भागलपुर : इस दोदिवसीय बैठक में एफएओ और यूएनओ जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं मे देश का मान बढ़ा चुके जानेमाने वैज्ञानिक डा. राम चेत चौधरी और डा. मान सिंह, पूर्व परियोजना निदेशक, जल प्रौद्योगिकी केंद्र, आईएआरआई, नई दिल्ली विशेषज्ञ के तौर पर शिरकत कर रहे हैं. विभिन्न जिलों से आए प्रगतिशील किसान प्रीति कुमारी (कटिहार), ओंकार प्रसाद महतो (लखीसराय) और अविनाश कुमार (औरंगाबाद) भी उद्घाटन सत्र का हिस्सा रहे. डा. अनिल कुमार सिंह, निदेशक अनुसंधान, बीएयू, सबौर ने अतिथियों का स्वागत किया और विश्वविद्यालय में चल रही अनुसंधान गतिविधियों को प्रस्तुत किया.

उन्होंने बताया कि बीएयू द्वारा अभी तक विभिन्न फसलों के 35 उन्नतशील प्रभेदों का विकास किया जा चुका है. वहीं विश्वविध्यालय द्वारा कृषि के विभिन्न क्षेत्रों में 67 तकनीकों को भी विकसित एवं विमोकित कर किसानों को समर्पित किया गया है.

विशेषज्ञ वैज्ञानिक डा. मान सिंह ने बीएयू के राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लगातार बढ़ रहे कद के लिए कुलपति डा. डीआर सिंह की दूरदर्शिता एवं किसानों के लिए उन की सोच की सराहना की, जिस से बिहार में प्रयोगशाला से खेत तक (लैब टु लैंड) का सपना साकार होता नजर आ रहा है.

विशेषज्ञ वैज्ञानिक डा. आरसी चौधरी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि उन का बीएयू से जुड़ाव बहुत पुराना है, जब उन्होंने एआरआई पटना को बतौर क्षेत्रीय प्रबंधक साल 1979 में जौइन किया था. उन्होंने विश्वविध्यालय के मीडिया सेंटर द्वारा किए जा रहे उत्कृष्ट कार्यों की सराहना की.

बैठक में आईआरसी, इस्लामपुर के वैज्ञानिक डा. शिवनाथ दास द्वारा औषधीय पौधों से संबंधित 3 प्रकाशनों का भी विमोचन किया गया.

research council

बीएयू के कुलपति डा. डीआर सिंह ने अध्यक्षीय संबोधन में वैज्ञानिकों द्वारा किए गए कामों की सराहना करते हुए कहा कि देश में पहली बार किसी विश्वविद्यालय से जुड़े किसानों को इतनी बड़ी संख्या में एकसाथ राष्ट्रीय पादप जीनोम सेवियर पुरस्कार मिले हैं.

उन्होंने आगे बताया कि बीएयू को 3 पेटेंट्स मिल चुके हैं और हाल ही में विकसित 4 फसल प्रभेदों और अन्य कृषि तकनीकों को भी विकसित किया गया है, जो राज्य के किसानों को समर्पित किए जा चुके हैं. इस के अलावा कतरनी धान और जरदालू आम के पैकेजिंग को भी मूर्त रूप दिया गया है, जो इन बहुमूल्य कृषि उत्पादों की बढ़ोतरी में सहायक सिद्ध होंगे.

उन्होंने वैज्ञानिकों को प्राकृतिक संसाधनों पर बढ़ते दबाव और उन की गुणवत्ता में गिरावट, कुपोषण, व्यावसायीकरण और विविधीकरण, अधिक पोषक मूल्य वाले भोजन में परिवर्तन जैसे 7 प्रमुख क्षेत्रों पर काम करने की जरूरत पर बल दिया. तत्पश्चात अलगअलग कृषि जलवायु क्षेत्रों के अनुसार क्षेत्रीय अनुसंधान एवं सलाहकार समिति की बैठक की कार्रवाही का प्रस्तुतीकरण डा. एसएन राय, प्राचार्य, बिहार कृषि महाविध्यालय जोन-3ए) डा. रणधीर कुमार, क्षेत्रीय प्रबंधक, एआरआई, पटना (जोन-3बी), और डा. अरुणिमा कुमारी, प्राचार्या, एमबीएसी, अगवानपुर सहरसा (जोन-2) द्वारा किया गया. इन में जोन- 3बी के लिए दोदिवसीय शोध परिषद मे बीएयू में चल रहे विभिन्न शोध परियोजनाओं के प्रगति प्रतिवेदन पर चर्चा होने के साथ ही धान और गेहूं के 1-1 प्रभेद और 3 उन्नत कृषि तकनीकों के संस्तुतीकरण किए जाने की संभावना है.

सभा के उद्घाटन सत्र का धन्यवाद ज्ञापन उपनिदेशक शोध डा. शेलबाला डे द्वारा प्रस्तुत किया गया.

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