Award |  छत्तीसगढ़ की प्रतिष्ठित बौद्धिक संपदा कानून विशेषज्ञ और नवाचार विशेषज्ञ डा. अपूर्वा त्रिपाठी को इसी 28 फरवरी को भोपाल के रवींद्र भवन में आयोजित ‘फार्म एंड फूड कृषि सम्मान समारोह’ में ‘वुमन एग्री-इनोवेटर औफ द ईयर अवार्ड – 2025’ से सम्मानित किया गया. यह पुरस्कार उन्हें कृषि क्षेत्र में किए गए उन के महत्वपूर्ण नवाचारों, महिलाओं के सशक्तीकरण और आदिवासी समाज के उत्थान में उन की असाधारण भूमिका के लिए प्रदान किया गया.

डा. अपूर्वा त्रिपाठी, प्रसिद्ध कृषिविद और पर्यावरणविद डा. राजाराम त्रिपाठी की बेटी हैं. वह बस्तर के कोंडागांव में स्थित अपने परिवार के लगभग 50 सदस्यों के संयुक्त परिवार में पलीबढ़ी हैं, जिस में 7 भाईबहनों का बड़ा परिवार है.

अपूर्वा त्रिपाठी के नवाचार और योगदान :

डा. अपूर्वा त्रिपाठी ने अपने पिता के मार्गदर्शन में कई उल्लेखनीय कृषि नवाचार किए हैं. उन के उल्लेखनीय कार्यों में बस्तर के आदिवासी समाज के साथ मिल कर वन औषधियों पर आधारित कई तरह की हर्बल चाय का निर्माण प्रमुख है, जो परंपरागत आदिवासी चिकित्सा पद्धति पर आधारित हैं. ये हर्बल चाय विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान में अत्यंत प्रभावी सिद्ध हुई हैं.

इस के अतिरिक्त, डा. राजाराम त्रिपाठी द्वारा विकसित की गई अत्यंत उत्पादक ‘मां दंतेश्वरी काली मिर्च-16’ (एमडीबीपी-16) प्रजाति के विकास में भी अपूर्वा त्रिपाठी का बड़ा योगदान रहा है. यह विशेष प्रजाति अन्य काली मिर्च की किस्मों की तुलना में चार से पांच गुना अधिक उत्पादन देती है और इस की गुणवत्ता भी अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है. इस विशेष प्रजाति को भारत सरकार के इंडियन प्लांट वैरायटी प्रोटैक्शन एंड रजिस्ट्रेशन अथौरिटी (Indian Plant Variety Protection and Registration Authority) में आधिकारिक रूप से पंजीकृत भी कराया गया है.

अपूर्वा त्रिपाठी के प्रयासों के कारण अब तक दक्षिण भारत की फसल मानी जाने वाली काली मिर्च को मध्य भारत के छत्तीसगढ़ में सफलतापूर्वक उगाया जा रहा है, जिस से इस क्षेत्र को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है.

अपूर्वा त्रिपाठी का प्रेरणादायक सफर :

अपूर्वा त्रिपाठी की शिक्षा देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में हुई है, जहां उन्होंने कृषि विज्ञान, जैविक खेती और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया है. उन की उपलब्धियां यह दर्शाती हैं कि समर्पण, परिश्रम और नवाचार के माध्यम से कोई भी युवा कृषि क्षेत्र में सफलता के नए आयाम स्थापित कर सकता है.

महिलाओं के सशक्तीकरण में भूमिका  :

डा. अपूर्वा त्रिपाठी ने बस्तर क्षेत्र की आदिवासी महिलाओं को जैविक कृषि के माध्यम से आत्मनिर्भर बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्होंने इन महिलाओं को प्रशिक्षित कर उन के उत्पादों को प्रोसैसिंग, ब्रांडिंग और मार्केटिंग के माध्यम से राष्ट्रीय बाजार में पहचान दिलाई है. इस के चलते आदिवासी परिवारों की माली हालत में सुधार हुआ है.

पुरस्कार समारोह के मुख्य बिंदु :

भोपाल में आयोजित इस सम्मान समारोह में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के 150 से अधिक किसान, कृषि वैज्ञानिक और कृषि विशेषज्ञ उपस्थित रहे. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं मध्य प्रदेश सरकार के सहकारिता, खेल एवं युवा कल्याण मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि भारत के किसानों को नवाचार के माध्यम से सशक्त करना ही हमारी प्राथमिकता है. डा. अपूर्वा त्रिपाठी जैसी युवा महिलाएं कृषि क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रही हैं, जो पूरे देश के लिए गौरव की बात है.”

विशिष्ट अतिथि एवं मध्य प्रदेश सरकार के कौशल विकास एवं रोजगार मंत्री गौतम टेटवाल ने अपने उद्बोधन में कहा कि कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है और डा. अपूर्वा त्रिपाठी जैसी नवाचारशील महिलाएं अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्रोत हैं.

दिल्ली प्रैस के कार्यकारी प्रकाशक अनंत नाथ ने कहा कि डा. अपूर्वा त्रिपाठी का योगदान न केवल कृषि क्षेत्र में, बल्कि सामाजिक विकास में भी सराहनीय है.

इस समारोह में कुल 17 श्रेणियों में 30 किसानों, कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विज्ञान केंद्रों को सम्मानित किया गया.

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