हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के इंदिरा गांधी सभागार में “21वीं शताब्दी में कृषि का भविष्य” विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिस में मुख्य वक्ता के रूप में यूनिवर्सिटी औफ इलिनोईस, यूएसए के चांसलर डा. रोबर्ट जे. जौंस रहे, जबकि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की.
इस व्याख्यान का आयोजन चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय और यूनिवर्सिटी औफ इलिनोईस, यूएसए द्वारा संयुक्त रूप से किया गया.
मुख्य वक्ता डा. रोबर्ट जे. जौंस ने जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा व सतत कृषि विकास जैसे मुद्दों को चुनौतीपूर्ण बताया.
उन्होंने जलवायु परिवर्तन पर जोर देते हुए कहा कि विश्व में बढ़ती आबादी के लिए जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव चिंतनीय हो सकते हैं. जलवायु परिवर्तन से हो रहे दुष्प्रभावों से निबटने के लिए न केवल पौलिसी प्लानर, बल्कि किसानों व आम जनता को भी सतर्क रहने की जरूरत है. कृषि क्षेत्र में उपयुक्त फसल, किस्म का चुनाव, कृषि पद्धतियों का सही इस्तेमाल व नवीनतम तरीके जलवायु परिवर्तन से निबटने में बेहतर भूमिका निभा सकते है. जलवायु परिवर्तन के परिवेश में छोटी जोत वाले किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए खाद्यान्न एवं पोषण की सुरक्षा व स्थिरता को बनाए रखना जरूरी है.
उन्होंने आगे बताया कि जलवायु परिवर्तन किसानों व वैज्ञानिकों के लिए एक चिंता का विषय बन गया है. जलवायु परिवर्तन अब ग्लोबल वार्मिंग तक सीमित नही रहा, इस के मौसम में आने वाले अप्रत्याशित बदलाव जैसे आंधी, तूफान, सूखापन, बाढ़ इत्यादि शामिल है. असमय तापमान का बढऩा कृषि उत्पादन में प्रभाव डालता है, इसलिए जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निबटने के लिए अनुकूल रणनीतियों जैसे कि बढ़ते तापमान व सूखापन के अनुकूल किस्में, मिट्टी की नमी का संरक्षण, पानी की उपलब्धता, रोगरहित किस्में, फसल विविधीकरण, मौसम का भविष्य आकंलन, टिकाऊ फसल उत्पादन प्रबंधन को अपनाने की आवश्यकता है.
आधुनिक तकनीकों से खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना प्राथमिकता
कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि तीव्र गति से बढ़ रही जनसंख्या की भोजन और पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कृषि उत्पादन बढ़ाना 21वीं सदी की एक प्रमुख चुनौती है. वैश्विक जलवायु परिवर्तन के खतरे ने वैज्ञानिकों में चिंता पैदा कर दी है, क्योंकि इस से फसल उत्पादन गंभीर रूप से प्रभावित होता है.
उन्होंने कहा कि हरियाणा प्रदेश में कृषि क्षेत्र अर्थव्यवस्था में प्रमुख भूमिका निभाता है, क्योंकि यह राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 14.1 फीसदी का योगदान देता है. यह क्षेत्र राज्य की लगभग 51 फीसदी कामकाजी आबादी को रोजगार भी प्रदान करता है. कृषि क्षेत्र की इस स्थिति में हरियाणा सरकार की किसान हितैषी नीतियों, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की ओर से तकनीकी सहायता और नवीनतम कृषि प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए प्रदेश के किसानों की इच्छा का बहुत बड़ा योगदान है.
उन्होंने कृषि विकास के लिए भविष्य की योजना पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमारा दृष्टिकोण पर्यावरण को संरक्षित करते हुए प्रति इकाई क्षेत्र में उत्पादकता क्षमता को बढ़ाने का है.
उन्होंने आधुनिक तकनीकों एवं नवाचारों का प्रयोग करते हुए खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना विश्वविद्यालय की प्राथमिकता बताया.
यूनिवर्सिटी औफ इलिनोईस के कृषि उपभोक्ता एवं पर्यावरण विज्ञान महाविद्यालय के अधिष्ठाता जर्मन बालेरो ने कृषि से जुड़ी चुनौतियों जैसे फसल विविधीकरण, सतत कृषि विकास, उत्पादन में वृद्धि व पर्यावरण परिवर्तन पर चर्चा करते हुए कहा कि इन समस्याओं को प्राकृतिक खेती, कृषि से जुड़ी उच्च स्तरीय तकनीकें, उन्नत किस्में व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर हल किया जा सकता है.
उन्होंने आगे कहा कि हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय व यूनिवर्सिटी औफ इलिनोईस द्वारा संयुक्त रूप से शोध कार्य कर भविष्य में कृषि के क्षेत्र में बदलाव लाया जा सकता है.
कृषि एवं जैविक इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. विजय सिंह ने बताया कि विश्व के सतत विकास के लिए पौष्टिक अनाज व नवीनीकरणीय ऊर्जा पर काम करने की जरूरत है. वहीं स्नाकोत्तर शिक्षा के अधिष्ठाता एवं आईडीपी के प्रमुख अन्वेशक डा. केडी शर्मा ने सभी का स्वागत किया, जबकि मंच संचालन डा. जयंति टोकस ने किया.
इस अवसर पर मुख्य वक्ता डा. रोबर्ट जे. जौंस के साथ शिष्टमंडल में यूनिवर्सिटी औफ इलिनोईस के वरिष्ठ कार्यकारी सहकुलपति शोध एवं नवाचार मेलैनी लूट्स, कारपोरेट एवं आर्थिक विकास मामलों के कार्यकारी सहकुलपति प्रदीप खन्ना, वाइस प्रोवोस्ट फौर ग्लोबल अफेयर एंड स्ट्रेटजी रिटूमेटसे, कृषि एवं उपभोक्ता अर्थशास्त्र विभाग के प्रो. मधु खन्ना, कंप्यूटर विज्ञान विभाग के प्रोफेसर
एवं एसोसिएट हेड महेश विश्वनाथन और ग्लोबल रिलेशन, इलिनोईस इंटरनेशनल के निदेशक समर जौंस मौजूद रहे.