उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश में लहसुन की बड़े पैमाने पर खेती होती है और लहसुन की फसल अप्रैलमई महीने तक तैयार हो जाती है. उस के बाद खेत से लहसुन की खुदाई करना जरूरी है. आमतौर पर लहसुन की खेती किसानों द्वारा मिट्टी को खोद कर या इस के तने को हाथों से खींच कर निकाला जाता है. इस काम में बहुत समय लगता है. इस के लिए प्रति हेक्टेयर तकरीबन 30 से 35 मजदूरों की जरूरत होती है. कुछ इलाकों में किसानों द्वारा बक्खर या कल्टीवेटर द्वारा खोद कर भी लहसुन को निकाला जाता है. इस से फसल को काफी नुकसान होता है और लहसुन को इकट्ठा करने में मजदूरी की लागत भी बढ़ जाती है.
बड़े ही काम का है लहसुन हार्वेस्टर यंत्र
ट्रैक्टर चालित लहसुन खोदने वाले यंत्र से यह काम बड़ी आसानी से किया जा सकता है. इस मशीन में डेढ़ मीटर चौड़ी ब्लेड लगी होती है, जो मिट्टी को खोदने का काम करती है. इस के बाद लहसुन को चैन टाइप की पृथक्रण जाली से गुजारा जाता है. इस जाली में लोहे की छड़ें समान दूरी पर लगी होती हैं.
मशीन के संचालन के दौरान पृथक्करण जाली से पौधों में लगी मिट्टी अलग हो जाती है. इस जाली के पिछले हिस्से से लहसुन गिर कर एक लाइन में जमा हो जाता है. इस के बाद लहसुन की गांठों को 3-4 दिनों तक खेत में सुखाया जाता है.
इस मशीन को ट्रैक्टर के पीटीओ द्वारा चलाया जाता है. मशीन की कार्यक्षमता 0.25 से 0.30 हेक्टेयर प्रति घंटा है. इस की परिचालन लागत 3,000-3,500 रुपए प्रति हेक्टेयर है. काली मिट्टी में यह मशीन चलाने के लिए थोड़ी नमी होना जरूरी है. लाल मिट्टी में इसे बड़ी आसानी से चलाया जा सकता है.
पूसा लहसुन प्लांटर से करें बोआई
इस यंत्र को 35 हौर्सपावर के ट्रैक्टर के साथ जोड़ कर मैदानी इलाकों में लहसुन की अच्छी बोआई कर सकते हैं.
इस यंत्र के काम करने की कूवत 2 हेक्टेयर प्रति घंटा और यह 9 कतारों में लहसुन की बोआई करता है. लहसुन की बोआई करने के लिए इसे इस्तेमाल किया जाता है.