नई दिल्ली: एक नया विकसित कौम्पैक्ट, किफायती और आसानी से चलने वाला ट्रैक्टर छोटे और सीमांत किसानों को लागत कम रखते हुए कृषि उत्पादकता बढ़ाने में मदद कर सकता है. किसानों को आपूर्ति के लिए ट्रैक्टरों के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए एक एमएसएमई ने विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने की योजना बनाई है.

भारत में 80 फीसदी से ज्यादा सीमांत और छोटे किसान हैं. उन में से एक बड़ी आबादी अभी भी बैलों से खेती करने पर निर्भर है, जिस में परिचालन लागत, रखरखाव और खराब रिटर्न एक चुनौती है. हालांकि पावर टिलर बैलों से चलने वाले हल की जगह ले रहे हैं, लेकिन उन्हें चलाना बोझिल है. दूसरी ओर ट्रैक्टर छोटे किसानों के लिए काफी महंगे हैं.

इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए  सीएसआईआर-केंद्रीय यांत्रिक इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-सीएमईआरआई) ने डीएसटी के एसईईडी प्रभाग के सहयोग से सीमांत और छोटे किसानों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए कम हौर्सपावर रेंज का एक कौम्पैक्ट, किफायती और आसानी से चलने वाला ट्रैक्टर विकसित किया है.

उन्होंने कई मौजूदा एसएचजी के बीच इस तकनीक को बढ़ावा दिया है और इस तकनीक के लिए विशेष रूप से नए एसएचजी बनाने के प्रयास किए गए हैं. सीएसआईआर-सीएमईआरआई बड़े पैमाने पर निर्माण के लिए स्थानीय कंपनियों को इस का लाइसैंस देने पर भी विचार कर रहा है, ताकि इस का लाभ स्थानीय किसानों तक पहुंच सके.

ट्रैक्टर को 9 एचपी डीजल इंजन के साथ विकसित किया गया है, जिस में 8 फौरवर्ड और 2 रिवर्स स्पीड, 540 आरपीएम पर 6 स्प्लिन के साथ पीटीओ है. ट्रैक्टर का कुल वजन लगभग 450 किलोग्राम है, जिस में आगे और पीछे के पहिए का आकार क्रमशः 4.5-10 और 6-16 है. व्हीलबेस, ग्राउंड क्लीयरेंस और टर्निंग रेडियस क्रमशः 1200 मिमी., 255 मिमी. और 1.75 मीटर है. इस से खेती में तेजी आएगी, बैलगाड़ी से खेती करने में लगने वाले कई दिनों की तुलना में खेती कुछ ही घंटों में हो जाएगी और किसानों की पूंजी और रखरखाव लागत भी कम हो जाएगी. इसलिए, छोटे और सीमांत किसानों के लिए बैल से चलने वाले हल की जगह किफायती कौम्पैक्ट ट्रैक्टर ले सकता है.

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