नई दिल्ली: कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने मोटा अनाज आधारित मूल्यवर्धित उत्पादों के विपणन और निर्यात में तकरीबन 500 स्टार्टअप को सुविधा प्रदान की है. संगरूर के किसान दिलप्रीत सिंह निर्यातक बन गए हैं. उन्होंने 803 अमेरिकी डालर कीमत की 14.3 मीट्रिक टन मोटा अनाज की पहली खेप निर्यात की. एपीडा के अध्यक्ष अभिषेक देव ने उन की पहली खेप को हरी झंडी दिखा कर भेजा.

इस खेप में कोदो मिलेट, फौक्सटेल मिलेट, लिटिल मिलेट, ब्राउनटौप मिलेट और बार्नयार्ड मिलेट से बने रेडी टू कुक मोटा अनाज शामिल हैं. इस के अलावा रागी, ज्वार, बाजरा, फौक्सटेल, कोदो, बार्नयार्ड, ब्राउनटौप, लिटिल और प्रोसो मोटा अनाजों से तैयार आटा भी इस अद्वितीय निर्यात खेप में शामिल है.

सिडनी स्थित आयातक जसवीर सिंह ने भी वर्चुअल फ्लैगऔफ समारोह में भाग लिया.

उन्होंने इस सहकार्य को आसान बनाने में भरपूर मदद के लिए एपीडा के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया. वह मोटा अनाज को ले कर आगे व्यापार के अवसरों को बढ़ाने को ले कर आशावादी हैं. उन्होंने भविष्य में इस तरह की और खेपों का आयात जारी रखना सुनिश्चित किया है. किसान के पास शुरू से अंत तक संपूर्ण मूल्य श्रंखला नियंत्रण होता है, जो खरीदारों के लिए आवश्यक होता है. किसान अपने खेतों में बाजरा उगाते हैं, अपनी इकाई में वे इन का प्राथमिक और माध्यमिक प्रसंस्करण करते हैं, जिस में अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता की पैकेजिंग भी शामिल है.

सफलता की यह कहानी इस बात का उदाहरण है कि कृषि क्षेत्र को कैसे बदला जा सकता है. दिलप्रीत जैसे किसान कृषि निर्यात में प्रमुख योगदानकर्ता बन सकते हैं. यह अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में उतरने वाले स्थानीय किसानों के सशक्तीकरण का प्रतीक है.

साल 2021-22 में मोटा अनाज निर्यात 62.95 मिलियन अमेरिकी डालर से बढ़ कर साल 2022-23 में 75.45 मिलियन अमेरिकी डालर और अप्रैलनवंबर, 2023 तक 45.46 मिलियन अमेरिकी डालर के वर्तमान निर्यात के साथ मोटा अनाज वैश्विक बाजार में लोकप्रियता हासिल कर रहा है. मूल्यवर्धित मोटा अनाज उत्पादों सहित अन्य अनाज के निर्यात में यह उल्लेखनीय वृद्धि है. यह पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 12.4 फीसदी की वृद्धि है.

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