पटना : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण व ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पटना में कृषि भवन में किसानों के साथ परिचर्चा की. उन्होंने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. प्रधानमंत्री मोदी ने भी लालकिले से कहा है कि वो तीन गुना तेजी से काम करेंगे. वे बिहार की सरकार, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और कृषि विभाग को बधाई देना चाहते हैं. वे लगातार किसान के कल्याण के काम में लगे हुए हैं. उन्होंने स्टाल देखे, मखाना, चावल, शहद, मक्का, चाय सबकुछ अद्भुत है. बड़ी जमीन के टुकड़े हमारे पास नहीं हैं, 91 फीसदी सीमांत किसान हैं. लेकिन फिर भी किसान अद्भुत काम कर रहे हैं.
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हमारे किसानों के लिए 6 सूत्र हैं, जिन पर हम काम कर रहे हैं. उत्पादन बढ़ाना, इस के लिए जरूरी है अच्छे बीज. उत्पादन अच्छा है, लेकिन और भी अधिक संभावना है. फल, सब्जी, अनाज, दलहन, तिलहन के अच्छे बीज जरूरी हैं. 65 फसलों की 109 प्रजातियों के बीज प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों को समर्पित किए हैं. ऐसी धान की किस्म है, जिस में 30 फीसदी कम पानी लगता है. बाजरे की एक किस्म है, जिस की फसल 70 दिन में आ जाती है. ऐसे बीज हैं, जो जलवायु के अनुकूल हैं. बढ़ते तापमान में भी अच्छा उत्पादन देते हैं. वे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) में बात करेंगे, जिस से यहां किसानों को बीज की उपलब्धता हो जाए.
उन्होंने आगे कहा कि उत्पादन की लागत घटाना हमारा दूसरा संकल्प है. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से किसानों को बहुत मदद मिलती है. किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) से खाद के लिए सस्ता लोन मिल जाता है. तीसरी चीज है उत्पादन के ठीक दाम मिल जाएं. यहां का मखाना धूम मचा रहा है. मखाना एक्सपोर्ट क्वालिटी का पैदा हो रहा है. चीजें एक्सपोर्ट होती हैं, तो किसान को ज्यादा फायदा होता है. इस से जुड़ा कार्यालय बिहार में आए, इस के लिए वे प्रयास करेंगे.
उन्होंने आगे यह भी कहा कि कृषि का विविधीकरण सरकार के रोडमैप में है. परंपरागत फसलों के साथ ही ज्यादा पैसे देने वाली फसलों को बढ़ावा देने में हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. वे फूड प्रोसैसिंग की बात भी करना चाहेंगे. बिहार का टैलेंट दुनिया में अद्भुत है. इस टैलेंट का ठीक उपयोग बिहार को भारत का सिरमौर नहीं बनाएगा, भारत को दुनिया का सिरमौर बना देगा. इसे खेती में और कैसे लगा सकते हैं, नए आइडियाज के साथ. कैमिकल फर्टिलाइजर का उपयोग आखिर हम कब तक करेंगे. इस से उर्वरक क्षमता भी कम होती है और जो उत्पादन होता है, उन का शरीर पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है. आजकल केंचुए गायब हो गए हैं. खाद डाल कर उन का समापन ही कर दिया. केंचुआ 50-60 फीट जमीन के नीचे जाता है, ऊपर आता है, इस से जमीन उर्वरक रहती है.
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में प्राकृतिक खेती का मिशन शुरू हो रहा है. इस से उत्पादन घटेगा नहीं, बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि अगली बार खेतों में ही कार्यक्रम करेंगे, प्रैक्टिकल दिक्कत भी देखेंगे. किसान के बिना दुनिया नहीं चल सकती है. बाकी चीजें तो फैक्टरी में बन जाएंगी, लेकिन गेहूंचावल कहां से लाओगे? हम सब मिल कर काम करेंगे.