बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब जैसे अनेक राज्यों में कम बारिश के चलते बड़े पैमाने पर धान की रोपाई नहीं हो पाई है और धान की रोपाई का समय भी निकल चुका है. ऐसे में किसानों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है. कई प्रदेश सरकार ने किसानों के भले के लिए कुछ कदम उठाने शुरू कर दिए हैं.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सिंचाई के लिए डीजल पर सब्सिडी देने के लिए कह हैं, तो वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने प्रदेश में धान उगाने वाले किसानों को धान की जगह अन्य फसल उगाने पर 7,000 रुपए प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि किसानों को देने की बात कही है. यह रकम किसानों के खातों में सीधे जाएगी.

उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में विशेषकर प्रदेश के मध्य भाग और बुंदेलखंड में औसत वर्षा से काफी कम वर्षा हुई है और अभी भी 25 से 30 फीसदी खेतों में बोआई होनी है. इस के लिए प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने किसानों से कहा है कि धान की फसल लगाने का इंतजार करने के बजाय किसान मक्का, बाजरा, ज्वार की फसल लगाएं.

प्रदेश सरकार ने बाजार में मक्के की बढ़ती मांग को देखते हुए प्रदेश के सभी 75 जनपदों के लिए त्वरित मक्का विकास कार्यक्रम एवं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के अंतर्गत संकर मक्का सामान्य बीज वितरण पर 50 फीसदी  अनुदान की व्यवस्था की गई है. देशी मक्का, संकर मक्का एवं पौपकौर्न मक्का के प्रदर्शन पर 6,000 रुपए प्रति हेक्टेयर, बेबीकौर्न मक्का पर 40,000 रुपए प्रति हेक्टेयर एवं स्वीटकौर्न मक्का पर 50,000 रुपए प्रति हेक्टेयर अनुदान दिए जाने का ऐलान किया है.

इस के अतिरिक्त प्रदेश के सभी विकास खंडों पर मक्का, बाजरा एवं ज्वार के हाईब्रिड बीज के निजी कंपनियों के स्टौल लगाए जा रहे हैं. इन बीजों पर भी 50 फीसदी अनुदान किसान के खाते में भेजा जाएगा.

विकास खंड के विक्रय केंद्रों पर मिलेट्स में मडुआ, सांवा, कोदो, बाजरा के मुफ्त बीज मिनी किट के साथ दलहन और तिलहन के बीज विशेषकर उड़द, मूंग, अरहर एवं तिल के बीज सामान्य वितरण कार्यक्रम में भेजे गए हैं, जो पीओएस मशीन से बीज पर मिलने वाले अनुदान को समायोजित कर मात्र 50 फीसदी कीमत के भुगतान पर किसानों को मिल जाएगा.  मौसम को देखते हुए किसान अपने खाली खेतों में मक्का, मिलेट्स, दलहन व तिल की फसलों की बोआई शुरू कर दें, जिस से किसानी का काम समय से पूरा हो सके और संभावित माली नुकसान से अपनेआप को बचाया जा सके.

अब मक्का की फसल अच्छा मुनाफा देने वाली फसल साबित हो रही है. इस का ताजा उदहारण असम राज्य है, जहां कभी बड़े पैमाने पर धान की खेती होती थी, लेकिन अब वहां धान की खेती न कर के मक्का पैदा कर रहे हैं, जो किसानों के लिए फायदेमंद फसल साबित हो रही है. क्योंकि मक्का से अब बड़े पैमाने पर इथेनाल बनाया जा रहा है.

असम में इथेनाल बनाने वाली अकेले एक कंपनी में 5 लाख टन मक्के की मांग है. इस के अलावा पशु आहार और पोल्ट्री फीड के लिए भी मक्के का इस्तेमाल होता है. मक्का से अनेक पौष्टिक उत्पाद भी बनाए जा रहे हैं, इसलिए मक्का की  खेती किसानों के लिए फायदेमंद है. विशेषज्ञों का कहना है कि इथेनाल के लिए मक्के का उपयोग करना प्रकृति के लिए भी अच्छा है, क्योंकि इस की खेती में गन्ना और चावल के मुकाबले पानी भी कम लगता है.

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