हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के बायोटैक्नोलौजी महाविद्यालय में सैंटर फौर माइक्रोप्रोपेगेशन एंड डबल हेपलोड उत्पादन की अंतर्राष्ट्रीय स्तर की अत्याधुनिक प्रयोगशाला का उद्घाटन हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने वर्चुअल माध्यम से किया.
विश्वविद्यालय में मुख्य अतिथि के रूप में हरियाणा विधानसभा के डिप्टी स्पीकर रणबीर सिंह गंगवा रहे व विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने अध्यक्षता की.
हरियाणा के डिप्टी स्पीकर रणबीर सिंह गंगवा ने कहा कि इस विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रयोगशाला का स्थापित होना खुशी की बात है. इस के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री मनोहर लाल का आभार प्रकट किया.
उन्होंने कहा कि इस प्रयोगशाला से किसानों को सीधे रूप से फायदा होगा, जहां से तैयार किए पौधे हरियाणा ही नहीं, अपितु उत्तर भारत के किसानों को उपलब्ध करवाए जा सकेंगे.
विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि वे किसानों के हित में शोध कर कृषि क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.
कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने कहा कि इस प्रयोगशाला का कृषि क्षेत्र में बहुत योगदान रहेगा. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल, जो कि किसानों की सेवा के लिए हमेशा से तत्पर रहते हैं. इसी दिशा में विश्वविद्यालय में माइक्रोप्रोपेगेशन एंड डबल हेपलोड उत्पादन की अत्याधुनिक प्रयोगशाला स्थापित की गई है.
उन्होंने बताया कि यह प्रयोगशाला तकरीबन 6 करोड़ रुपए में तैयार किया गया है. इस प्रयोगशाला में टिशू कल्चर विधि से विभिन्न पौध तैयार करने की विधियां विकसित की गई हैं, जहां तकरीबन 20 लाख उच्च गुणवत्ता, रोगरहित एवं आनुवांशिक रूप से एकजैसे पौधे हर साल तैयार किए जा सकेंगे.
उन्होंने आगे बताया कि इस प्रयोगशाला में गन्ना, केला, ब्रह्मी, एलोविरा, औषधीय पौधे एवं अन्य कृषि उपयोगी पौधे तैयार कर किसानों को उपलब्ध करवाया जाएगा. भविष्य में भी हमारी कोशिश यह रहेगी कि हम ज्यादा से ज्यादा पौधे तैयार कर किसानों को उपलब्ध करवा सकें.
बायोटैक्नोलौजी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. सुधीर शर्मा ने कहा कि यह प्रयोगशाला ढाई एकड़ में फैली हुई है, जोकि 3 भागों में विभाजित है. पहला भाग प्रयोगशाला है, जो कि 6500 स्क्वायर फीट में है, जिस में पौधे परखनलियों में प्रयोगशाला में नियंत्रित तापमान एवं प्रकाश के अंदर विकसित किए जाते हैं. दूसरा भाग ग्रीनहाउस है, जो कि 1041 स्क्वायर फीट में बना हुआ है, जहां पर पौधों को नियंत्रित तापमान एवं आर्द्रता में विकसित किया जाता है. इस ग्रीनहाउस में टिशू कल्चर विधि का इस्तेमाल कर 5 लाख पौध को रखने की क्षमता होगी.
उन्होंने आगे यह भी बताया कि तीसरा भाग नेटहाउस है, जोकि एक एकड़ में बना हुआ है, जिस में पौधों को रख कर किसानों को उपलब्ध करवाए जाएंगे.
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के अधिकारियो सहित इस से जुड़े समस्त महाविद्यालयों के अधिष्ठाता, निदेशक, विभागाध्यक्ष, शिक्षक एवं गैर-शिक्षक भी उपस्थित रहे.