यह उन्नत किस्म का जुताई यंत्र है. जुताई के दौरान यह बड़ेबड़े ढेलों को तोड़ने के अलावा खरपतवारों को जड़ से उखाड़ता है. यह एक ही बार में मिट्टी को भुरभुरी और बोआई योग्य बना देता है.
रोटावेटर कैसे काम करता है:
रोटावेटर स्टील फ्रेम का बना होता है जिस पर रोटरी शाफ्ट ब्लेड के साथ और शक्ति स्थानांतरण प्रणाली गियर बौक्स के साथ जुड़े होते हैं. इस में अंगरेजी के ‘एल’ आकार की तरह के ब्लेड होते हैं जो कार्बन स्टील या मिश्रित स्टील के बने होते हैं. पीटीओ अक्ष की घूर्णन गति से शक्ति का स्थानांतरण गियर बौक्स होते हुए ब्लेड को मिलता है.
रोटावेटर की मदद से मिट्टी को ज्यादा भुरभुरा बनाया जा सकता है. कल्टीवेटर की 2 बार की जुताई इस की एक बार की जुताई के बराबर होती है. इस से ट्रैक्टर चालित हल की तुलना में 60 फीसदी मजदूर की बचत, 40-50 फीसदी संचालन के खर्च में बचत और उपज में 2-3 फीसदी की बढ़ोतरी होती है.
रोटावेटर के लाभ
* इस में अंगरेजी के ‘एल’ आकार के ब्लेड होते हैं जो मिट्टी की ऊपरी और निचली परत को आसानी से काट कर मिट्टी को भुरभुरा बना देता है, वह भी मिट्टी की परत पर अतिरिक्त दबाव डाले बिना.
* फसलों और पौधों की जड़ों को बिना किसी प्रतिरोध के प्रसार करने में मदद मिलती है और बेहतर विकास और उपज देती है.
* मिश्रण के द्वारा निचली परत तक पोषक तत्त्व पहुंचता है और मिट्टी के पोषण तत्त्वों को फिर से जिंदा करने में मदद करता है.
* इस से मिट्टी की जड़ों तक औक्सीजन आसानी से पहुंचता है जो फसलों और पौधों के लिए जरूरी है. इस वजह से फसल की बढ़वार और पैदावार अच्छी होती है.
* जमीन में उग आए खरपतवार और दूसरे अवशेषों को काट कर जमीन में मिला देता है. इस से मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा बढ़ जाती है और उपज अच्छी होती है.
* खेत में एक बार ही रोटावेटर से जुताई करने से खेत बोआई लायक हो जाता है और समय व पैसे की बचत होती है.
* खेत में ढेले नहीं बनते, जिस से अंकुरण अच्छा होता है.
* यह मशीन पिछली फसल कटने के बाद जो अवशेष खेत में रह जाते हैं, उन्हें जड़ से खोद कर अच्छी तरह से मिट्टी में मिला देती है.