तिरुवनंतपुरम : 22 जुलाई,2023. मुख्य अतिथि, डा. हिमांशु पाठक, सचिव, डेयर एवं महानिदेशक, भाकृअनुप ने अपने उद्घाटन संबोधन में भारतीय कृषि के आधार के रूप में भाकृअनुप की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि कृषि को केवल एक व्यवसाय के रूप में नहीं माना जाना चाहिए, बल्कि राष्ट्र की खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के साधन के रूप में भी माना जाना चाहिए.
उन्होंने आगे बताया कि भाकृअनुप ने 3 मुख्य पहल की हैं, जैसे- प्रौद्योगिकियों का प्रमाणीकरण, भाकृअनुप अनुसंधान संस्थानों में शिक्षा का विस्तार एवं प्रौद्योगिकी विकास और व्यावसायीकरण के लिए निजी कंपनियों के साथ घनिष्ठ सहयोग की आवश्यकता भी सम्मिलित है.
उन्होंने किसान सुविधा केंद्र, जलवायु नियंत्रित पौध विकास सुविधा, ईफसल आधारित स्मार्ट फर्टिगेशन प्रणाली, कृषि व्यवसाय इन्क्यूबेशन (एबीआई) केंद्र, ‘डायमंड जुबली हाल’ और प्रदर्शनी स्टालों का उद्घाटन किया. हीरक जयंती समारोह के हिस्से के रूप में सीएमडी प्रतिरोधी कसावा की एक किस्म ‘श्री कावेरी’ और उच्च उपज देने वाली तारो किस्मों की 2 किस्में ‘श्री हीरा और श्री तेलिया’ जारी की गईं.
डा. जी. बायजू, निदेशक, भाकृअनुप-सीटीसीआरआई ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में भाकृअनुप-सीटीसीआरआई की अनुसंधान उपलब्धियों पर प्रकाश डाला, जैसे कि एक कसावा किस्म और दो उच्च उपज देने वाली तारो किस्मों को जारी करना, भारत के 12 कृषि जलवायु क्षेत्रों के लिए अनुशंसित 15 नई किस्मों और इस वर्ष भाकृअनुप द्वारा अनुमोदित 8 प्रौद्योगिकियों के बारे में भी जानकारी दी.
डा. केबी हेब्बार, निदेशक, भाकृअनुप-सीपीसीआरआई, कासरगोड, डा. आर. दिनेश, भाकृअनुप-आईआईएसआर, कोझिकोड, डा. ए. गोपालकृष्णन, निदेशक, भाकृअनुप-सीएमएफआरआई, कोच्चि, डा. जार्ज निनान, निदेशक, भाकृअनुप-सीआईएफटी, कोच्चि और डा. जैकब जान, विस्तार निदेशक, केरल कृषि विश्वविद्यालय, त्रिशूर ने उपस्थित हो कर इस अवसर की शोभा बढ़ाई.
कार्यक्रम के दौरान भाकृअनुप-सीटीसीआरआई और मार बेसिलियोस कालेज औफ इंजीनियरिंग एंड टैक्नोलौजी, तिरुवनंतपुरम और रबर रिसर्च इंस्टीट्यूट, कोट्टायम के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए.
पूरे भारत में 7 प्रगतिशील कंद फसल किसानों को भी सम्मानित किया गया और स्कूली बच्चों के लिए भाकृअनुप/ राज्य संस्थानों द्वारा प्रदर्शनियों का आयोजन किया गया.
इस समारोह में सौ से अधिक किसानों और 500 छात्रों ने भाग लिया.