झाबुआ : खेती के क्षेत्र में किसान समुदाय की आत्मनिर्भरता को बढ़ाने और आय वृद्धि के लिए ग्रामीण विकास विभाग, आजीविका मिशन नाबार्ड, कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्यपालन, बैंकर्स, मनरेगा, कृषि विज्ञान केंद्र जैसे ग्रामीण अर्थव्यवस्था से संबद्ध क्षेत्रकों के अधिकारियों की विगत समय से जिला कलक्टर तन्वी हुड्डा द्वारा नियमित रूप से साप्ताहिक समीक्षा बैठक आयोजित की जा रही है.

जिला कलक्टर द्वारा विगत बैठक में ग्रामीण सरोकारों से संबंधित समस्त विभागों को समस्त विकासखंडों में किसानों और गांव वालों की संगोष्ठियां आयोजित करने के निर्देश दिए गए.

कृषिगत क्षेत्रकों के टिकाऊ और समन्वित विकास के लिए किए जा रहे सतत प्रयासों की कड़ी में रानापुर और रामा विकासखंडों में कृषक संगोष्ठियां आयोजित हुईं.

रामा और रानापुर विकासखंड जिले की भौगोलिक और कृषि जलवायवीय परिस्थितियों में अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं. यहां पर्यावरण संरक्षणीय खेतीकिसानी के लिए पर्याप्त अवसर सुलभ है. क्षेत्र के किसानों में प्रकृति के प्रति निकटता और इस के संवर्धन का भाव भी जीवंत है.

जनपद अध्यक्ष निर्मला भानू भूरिया ने बड़ी संख्या में कृषक संगोष्ठी में सहभागिता करने वाले महिलापुरुष किसानों को संबोधित करते हुऐ व्यक्त किया.

जिले के उपसंचालक कृषि एनएस रावत ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि अंचल में फसलों की विभिन्नता और विविधता भी सदियों से विद्यमान है. किसान समुदाय में खेतीकिसानी की बारीक समझ का पारंपरिक बौद्धिक ज्ञान भी है.

बदलते हुए आर्थिक व सामाजिक परिवेश में आवश्यकता इस बात की है कि किसान परंपरागत उन्नत ज्ञान के साथसाथ किसानी के एक से अधिक उद्यमों से एकीकृत स्वरूप में जुड़ कर अपनी आय में वृद्धि की ओर लगातार अग्रसर हो किसानों को फसलों की जलवायु सहिष्णु नवीनतम किस्मों का चयन करना चाहिए, मिलेट्स फसलों और प्राकृतिक उपज की बढ़ती हुई मांग को ध्यान में रखते हुए जिले के किसानों को अपनी खेती की योजना में समुचित परिवर्तन करने की आवश्यकता है.

पशुपालन विभाग के उपसंचालक डा. विल्सन डावर ने खेतीकिसानी में पशुपालन, बकरीपालन, मुरगीपालन की महत्ता को समझाते हुए कहा कि क्षेत्र में पशुपालन खेती का अभिन्न अंग रहा है और हमें इस व्यवस्था को सूझबूझ से आगे बढाने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए.

उन्नत पशुपालन की वैज्ञानिक बारीकियों से किसानों को अवगत कराते हुए शासन द्वारा पशुओं की आकस्मिक बीमारी की स्थिति में पशु एंबुलेंस सुविधा के बारे में विस्तार से बताया. पशुओं के अकस्मात बीमार होने की स्थिति में 1962 निःशुल्क फोन नंबर पर सूचना देने की सुविधा का लाभ लेने का आग्रह किया.

बड़ी संख्या में उपस्थित महिलापुरुष किसानों को जिले के प्राकृतिक खेती मास्टर ट्रेनर गोपाल मुलेवा ने प्राकृतिक खेती के विभिन्न पहलुओं के बारे में किसानों को व्यावहारिक समझाइश दी गई.

मुलेवा ने खरीफ की फसलों के प्रबंधन के साथसाथ रबी मौसम की कार्ययोजना बनाए जाने के लिए तकनीकी बारीकियों से किसानों को परिचित कराया.

ब्लौक टैक्नोलौजी मैनेजर संतोष पाटीदार ने प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रारंभ से लगा कर संपूर्ण पद्धति के विभिन्न चरणों के बारे में विस्तार से किसानों को समझाइश देते हुए व्यावहारिक बोध कराया.

गोष्ठी के दौरान महिला किसान कमला इंदर, संगीता खराडी और पुरुष किसान झितरा सोमला, कमेश डामोर, कमलेश अमरसिंह ने अपने खेतों पर अपनाई जा रही मिलेट फसलों के साथसाथ प्राकृतिक खेती के लाभ और उत्साहजनक परिणामों के अनुभव किसानों के साथ साझा किए.

उद्यानिकी विभाग के डीएस बामनीया और चौबे ने अंचल में उगाई जा रही सब्जी, फल, फसलों के साथसाथ हलदी,अदरक, धनिया, मिर्च जैसी मसाला फसलें, ब्राह्मी, एलोवेरा, लेमनग्रास जैसी सुगंधित और औषधीय फसलों की खेती के बारे में किसानों को जानकारी दी गई.

आजीविका मिशन के संजय सोलंकी ने महिला किसानों और समूहों के माध्यम से संचालित गतिविधियों और उन के उत्तरोत्तर उन्नयन के बारे में प्रेरणादायी उद्बोधन देते हुए उत्पादन के साथसाथ मूल्य संवर्धन और बेहतर दाम पर विपणन व्यवस्था बनाए जाने पर जोर दिया.

रामा विकासखंड के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी ज्वाला सिंगार द्वारा क्षेत्र के किसानों द्वारा अपनाई जा रही प्राकृतिक खेती और मिलेट फसलों की काश्त के बारे में विस्तार से अवगत कराते हुए प्रयासों और भावी योजना की जानकारी दी गई.

कार्यक्रम का संचालन गोपाल मुलेवा तकनीकी सहायक द्वारा किया गया. किसानों की जिज्ञासाओं का समाधान करते हुए सहायक संचालक कृषि एसएस रावत, उपपरियोजना संचालक आत्मा एमएस धार्वे ने मिलेट्स की खेती आधारित कृषक परिचर्चा की संयुक्त रूप से सूत्रधारिता की.

कृषक संगोष्ठी के अंतिम चरण में वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, रानापुर, अमरसिंह खपेड ने आभार प्रकट किया. किसान संगोष्ठी में रामा रानापुर विकासखंडों का समस्त कृषि विभागीय अमले द्वारा कार्यक्रम आयोजन में सक्रिय सहभागिता की गई.

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