हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक और उपलब्धि को विश्वविद्यालय के नाम किया है. विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई ड्रायर, डी हस्कर और पौलिशर के साथ एकीकृत धान थ्रैशर मशीन को भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय की ओर से पेटेंट मिल गया है.

विश्वविद्यालय के कृषि अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित यह मशीन किसानों के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित होगी. मशीन का आविष्कार महाविद्यालय के फार्म मशीनरी और पावर इंजीनियरिंग विभाग के डा. मुकेश जैन, आईसीएआर के पूर्व एडीजी डा. कंचन के. सिंह और आईआईटी दिल्ली की प्रो. सत्या की अगुआई में किया गया. इस मशीन को भारत सरकार की ओर से इस का प्रमाणपत्र मिल गया है.

वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत का नतीजा है विश्वविद्यालय की उपलब्धियां

कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने कहा कि विश्वविद्यालय को लगातार मिल रही उपलब्धियां यहां के वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत का ही नतीजा हैं. विकसित की गई इस नई तकनीक के लिए पेटेंट मिलने पर उन्होंने सभी वैज्ञानिकों को बधाई दी.

उन्होंने कहा कि यह बहुत ही गौरव की बात है कि इस तरह की तकनीकों के विकास में सकारात्मक प्रयासों को विश्वविद्यालय हमेशा प्रोत्साहित करता रहता है.

वैज्ञानिकों की सराहना करते हुए उन्होंने भविष्य में भी इसी प्रकार निरंतर प्रयास जारी रखने की अपील की.

उन्होंने आगे कहा कि चावल लोगों के मुख्य खाद्य पदार्थों में शामिल है. अब किसान खेत में ही मशीन का उपयोग कर के धान के दानों को फसल से अलग कर सकेंगे, सुखा सकेंगे, भूसी निकाल सकेंगे (भूरे चावल के लिए) और पौलिश कर सकेंगे (सफेद चावल के लिए). पहले किसानों को धान से चावल निकालने के लिए मिल में जाना पड़ता था. अभी तक खेत में ही चावल निकालने की कोई मशीन नहीं थी. अब किसान अपने घर के खाने के लिए भी ब्राउन राइस (भूरे चावल) निकाल सकेंगे. सफेद चावल की तुलना में इस में ज्यादा पोषक तत्व होते हैं, क्योंकि यह किसी रिफाइन या पौलिश प्रक्रिया से नहीं गुजरता. सिर्फ इस के ऊपर से धान के छिलके उतारे जाते हैं. इस से शरीर को पर्याप्त मात्रा में कैलोरी मिलती है. साथ ही, यह फाइबर, विटामिन और मिनरल्स का एक अच्छा स्रोत है. ब्राउन राइस खाने से कोलेस्ट्रोल नियंत्रित रहता है. यह मधुमेह, वजन और हड्डियों को तंदुरुस्त रखने के साथसाथ रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है.

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