नई दिल्ली: भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा जारी तीसरे अग्रिम अनुमान वर्ष 2023-24 के अनुसार, वाणिज्यिक/नकदी फसलों का क्षेत्रफल कृषि वर्ष 2021-22 में 18,214.19 हजार हेक्टेयर से बढ़ कर कृषि वर्ष 2023-24 में 18,935.22 हजार हेक्टेयर हो गया है. पिछले 3 वर्षों का राज्यवार ब्योरा अनुबंध में दिया गया है. निश्चित रूप से वाणिज्यिक/नकदी फसलों (गन्ना, कपास, जूट और मेस्ता) का उत्पादन भी कृषि वर्ष 2021-22 में 4,80,692 हजार टन से बढ़ कर कृषि वर्ष 2023-24 में 4,84,757 हजार टन हो गया है.

नीति आयोग की कार्य समूह की रिपोर्ट, 2018 में कहा गया था कि भविष्य के वर्ष 2032-2033 के लिए खाद्यान्न की मांग और आपूर्ति क्रमशः 337.01 मिलियन टन और 386.25 मिलियन टन होने का अनुमान है, जो दर्शाता है कि खाद्य सुरक्षा के मामले में हमारे समग्र खाद्यान्न की स्थिति बहुत अच्छी रहेगी.

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (डीए एंड एफडब्ल्यू) देश के सभी 28 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मूकश्मीर और लद्दाख) में क्षेत्र विस्तार और उत्पादकता वृद्धि के माध्यम से खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) लागू कर रहा है. इस के अंतर्गत छोटे व सीमांत किसानों सहित किसानों को पद्धतियों के उन्नत पैकेज पर क्लस्टर प्रदर्शन, फसल प्रणाली पर प्रदर्शन, उच्च उपज किस्मों (एचवाईवी)/संकरों के बीजों का वितरण, उन्नत फार्म मशीनरी/संसाधन संरक्षण मशीनरी/औजार, कुशल जल अनुप्रयोग उपकरण, पौधा संरक्षण उपाय, पोषक तत्व प्रबंधन/मृदा सुधार, प्रसंस्करण और कटाई के बाद के उपकरण, किसानों को फसल प्रणाली आधारित प्रशिक्षण आदि जैसे मध्यवर्तनों के लिए राज्य सरकारों के माध्यम से सहायता प्रदान की जाती है. मिशन विषय वस्तु विशेषज्ञों/वैज्ञानिकों के पर्यवेक्षण में किसानों को प्रौद्योगिकी समर्थन और हस्तांतरण के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों (एसएयू)/कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) को सहायता भी प्रदान करता है.

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