कम होती खेती की जमीन, युवाओं का खेती से मुंह मोड़ कर शहरों की ओर कामधंधे की तलाश में पलायन करना आम बात है. सरकार युवाओं के लिए ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर मुहैया कराने में भी नाकाम साबित हो रही है. हालांकि कुछ लोग इन में ऐसे भी हैं, जो हाथ के दस्तकार हैं. वे अपने गांवों के आसपास ही कमाखा रहे?हैं.
कुछ लोग ऐसे भी?हैं, जिन के पास खेती की जमीन?है, पर वे भी खेती से संतुष्ट नहीं?हैं. वे लोग खेती से अधिक कमाई के लिए परदेश चले जाते हैं. जिन लोगों के पास खेती है, उन्हें खेती को ही बेहतर रोजगार का जरीया बनाना चाहिए.
कृषि के पारंपरिक तौरतरीकों को छोड़ कर नई तकनीकों से खेती करनी चाहिए. सरकारी स्कीमों का फायदा लेना चाहिए.
देश के?ज्यादातर किसानों के हालात ऐसे नहीं?हैं, जो ट्रैक्टर, हार्वेस्टर जैसे महंगे यंत्र खरीद सकें. ऐसे किसानों के लिए आज अनेक ऐसे कृषि यंत्र हैं, जो उन की पहुंच में?हैं और बड़े यंत्रों की जगह उन छोटे यंत्रों को इस्तेमाल कर फायदा ले सकते?हैं.
मशीनों के इस्तेमाल से समय और पैसे की भी बचत होती?है. उस बचे हुए समय को अन्य किन्हीं कामों में लगा सकते हैं. कृषि से जुड़े अनेक काम होते?हैं, उन्हें कर सकते?हैं.
उन कृषि यंत्रों से दूसरों के खेतों में काम कर के भी आमदनी कर सकते?हैं.
यहां हम आप को कुछ ऐसे ही कृषि यंत्रों के बारे में जानकारी देने की कोशिश कर रहे हैं, जो आप के बड़े काम की?हैं:
ह्वीट कटर
यह एक ऐसी मशीन है, जिस की मदद से गेहूं, जौ, धान, चारा वगैरह फसलों को आसानी से काटा जा सकता है.
ह्वीट कटर से किसान फसल के अलावा घासफूस और छोटीमोटी ?ाड़ी, जंगल को भी साफ कर सकते हैं. यह मशीन पैट्रोल से चलती है और एक आदमी इस मशीन को बैल्ट की मदद से अपनी कमर में बांध कर आसानी से फसल को काट सकता है.
स्प्रे पंप
अच्छी फसल हासिल करने के लिए समयसमय पर कीटनाशक, बीमारीनाशक और खरपतवारनाशक दवाओं का छिड़काव बहुत ही जरूरी है. फसल की लागत में बीज, खाद, पानी के बाद सब से ज्यादा लागत कैमिकलों पर आती है. इस स्प्रे पंप की खास बात यह है कि इस में दवा का पूरापूरा इस्तेमाल होता है. यह बागबगीचों में कैमिकल का स्प्रे बहुत ही अच्छी तरह से करता है.
कैमिकल निकालने के लिए एक सूई की नोक के बराबर पौइंट होता है और इस में प्रैशर से फौग बनता है. थोड़ा सा कैमिकल धुएं का गुबार बन कर गिरता है. इस तकनीक से 50 फीसदी तक कैमिकल की बचत होती है.
पावर टिलर
इस को छोटा ट्रैक्टर भी कहते हैं. छोटे खेत और पहाड़ों पर सीढ़ीनुमा खेतों में पावर टिलर बहुत ही कारगर है. इस से ट्रैक्टर द्वारा किए जाने वाले तमाम काम किए जा सकते हैं. मसलन, जुताई, सिंचाई, ढुलाई, कटाई, मेंड़ बनाने वगैरह खेती के सभी कामों में यह इस्तेमाल होता है.
टिलर छोटा, हलका और असरदार होता है. इस का रोटावेटर न केवल जुताई करता है, बल्कि खेत की मिट्टी को अच्छी तरह से मिला देता है. बागबगीचों, आलू, गन्ना, औषधीय पौधों वगैरह के खेतों में मेंड़ बनाना, नाली तैयार करना, निराईगुड़ाई या खरपतवार निकालना वगैरह कामों में टिलर कामयाब है. केले या अंगूर के बागों में दवा का छिड़काव या सिंचाई जैसे काम टिलर से ही मुमकिन हैं.
टिलर से पेड़पौधों के चारों तरफ थाले बनाए जा सकते हैं. इस से खेत की जुताई, रीजर द्वारा नाली बनाना, धान की फसल की मचाई करना जैसे काम किए जा सकते हैं. ट्रैक्टर की तरह ही टिलर में तकरीबन एक दर्जन औजार जोड़ कर बहुत सारे काम किए जा सकते हैं.
पावर वीडर
फसल में उगे खरपतवारों को निकालने के लिए पावर वीडर बहुत ही कामयाब मशीन है. हाथ से खेत की निराईगुड़ाई करने में समय और पैसा बहुत लगता है. इस के अलावा खेती में मजदूरों की लगातार होती कमी भी एक बड़ी परेशानी है. ऐसे में पावर वीडर बहुत ही मददगार साबित हो रहा है.
यह पावर वीडर 60-65 किलोग्राम वजनी है और यह पैट्रोल से चलने वाली मशीन है.
2 पहियों पर रखी मशीन को चलाने के लिए हैंडिल दिए हुए हैं. यह 18-20 इंच चौड़ाई में निराईगुडाई करती हुई आगे बढ़ती है.
एक आदमी इसे बड़ी आसानी से चलाता हुआ तकरीबन डेढ़ घंटे में एक एकड़ खेत की निराईगुड़ाई कर सकता है. यह गन्ना और सब्जी की खेती में निराईगुड़ाई में बहुत ही कारगर है.
इस तरह और भी बहुत सारी छोटी मशीनें जैसे गन्ना सफाई मशीन, पावर रीपर, कल्टीवेटर, पेड़ वगैरह की कटाई के लिए चैनसा और बागबानी के लिए गड्ढे खोदने के लिए अर्थ औगर वगैरह हैं, जिन की मदद से कम लागत में खेती के काम को आसान कर पैदावार को कई गुना बढ़ा सकते हैं.