कोटा : कृषि विश्वविद्यालय, कोटा ने कृषि प्रसार शिक्षा के क्षेत्र में कृषक हितार्थ नवाचारों की तरफ आगे कदम बढाते हुए कई आयाम स्थापित किए हैं. कृषि विश्वविद्यालय, कोटा के अधीन प्रसार शिक्षा इकाइयों के रूप में 6 कृषि विज्ञान केंद्र (कोटा, अंता, बूंदी, झालावाड़, सवाई माधोपुर एवं हिण्डौन सिटी) कार्यरत हैं. विश्वविद्यालय लक्षित तरीके से किसानों एवं अन्य हितधारक केंद्रित दृष्टिकोण के साथ कृषि शिक्षा, अनुसंधान, प्रसार एवं प्रशिक्षण में गुणवत्ता, उत्कृष्टता और प्रासंगिकता प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित कर पिछले 2 सालों में नई पहलों के साथ उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं.
प्रसार शिक्षा निदेशालय के माध्यम से किसानों, किसान महिलाओं, ग्रामीण युवाओं एवं प्रसार कार्यकर्ताओं के लिए नवीन कृषि तकनीकों के प्रचारप्रसार, कौशल एवं उद्यमिता विकास के लिए विभिन्न फसल प्रदर्शन, प्रशिक्षण एवं तकनीकी सलाह प्रदान करता है.
विश्वविद्यालय के कुलपति डा. अभय कुमार व्यास ने गत 2 सालों में किए गए प्रसार कार्यों के लिए नई पहल एवं प्रमुख उपलब्धियों का संक्षिप्त ब्योरा देते हुए बताया कि राजस्थान के राजभवन से लगातार 3 सालों यानी 2022 -24 तक विश्वविद्यालय सामाजिक उत्तरदायित्व (यूएसआर) कार्यक्रम के तहत गोद लिए गए गांवों कनवास और आंवा के विकास के लिए विश्वविद्यालय के काम की सराहना करते हुए प्रशंसापत्र प्रदान किए हैं. इन गोद लिए गांवों में ड्रिप इरिगेशन सिस्टम, उन्नत किस्म के पशुओं का वितरण, फसल व बगीचा प्रबंधन, खाद्य प्रसंस्करण, सिलाई प्रशिक्षण पर प्रशिक्षण दिए गए, जिस से ग्रामीणों की आर्थिक उन्नति के नए आयाम खुले हैं.
कृषि विज्ञान केंद्र, कोटा पर 3.00 करोड़ रुपए की लागत से धनिया, लहसुन प्रसंस्करण और बेकरी उत्पादों के लिए कौमन इनक्यूबेशन सैंटर (सीआईसी) की स्थापना की गई. इस यूनिट पर लघु व दीर्घ अवधि के प्रशिक्षण आयोजित कर युवा ग्रामीणों व किसानों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित एवं लाभान्वित किया गया है.
विश्वविद्यालय की वर्तमान गतिविधियों, उपलब्धियों, मौसम की जानकारी, किसानों और अन्य हितधारकों से संबंधित सलाह और नवाचारों को साझा करने के लिए विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर एक आउटडोर एलईडी डिस्प्ले यूनिट स्थापित की गई है, जिस से हर दिन सैकड़ों लोग लाभान्वित हो रहे हैं.
विश्वविद्यालय द्वारा खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में 200 से अधिक उद्यमी अभी तक तैयार किए गए हैं और 600 युवा, किसानों व किसान महिलाओं को सोयाबीन, लहसुन व मोटा अनाज प्रसंस्करण में प्रशिक्षित किया गया है. ये युवा उद्यमी लगभग 10 हजार से 1.5 लाख प्रति माह आय अर्जित कर के स्वयं की और कोटा क्षेत्र की आर्थिक उन्नति में अपना योगदान दे रहे हैं.
कृषि विज्ञान और कैरियर में रुचि पैदा करने के लिए अनुभवी वैज्ञानिकों के साथ बातचीत करने के लिए स्कूली छात्रों, शिक्षकों और किसान समुदायों को आमंत्रित करने की एक नई पहल की गई है, जिस में अभी तक 10,000 से अधिक छात्रों, शिक्षकों और किसानों को विश्वविद्यालय की विभिन्न अनुसंधान व प्रसार इकाइयों सहित कृषि शिक्षा संग्रहालय का भ्रमण करवाया गया.
16,000 से अधिक किसानों और हितधारकों के लिए तकरीबन 400 क्षमता विकास कार्यक्रम आयोजित किए गए.
12 से 38 फीसदी अधिक उपज और रिटर्न के साथ 2,000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में किसानों के खेतों पर नवीनतम तकनीकों के प्रदर्शन के लिए 5,000 अग्रिम पंक्ति प्रदर्शनों का आयोजन किया गया. विश्वविद्यालय ने तकनीकी सहायता के माध्यम से 21 कृषक उत्पादक संगठनों को सुगमता प्रदान की.
कृषि विश्वविद्यालय, कोटा द्वारा प्रशिक्षित और नवोन्मेषी और प्रगतिशील किसान किशन सुमन को भारत के राष्ट्रपति द्वारा “प्लांट जीनोम सेवियर फार्मर्स रिकौग्निशन -2023” अवार्ड एवं अवधेश मीना को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा प्रतिष्ठित पुरस्कार “इनोवेटिव फार्मर अवार्ड” से सम्मानित किया गया.