफी मुश्किल है इसलिए उन्होंने ऐसी मशीन के बारे में सोचा जिस से ये काम आसान हो गए. इस के लिए उन्होंने खेती विशेषज्ञों और कृषि विज्ञान केंद्रों की सलाह भी ली. लोकल वर्कशौप और टूल फैक्टरी में वे जाते और मशीन बनाने के लिए जानकारियां इकट्ठा करने लगे.
आखिरकार वे ‘शुगरकेन बड चिपर’ मशीन बनाने में कामयाब हुए. सब से पहले उन्होंने हाथ से चलाने वाली मशीन को ईजाद किया, जिस का वजन केवल साढ़े 3 किलोग्राम के आसपास है और इस से 1 घंटे में 300 से 400 गन्ने की कलमें बनाई जा सकती हैं. धीरेधीरे इस मशीन में भी सुधार आता गया और इन्होंने हाथ की जगह पैर से चलने वाली मशीन बनाई जो एक घंटे में 800 गन्ने की कलमें बना सकती है.
आज रोशनलाल की बनाई मशीनें मध्य प्रदेश में तो बिक ही रही हैं, इस के अलावा महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, कर्नाटक, हरियाणा और दूसरे कई राज्यों में भी ये मशीनें बिक रही हैं. रोशनलाल की बनाई मशीन के विभिन्न मौडल 1,500 रुपए से शुरू होते हैं.
बचपन से ही पढ़ाई में औसत रहे रोशनलाल का दिमाग वैज्ञानिक सोच रखता था. जब वे 8वीं जमात में थे, तभी उन्होंने माचिस की तीलियों से बंदूक बनाई थी. इस का इस्तेमाल खेतों में शोर मचाते बंदरों को भगाने में किया जाता था.
रोशनलाल अपनी सोच व मेहनत से हर रोज नई चीजें बनाने में कभी कामयाब हुए तो कभी नाकाम. पर संघर्ष जारी रहा. बंदूक के बाद उन्होंने कई दूसरी मशीनें भी बनाईं लेकिन उन के सपनों को ऊंचाई मिली तो गन्ने के लिए बनाई गई मशीन से.
गन्ने की खेती को आसान बनाने के लिए रोशनलाल ने साल 2006 में एक ऐसी मशीन बनाई जो पूरे गन्ने को रोपने की जगह महज गन्ने की आंख निकाल सकती थी, बाकी बचे गन्ने का किसान गुड़ या शक्कर बनवा सकता था.
‘शुगरकेन बड चिपर’ नाम की इस मशीन को केवल सराहा ही नहीं गया, बल्कि साल 2009 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल की मौजूदगी में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री द्वारा उन्हें सम्मानित भी किया गया था. इस के बाद उन्हें नाबार्ड अवार्ड 2012, जवाहरलाल नेहरू कृषि फैलो सम्मान 2014, यूनिक वर्ल्ड रिकौर्ड 2014 और 6वां केवीके अवार्ड जैसे सम्मानों से सम्मानित किया जाता रहा.
खेती के क्षेत्र में नई मशीन ‘शुगरकेन बड चिपर’ से भी सस्ती कोई ऐसी मशीन वे बनाना चाहते थे जो किसानों को कम लागत में पूरी व्यवस्था के साथ अच्छा मुनाफा भी दे सके. इस के लिए उन्होंने साल 2007 से ही काम शुरू कर दिया और एक ऐसी मशीन बना डाली जो गन्ने की आंखों की बोवनी ही नहीं बल्कि गन्ने की बोआई के लिए खेत में नाली बनाती, खाद भी देती, बीज को व्यवस्थित भी करती व बीज को मिट्टी से भी दबाती.
‘बड प्लांटर’ नाम की इस 5 खूबी वाली इस मशीन को 7 मार्च, 2015 को 8वां नैशनल इनोवेशन अवार्ड राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दिया.
रोशनलाल बताते हैं कि पहले उन्हें प्रति हेक्टेयर 4,000 से 5,000 रुपए का मुनाफा होता था, लेकिन अब इस नई मशीन से वे प्रति हेक्टेयर 80,000 से 1 लाख रुपए तक कमा लेते हैं.
मशीन बनाने के लिए रोशनलाल ने घर पर ही कार्यशाला बनाई है. ‘श्री जय अंबे स्टील फैब्रिकेशन’ नाम की इस कार्यशाला में गांव के 7 लोगों को रोजगार दिया गया है. इन के द्वारा इस क्षेत्र में स्वरोजगार व तकनीकी हस्तानांतरण का एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया है जो वाकई सराहनीय कदम है.
रोशनलाल की इन उपलब्धियों ने गांव वालों को उन की सोच बदलने के लिए मजबूर कर दिया है.
रोशनलाल की बनाई मशीनें किसानों के बीच सुपरहिट साबित हो रही हैं तो दूसरी ओर कई शुगर फैक्टरी और बड़े फार्महाउस भी उन से बिजली से चलने वाली मशीन बनाने की मांग करने लगे हैं.
रोशनलाल विश्वकर्मा से गन्ने की कलम लगाने वाली इस मशीन से संबंधित जानकारी उन के मोबाइल नंबर 9300724167 पर हासिल की जा सकती है.