नई दिल्ली: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के उपमहानिदेशक डा. एसएन झा ने कृषि संरचना एवं पर्यावरण प्रबंधन में प्लास्टिक के अभियांत्रिकी पर अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना की 19वीं कार्यशाला के उद्बोधन में कहा कि राजस्थान में कृषि अभियंताओं ने जल ग्रहण विभाग में काफी अच्छे काम किए हैं, जिसे राजस्थान के किसानों को बहुत फायदा हुआ है. राजस्थान में कृषि यंत्रीकरण पर कोई खास ध्यान नहीं दिया जा रहा, राजस्थान सरकार को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है.
वर्तमान में दुनियाभर में कृषि उत्पादन के प्रसंस्करण एवं प्रबंधन पर ध्यान दिया जा रहा है, राजस्थान में भी कृषि उत्पाद की प्रोसैसिंग पर ध्यान दे कर किसानों की आय में वृद्धि की जा सकती है.
वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए हमें 75 फीसदी फार्म को मेकैनाइज करना होगा, क्योंकि भविष्य में युवा खेती के काम करने के लिए कम ही उपलब्ध रहेंगे. राजस्थान के किसानों का भविष्य सुधारने एवं किसानों की आय बढ़ाने के लिए राजस्थान सरकार से अनुरोध है कि राजस्थान के किसानों की खेती को आसान एवं प्रोफिटेबल बनाने एवं भविष्य में सब से आगे रहने के लिए राजस्थान में पृथक से कृषि अभियांत्रिकी विभाग हो, जो डायरैक्ट कृषि अभियांत्रिकी के अंतर्गत हो.
डा. एसएन झा ने आगे बताया कि भारत सरकार के कृषि मंत्री द्वारा भी राजस्थान के मुख्यमंत्री से निवेदन किया है कि कृषि अभियांत्रिकी विभाग अलग से बनाया जाए, भारत सरकार की कृषि पर संसद की स्थाई समिति ने भी अनुशंसा की है कि हर पंचायत स्तर पर कृषि यांत्रिकीकरण को बढ़ावा दिया जाए.
इस के लिए प्रत्येक पंचायत स्तर एवं ब्लौक स्तर पर कृषि अभियंता की पृथक से कृषि अभियांत्रिकी विभाग बना कर नियुक्ति की जाए, जिस से किसानों के खेत का आधुनिक यांत्रिकीकरण होगा एवं उन के उत्पाद की प्रोसैसिंग हो कर वैल्यू एडिशन होने से उन को अधिक पैदावार एवं अधिक आय होगी. किसानों के खेत में मेकैनाइजेशन प्रोसैसिंग एवं वैल्यू एडिशन से आय दोगुनी.
इसलिए राजस्थान सरकार को भी अन्य राज्यों की तरह पर्थक से कृषि अभियांत्रिकी विभाग का गठन करना चाहिए. वर्तमान में मध्य प्रदेश और तमिलनाडु में अलग से विभाग बना हुआ है और छत्तीसगढ़ में हाल ही में अलग से विभाग के गठन करने की घोषणा की है.
कृषि अभियांत्रिकी विभाग मुख्य तौर से किसानों को दी जाने वाले सभी तकनीक आदान को सीधे तौर पर किसान के खेतों तक पहुंचाना, गुणवत्ता बनाए रखना, खेतों को यांत्रिकीकरण करवाना एवं उन के उत्पादों की प्रोसैसिंग, मूल्यवर्धन कराना, किसानों को प्रशिक्षण सहित सभी समस्याओं का निवारण पंचायत और ब्लौक लैवल पर कर भारत सरकार के मिशन 2047 के अनुसार 75 फीसदी फार्म को पूरी तरह से मेकैनाइज्ड फार्म में परिवर्तित कर के अहम भूमिका निभाएंगे. जो वर्तमान में बढ़ती आबादी की दर एवं अन्य रिसोर्सेसन की होती कमी को ध्यान में रखते हुए देश को आत्मनिर्भर बनाएंगे.
कार्यशाला का आयोजन एमपीयूएटी, उदयपुर एवं सीफेट, लुधियाना के संयुक्त तत्वाधान में किया गया. कार्यशाला में परियोजना के देशभर में 14 केंद्र ने सालभर के प्रतिवेदन प्रस्तुत किए. कार्यशाला के मुख्य अतिथि डा. अजीत कुमार कर्नाटक, कुलपति, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर ने बताया कि प्लास्टिक का विवेकपूर्ण उपयोग कृषि के क्षेत्र में वरदान सिद्ध हो रहा है. निश्चित ही प्लास्टिक का पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव रहता है, परंतु इस का विवेकपूर्ण उपयोग अन्य पदार्थों का एक सस्ते विकल्प के रूप में अपनी पहचान पूरे विश्व में बन चुका है.
उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद एवं राज्य कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक संयुक्त रूप से उत्कृष्ट काम कर रहे हैं. नतीजतन, भारत आज खाद्य पदार्थों के उत्पादन में आत्मनिर्भर तो हो ही चुका है और निर्यात में भी नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है.
डा. के. नरसिया, अतिरिक्त निदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने वैज्ञानिकों से तकनीकी नवाचार करने एवं उस के आर्थिक पक्ष को संज्ञान में रखते हुए लागत कम करने का आह्वान किया. डा. नचिकेत कोतवालीवाले, निर्देशक सीफेट, लुधियाना ने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि जनमानस में प्लास्टिक को ले कर काफी भ्रांतियां हैं, जबकि विवेकपूर्ण व जिम्मेदारीपूर्वक उपयोग प्लास्टिक की उपयोगिता को बढ़ाता है.
डा. नचिकेत ने वैज्ञानिकों को बहुआयामी अनुसंधान कार्यों को एक छत के नीचे ला कर सामूहिक प्रयास करने के लिए प्रेरित किया. कार्यालय में डा. राकेश शारदा, परियोजना समन्वयक, सीफेट, लुधियाना ने परियोजना का वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया, जिस में उन्होंने नई तकनीकियों की जानकारी दी.
कार्यशाला में टीबीएस राजपूत, पूर्व परियोजना निदेशक, भारतीय जल प्रबंधन संस्थान, नई दिल्ली एवं इंजीनियर आनंद झांबरे, कार्यकारी निदेशक, एनसीपीएएच, नई दिल्ली विशेषज्ञ के रूप में भाग ले रहे हैं, जो कि नई परियोजनाओं एवं वार्षिक प्रतिवेदन की समीक्षा करेंगे.