वर्गीकरण एक महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है. वर्गीकृत आलू के बाजार में अपेक्षाकृत अच्छे दाम मिल जाते हैं. विभिन्न प्रकार के जालीनुमा ग्रेडर उपलब्ध हैं, जिन से आलू की ग्रेडिंग की जा सकती है. रबड़ बैल्ट की जालीनुमा ग्रेडर बहुत ही प्रचलित उपकरण है, जिस में रबड़ बैल्ट पर अलगअलग आकार के गड्ढे बने होते हैं, जिस से आलू आकार के अनुसार वर्गीकृत किए जाते हैं.

खयाल रहे कि गे्रडिंग से पहले आलू के ढेरों को अच्छी तरह ढक कर 15-20 दिनों के लिए रखा जाना जरूरी है. इस से छिलका पक जाता है और ग्रेडिंग के समय आलू छिलने से नुकसान नहीं होता. यह मशीन एक घंटे में तकरीबन 40-60 क्विंटल आलू का वर्गीकरण कर सकती है.

मजदूरों द्वारा छंटाई करने पर ज्यादा समय लगता है. बीज के लिए अलग, बाजार के लिए अलग और स्टोरेज के लिए अलग आलू की छंटाई करनी होती है. अगर हम आलू के ढेर को ज्यादा समय तक खेत में खुला छोड़ देंगे, तो उन पर सूरज की रोशनी पड़ने से वे हरे हो जाते हैं, इसलिए आलू के ढेर को कपड़े, टाट या बोरी से ढक देना चाहिए, जिस से हवा तो पास हो, लेकिन धूप न लगे. हवा लगने के बाद जब आलू की मिट्टी सूख जाए, तो उन की छंटाई करनी चाहिए. बड़े, मध्यम व छोटे आलू को बाजार में भेज दिया जाता है. बीज के लिए मध्यम आकार के आलू ठीक रहते हैं. उन्हें अगले साल के बीज के लिए कोल्ड स्टोर में रख लिया जाता है.

अमन विश्वकर्मा की आलू ग्रेडिंग मशीन

आलू छंटाई मशीन को ट्रैक्टर से जोड़ कर एक जगह से दूसरी जगह तक आसानी से ले जाया जा सकता है. आलू छंटाई मशीन के काम करने की कूवत 40 से 50 क्विंटल प्रति घंटा है. यह मशीन आलू की 4 साइजों में छंटाई करती है. पहले भाग में 20 से 35 मिलीमीटर, दूसरे भाग में 35 से 45 मिलीमीटर, तीसरे भाग में 45 से 55 मिलीमीटर और चौथे व आखिरी भाग में सब से बड़े आकार के आलू छंटते हैं.

इस मशीन की खास बात यह है कि ग्रेडिंग करते समय आलू को किसी तरह का नुकसान नहीं होता. जैसा आलू डालोगे, वैसा ही निकलेगा. आलू छंटाई के दौरान ही सीधे बोरे में भरा जाता है. बोरों को मशीन से लगा दिया जाता है, जिस की सुविधा मशीन में की गई है.

इस मशीन के बारे में और ज्यादा जानकारी के लिए आप मोबाइल नंबर 09813048612 व 09896822103 पर बात कर सकते हैं.

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