अमूमन बीज की बोआई छिटकवां तरीके से या कृषि यंत्रों द्वारा की जाती है. छिटकवां तरीके में बीज खेत में एकसमान नहीं गिरता और न ही सही गहराई पर पहुंच पाता है. इस से फसल में अंकुरण भी सही नहीं होता. इस का सीधा असर फसल की पैदावार पर पड़ता है.

खास बात यह है कि कुछ फसलों में निराईगुड़ाई की जरूरत पड़ती है, पर वह भी ठीक तरीके से नहीं हो पाती. जबकि कृषि यंत्रों द्वारा बीज की बोआई की जाए तो खेत में बीज तय दूरी पर और सही गहराई पर गिरता है.

साथ ही, बोआई भी लाइनों में ही होती है. इस का फायदा खेत में निराईगुड़ाई के समय भी होता है.

लाइन में बोई गई फसल में निराईगुड़ाई भी आसानी से होती है. इतना ही नहीं, निराईगुड़ाई यंत्रों का भी इस्तेमाल बेहतर तरीके से किया जाता है और अच्छी पैदावार मिलती है.

खेत में बोआई के लिए अनेक तरह के कृषि यंत्र मौजूद हैं. इन में से किसान अपनी सुविधानुसार चुन कर खरीद सकता है. जिन किसानों के पास ट्रैक्टर मौजूद हैं, उन के लिए आटोमैटिक सीड ड्रिल यंत्र बेहतर है. आजकल इन यंत्रों द्वारा खेत में बीज के साथसाथ खाद भी डाली जाती है, जिन्हें हम सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल मशीन कहते हैं.

सीड ड्रिल द्वारा एकसाथ कई लाइनों में बोआई की जा सकती है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि यंत्र कितनी लाइनों में बोआई करने वाला है.

आमतौर पर 5, 7, 9, 11 लाइनों में बोआई करने वाले यंत्र मौजूद हैं. इन यंत्रों में लाइन से लाइन की दूरी और बीज गिरने की गहराई फसल के हिसाब से घटाईबढ़ाई जा सकती है. इन बोआई यंत्र को इस्तेमाल करने के लिए 35 हौर्सपावर से ज्यादा हौर्सपावर के ट्रैक्टर की जरूरत पड़ती है.

अनेक फसलोें के लिए उपयोगी

इस यंत्र से गेहूं, चना, मक्का, सोयाबीन, जीरा, सूरजमुखी, धान की सीधी बोआई तकनीक, कपास वगैरह अनाज की बोआई आसानी से की जा सकती है.

इन कृषि यंत्रों पर सरकार द्वारा सब्सिडी भी दी जाती है. प्रदेश सरकारें भी इस के तहत किसानों को छूट देती हैं, इसलिए सब से पहले किसान यह तय कर ले कि उसे कौन सी मशीन, किस कंपनी की खरीदनी है. इस के लिए अन्य जानकार किसानों से सलाहमशवरा लें. इस के बाद वह कृषि यंत्र पर सरकारी छूट पाने के लिए अपने जिले या ब्लौक स्तर पर कृषि कार्यालय में अधिकारियों से मिले. सरकार द्वारा कितनी छूट दी जा रही है, इस की जानकारी वहां से मिल जाएगी और मशीन की जानकारी में बड़ी कंपनियों के कृषि यंत्रों की जानकारी इंटरनैट पर भी मिल जाती है.

भारत एग्रो की सीड ड्रिल मशीनें

भारत एग्रो सीड ड्रिल में 9 तरह के मौडल उपलब्ध हैं, जिस में 5 मौडल ट्रैक्टर से चलते हैं.

रैगुलर मौडल सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल

इस मौडल से 9 लाइनों के खादबीज डाला जाता है. इस में 18 पाइप लगे हैं. इन पाइपों के जरीए ही ऊपर लगे  बौक्स (हौपर) से खाद व बीज खेत में गिरता है.

खादबीज के लिए 63 इंच लंबाई में 2 बौक्स (हौपर) लगे होते हैं. इन में लगभग 50 किलोग्राम बीज और 55 किलोग्राम फर्टिलाइजर अलगअलग डाला जा सकता है.

वैसे, इस यंत्र का औसतन वजन 310 किलोग्राम है और इसे 35 हौर्सपावर के अधिक हौर्सपावर में टै्रक्टर द्वारा चलाया जा सकता है.

इस के अलावा 9 लाइनों में बोआई करने वाला ‘हुबली मौडल’ और 7 व 11 लाइनों में बोआई करने वाला आटोमैटिक सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल भी मौजूद है.

स्प्रिंगटाइप कल्टीवेटर

यह आटोमैटिक सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल 9 लाइनों में बोआई करता है. इस में कल्टीवेटर तकनीक का इस्तेमाल है, इसीलिए इस मौडल को स्प्रिंगटाइप कल्टीवेटर कहा गया है.

सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल

छोटे साइज के ट्रैक्टर के साथ इस्तेमाल होने वाला यह सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल 5 लाइनों में बोआई करता है, जिस में 34 इंच लंबाई के खादबीज के लिए बौक्स (हौपर) लगे हैं.

पावर टिलर चालित सीड ड्रिल 5 लाइनों में बोआई करने वाले इस सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल को पावर टिलर द्वारा इस्तेमाल किया जाता है. छोटी जोत व पहाड़ी इलाकों के किसानों के लिए यह अच्छा यंत्र है.

हाथ से चलने वाला सीड ड्रिल

कुछ खास फसलों के लिए भारत एग्रो का हाथ से चलने वाला आटोमैटिक बोआई यंत्र भी है. यह एक लाइन में केवल बोआई करता है. इसे सब्जी की खेती में बोआई के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.

इन मौडलों के अलावा पशु चालित सीड ड्रिल भी आते हैं. इसलिए किसान अपनी जरूरत के अनुसार यंत्र का चुनाव कर सकते हैं. इन में कुछ दूसरे मौडल भी हैं, जैसे मिनी पावर वीडर आटोमैटिक सीड ड्रिल 9 दांतों वाला, 17 दांतों वालों एमपी मौडल, 8 दांतों वाला एपी मौडल और 17 दांत वाला कोटा मौडल भी मौजूद है.

इन कृषि यंत्रों के बारे अधिक जानकारी हासिल करने के लिए आप फोन नंबर 02827-253858 या फिर मोबाइल नंबर 09428035616, 09427733881 पर बात कर सकते हैं.

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