हिसार : 19 मार्च, 2025. चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के मृदा विज्ञान विभाग व भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान भोपाल के वैज्ञानिकों की टीम ने अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के अंतर्गत मिट्टी और पौधों में सूक्ष्म और माध्यमिक पोषक तत्वों और प्रदूषक तत्वों की शोध परियोजना में ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) का उपयोग कर के ‘हरियाणा की मिट्टियों में सूक्ष्म एवं गौण पोषक तत्वों का ताल्लुकवार स्तर : एटलस’ शीर्षक के अंतर्गत एटलस प्रकाशित करने पर रजिस्ट्रार औफ कौपीराइट (इंडिया) द्वारा साहित्यिक श्रेणी के अंतर्गत कौपीराइट प्रदान किया गया है.

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने इस एटलस के प्रकाशन के लिए शोधकर्ताओं की पूरी टीम की प्रशंसा की और भविष्य में इस कार्य को जारी रखने के लिए प्रोत्साहित भी किया.

उन्होंने बताया कि मिट्टी एक बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधन है. संसार के समस्त जीवों का अस्तित्व और कल्याण मिट्टी के स्वास्थ्य से अभिभाज्य रूप से जुड़ा हुआ है. कृषि में अधिकतम उत्पादकता के लिए प्रयोग किए जाने वाले रसायन और असंतुलित उर्वरकों के प्रयोग में मिट्टी के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाला है. नतीजतन, मिट्टी में प्रमुख पोषक तत्वों के साथसाथ सूक्ष्म और गौण पोषक तत्वों की सांद्रता में काफी कमी हो गई है, जिस ने कृषि उत्पादकता के साथसाथ उपज की गुणवत्ता को भी प्रभावित किया है. सीमित प्राकृतिक संसाधनों की कमी की वजह से बढ़ती आबादी को पर्याप्त और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने की मांग को पूरा करना एक प्रमुख वैश्विक चिंता बनी हुई है.

उन्होंने आगे बताया कि पिछले कुछ सालों से सूक्ष्म और गौण पोषक तत्वों की कमी ने वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं और अन्य किसान हितधारकों का ध्यान उन के प्रबंधन की ओर आकर्षित किया है. गुणवत्तायुक्त फसल उत्पादन और औसत तत्वों के उचित प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र की पहचान हेतु हरियाणा की मिट्टी में ब्लौक लैवल पर सूक्ष्म और गौण पोषक तत्वों के पर्याप्त या कमी वाले इलाके की पहचान कर उन का एटलस के माध्यम से चित्रण करना बहुत महत्वपूर्ण व सराहनीय कार्य है. इस एटलस में प्रत्येक (सूक्ष्म और गौण) पोषक तत्व की उपलब्धता स्थिति को ताल्लुकवार मानचित्र पर अलगअलग रंग भिन्नताओं के साथ अलगअलग श्रेणियों में दिखाए जाने से उन क्षेत्रों के बेहतर दृश्यांकन में मदद मिलेगी, जिन पर किसी तत्व विशेष की कमी के कारण अधिक ध्यान देने की जरूरत है.

इस एटलस के प्रशासन से हरियाणा के सभी जिलों में सूक्ष्म और गौण पोषक तत्वों की स्थिति का पता चलेगा और एटलस में दी गई जानकारी शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों, विस्तार शिक्षा अधिकारियों, नीति निर्माता, कृषक समुदाय, छात्रों और अन्य हितधारकों के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होगी.

एटलस के प्रकाशन में निम्नलिखित वैज्ञानिकों व अनुसंधान सहयोगियों का रहा खासा योगदान :

इस एटलस को इंटरनैशनल स्टैंडर्ड बुक नंबर (आईंएसबीएन) व विश्वविद्यालय प्रकाशन नंबर (यूपीएन) के साथ प्रकाशित करने के लिए हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की ओर से डा. रोहतास कुमार, डा. पीएस संगवान, डा. आरएस मलिक, डा. हरेंद्र कुमार यादव, प्रो. बीआर कंबोज और भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान भोपाल की ओर से प्रो. अरविंद कुमार शुक्ला, डा. संजीव कुमार बेहेरा, डा. राहुल मिश्रा, विमल शुक्ला, योगेश सिकनिया, क्षितिज तिवारी एवं डा. एसपी दत्ता का प्रमुख योगदान रहा.

इस अवसर पर ओएसडी डा. अतुल ढींगड़ा, अनुसंधान निदेशक डा. राजबीर गर्ग, कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. एसके पाहुजा, मीडिया एडवाइजर डा. संदीप आर्य, एसवीसी कपिल अरोड़ा व कार्यवाहक विभागाध्यक्ष डा. दिनेश तोमर उपस्थित रहे.

अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें...