जोधपुर/भोपाल/नई दिल्ली : 6 अक्तूबर, 2023. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के अंतर्गत आने वाले केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी), जोधपुर में किसानों व वैज्ञानिकों से संवाद किया. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर कार्यक्रम से वर्चुअल जुड़े, वहीं उपराष्ट्रपति की पत्नी डा. सुदेश धनखड़, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी व सांसद राजेंद्र गेहलोत विशेष रूप से उपस्थित थे.
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि किसानों के बिना देश में बदलाव संभव नहीं है. वे अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, बदलाव किसानों को लाना है और उस के अनुरूप बदलना भी है.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि कृषि उत्पाद आज सब से बड़ा व्यापार है. उन्होंने आह्वान किया कि युवाओं को कृषि व्यापार में लगाया जाए, जो किसानों का एरिया है, लेकिन इस पर उन का ध्यान केंद्रित नहीं हुआ. आज कई उच्च शिक्षित युवा उन कृषि उत्पादों का व्यापार कर रहे हैं, जो किसानों की कड़ी मेहनत से उपजते हैं. किसानों द्वारा कृषि उत्पादों के व्यापार को अपने दायरे में लेने पर बहुत बड़ा बदलाव आएगा.
उन्होंने आगे यह भी कहा कि किसान परिवारों के लिए जरूरी है, वह है एक आर्थिक कारिडोर- भारत, मिडिल र्ईस्ट और यूरोप. हजारों साल पहले यह कारिडोर था, जिस की दोबारा शुरुआत हो रही है. किसान बदलाव को गले लगाएं, टैक्नोलौजी अपनाएं. किसान अपने उत्पादों को सीधे न दे कर उस में कुछ न कुछ वैल्यू एडिशन करें, तो इस से क्रांतिकारी बदलाव आएगा. यह आसान है, संभव भी है, क्योंकि सरकार की नीतियां सकारात्मक हैं व दूरगामी परिणाम देने वाली हैं. इस से किसानों की आर्थिक स्थिति काफी बेहतर होगी. निर्यात के लिए भी किसानों के बेटेबेटियां आगे आएं, क्योंकि वे ही इसे पैदा करते हैं. दूर की सोच कर अपनी भागीदारी निभाएं. कृषि के साथ कृषि व्यापार एवं कृषि निर्यात भी किसानों द्वारा करने से बड़ा अवसर कोई हो नहीं सकता.
किसानों की कड़ी मेहनत के कारण आज शुष्क क्षेत्र में भी अनार, खजूर, अंजीर, जीरा जैसे उत्पाद उगाए जा रहे हैं, जिस का और ज्यादा फायदा किसानों को स्वयं व्यापार व निर्यात करने से मिलेगा.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने स्तर पर किसानों के लिए हर सकारात्मक सहयोग का भरोसा दिलाया. उन्होंने कहा कि वर्ष 2047 तक देश को विकसित बनाने में हमारे किसानों का बहुत बड़ा योगदान होगा.
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र हमारे देश के लिए आज बहुत महत्वपूर्ण है. यह कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी कि जैसे जल ही जीवन है, वैसे कृषि ही जीवन है.
उन्होंने आगे कहा कि काजरी संस्थान के कार्यों को देख कर गौरव का अनुभव होता है, जहां के वैज्ञानिकों ने इस पूरे रेतीले इलाके में कृषि क्षेत्र में खास काम किया है, वहीं आईसीएआर के वैज्ञानिकों ने खाद्यान्न, बागबानी, पशुपालन व मत्स्यपालन की दृष्टि से जो बेहतर काम किया है, उस के कारण हमारा देश आज अग्रणी अवस्था में खड़ा हुआ है.
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आज हमारे सामने चुनौतियां भी हैं कि खेती में लागत कैसे कम करें, इस के लिए टैक्नोलौजी का उपयोग करें एवं स्वाइल हेल्थ कार्ड का उपयोग किसानों की आदत में आएं. सामूहिक रूप से पोषक तत्व, कीट प्रबंधन आदि से खेती की लागत कम होगी एवं फसलों की गुणवत्ता भी बढ़ेगी.
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि जैविक व प्राकृतिक खेती वर्तमान समय की आवश्यकता बनती जा रही है, जिसे बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने अनेक उपाय किए हैं, योजनाएं बनाई हैं, जिन्हें हमारे किसानों को अपनाना चाहिए और इस खेती को प्रोत्साहित करना चाहिए.
उन्होंने आगे यह भी कहा कि राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में मिलेट्स (श्री अन्न) की खेती हो रही है. श्री अन्न का उपयोग बढ़े, इस के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरी दुनिया को एक सूत्र में पिरोया है, जैसेजैसे इस का उपभोग बढ़ेगा, तो मांग वृद्धि के साथ छोटे किसानों की उपयोगिता व इन की आय भी बढ़ेगी. इस दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आह्वान असरकारक हो रहा है, पूरी दूनिया के देश मिलेट्स मांग रहे हैं, जिस के लिए हिंदुस्तान के किसानों को उत्पादन भी बढ़ाना पड़ेगा, उन्हें इस दिशा में प्रवृत्त होना पड़ेगा.
कार्यक्रम में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत व कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने भी संबोधित किया. काजरी के निदेशक डा. ओपी यादव ने संस्थान की गतिविधियों एवं उपलब्धियों के बारे में जानकारी देते हुए स्वागत भाषण दिया. कार्यक्रम में कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), जोधपुर के निदेशक डा. जेएस मिश्रा, जनप्रतिनिधि और क्षेत्र के किसान, वैज्ञानिक व अधिकारी उपस्थित थे