धान की खेती आमतौर पर धान की पौध की रोपाई कर के की जाती है, लेकिन इस काम के लिए कुशल मजदूरों की कमी के चलते धान की रोपाई में अधिक खर्चा व समय भी अधिक लगता है. सही समय पर मजदूर नहीं मिलना भी एक बड़ी समस्या है. मजदूर मिलते भी हैं, तो अधिक मजदूरी की मांग होती है, जिस से धान की खेती की लागत बढ़ जाती है. ऐसी स्थिति आने  पर अब किसान खेत में धान की छिटकवां विधि से सीधे बोआई करने लगे हैं या बीज की बोआई के लिए ड्रम सीडर जैसे कृषि यंत्रों का भी सहारा लेने लगे हैं.

धान की इस तरह छिटकवां विधि से बोआई करने पर खेत में जमे हुए धान के पौधे एकसमान नहीं उगते या पौधों के बीच कहीं अधिक दूरी तो कहीं कम दूरी पर पौधे उगते हैं. पौधों के उगने की इस असमानता की वजह से धान की खेती से अच्छी उपज  नहीं मिल पाती है.

इस समस्या का समाधान तैयार किए गए  खेत में धान की ड्रम सीडर यंत्र  से सीधे बोआई  की जा सकती है.  ड्रम सीडर कृषि यंत्र से धान की  सीधी बोआई करने के लिए खेत एकसमान और समतल होना चाहिए. खेत की मिट्टी की सही मल्चिंग भी होनी चाहिए. इस तरह की बोआई के लिए खेत में अधिक पानी नहीं भरा जाता.

ड्रम सीडर द्वारा लेव किए खेत में धान की सीधी बोआई तकनीक में कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए :

ड्रम सीडर से धान बोने का समय : 

ड्रम सीडर द्वारा धान बीज को अंकुरित कर के बोया जाता है. धान की सीधी बोआई मानसून आने से  लगभग एक सप्ताह पहले कर लेनी चाहिए, जिस से मानसूनी बरसात होने से पहले ही धान अंकुरित हो कर खेत में पौधा बन जाए, अन्यथा  बरसात शुरू होने के बाद खेत में अधिक जलभराव होने पर धान का पौधा नहीं पनप पाएगा या बीज सड़गल जाएगा.

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