उदयपुर: 29 फरवरी, 2024. प्रसार शिक्षा निदेशालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर में विषय विशेषज्ञों द्वारा जैविक खेती के संदर्भ में आवश्यक प्रशिक्षण दिया गया. साथ ही, जैव उर्वरकों और जैव कीटनाशियों आदि जैविक उत्पादों का किसानों द्वारा स्वयं अपने स्तर पर उपलब्ध संसाधनों के उपयोग से तैयार कर उपयोग करने के संबंध में सजीव प्रदर्शन के साथ जानकारी प्रदान की गई.

वर्तमान में कृषि में रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों, कवकनाशियों और दूसरे रसायनों के अत्यधिक प्रयोग से इनसान, दूसरे जीवजंतुओं एवं मृदा स्वास्थ्य पर हानिकारक व विपरीत प्रभावों को ध्यान में रखते हुए उक्त रसायनों के संतुलित उपयोग के साथ ही जिला सलूंबर में जैविक खेती के बेहतर विकल्प को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से आदर्श किसान तैयार कर इन किसानों के जरीए जिले में दूसरे किसानों को भी जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित कर के जैविक खेती में आदर्श और अग्रणी बनाए जाने की जरूरत को महसूस किया गया.

अतः उक्त अवधारणा को जिला कलक्टर, सलूंबर की पहल पर नवाचार कार्यकम के तौर पर ले कर क्रियान्वित करने के लिए जिले के प्रत्येक ब्लौक से 5-5 किसानों को चुना गया. किसानों को विश्वविद्यालय परिसर में ही केवल जैविक उत्पादों के उपयोग से बेहतरीन बढ़वार के साथ तैयार गेहूं, चना, मैथी आदि फसलों का मुआयना भी करवाया गया.

उक्त कार्यकम संयुक्त निदेशक कृषि (विस्तार), गौस मोहम्मद, सलूंबर द्वारा क्रियान्वित एवं हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड, जावर माइंस, अभिमन्यु सिंह (जनसंपर्क अधिकारी) के सहयोग से संपादित किया गया.
उक्त प्रशिक्षक में जिला कलक्टर जसमित सिंह संधु स्वयं प्रशिक्षण में उपस्थित हो कर विश्वविद्यालय की विभिन्न इकाइयों का अवलोकन किया और किसानों से गोष्ठी में सवांद स्थापित किया एवं जैविक खेती अपनाने पर बल दिया.

डा. आरए कौशिक, निदेशक प्रसार, शिक्षा निदेशालय, डा. आरएस राठौड़, समन्वयक कृषि प्रौद्योगिकी सूचना केंद्र, पुरुषोत्तम लाल भट्ट, उपनिदेशक, उद्यान सलूंबर, अभिमन्यु सिंह, नेहा दिवान (सीएसआर) इत्यादि ने इस गोष्ठी में भाग लिया.

डा. रविकांत शर्मा, परियोजना प्रभारी, अखिल भारतीय नैटर्वक, श्रवण कुमार यादव एवं रवि जैन, जैविक अनुसंधान परियोजना इकाई का अवलोकन कराया व इस की उपयोगिता बताई.

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