Agricultural training : राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, कृषि विभाग, जयपुर एवं अखिल भारतीय कृषिरत महिला अनुसंधान परियोजना, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में झाड़ोल व फलासिया के 10 स्वयं सहायता समूह की लगभग 150 महिला सदस्यों एवं गुडली व लोयरा की 75 महिला सदस्यों ने गत एक माह में राजस्थान की पारंपरिक कला के साथ कृषि के विभिन्न व्यावसायिक प्रशिक्षण जैसे मशरूम की खेती, वर्मी कंपोस्ट, बकरी पालन व मुर्गी पालन पर पूर्णतया प्रायोगिक प्रशिक्षण प्राप्त किए.

परियोजना प्रभारी डा. विशाखा बंसल ने बताया कि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत उन का लक्ष्य साल 2025 से 2027 तक झाड़ोल व फलासिया की 150 महिलाओं को स्वयं सहायता समूह में गठित कर विभिन्न रोजगारों के प्रशिक्षण उपलब्ध करवा कर स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना व स्वयं का रोजगार स्थापित करने में सहायता करना है.

योजना के अंतर्गत अब तक 10 स्वयं सहायता समूहों का गठन कर उन को बैंक से जोड़ दिया गया है और सभी सदस्यों को 5 विधाओं में दो दिवसीय प्राथमिक प्रशिक्षणों के माध्यम से प्रशिक्षित किया जा चुका है.

साल 2026 में इन सभी सदस्यों को स्वरोजगार करने के लिए निरंतर फालोअप प्रशिक्षणों एवं तकनीकी मार्गदर्शन द्वारा प्रेरित किया जाएगा. साथ ही, रोजगार प्रारंभ करने के लिए प्रतापधन किस्म के मुर्गी के चूजों की 20 यूनिट, सिरोही नस्ल के तीन बकरे, मशरूम की 30 यूनिट एवं वर्मी कंपोस्ट की 30 यूनिट प्रोत्साहन स्वरूप दिए जाएंगे. जिस से कि यह महिलाएं सीधे ही स्वरोजगार से जुड़ पाएंगी.

राजस्थान की बांधनी कला के बढ़ते आकर्षण के कारण इस कला का दो दिवसीय प्रायोगिक प्रशिक्षण पिछले दिनों 24 और 25 मार्च, 2025 को अनुसंधान निदेशालय में आयोजित किया गया. यह प्रशिक्षण ख्याति प्राप्त याकूब मोहम्मद मुल्तानी व अंजुम आरा, केंद्रीय सरकार से मान्यता प्राप्त (सीसीआरटी) द्वारा प्रदान किया गया.

प्रशिक्षण में अनुसूचित जनजाति बाहुल्य क्षेत्र झाड़ोल की 30 महिला सदस्यों ने बहुत ही उत्साहपूर्वक भाग लिया. प्रशिक्षण कार्यक्रम में कार्तिक सालवी, प्रमोद कुमार, डा. वंदना जोशी, डा. कुसुम शर्मा व अनुष्का तिवारी का विशेष सहयोग रहा.

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