पिछले दिनों उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने चित्तौरगढ़ में अखिल मेवाड़ क्षेत्र जाट महासभा को संबोधित करते हुए कहा कि किसान दाता है और उसे किसी की मदद का मोहताज नहीं होना चाहिए.

उन्होंने आगे कहा कि किसान की आर्थिक व्यवस्था में जब उत्थान आता है, तो देश की व्यवस्था में उद्धार आता है. बाकी किसान दाता है, किसान को किसी की ओर नहीं देखना चाहिए,  क्योंकि किसान के सबल हाथों में राजनीतिक ताकत है, आर्थिक योग्यता है.

उन्होंने जोर दे कर कहा कि कुछ भी हो जाए, कितनी ही बाधाएं आएं, कोई भी रोड़ा बने, आज के दिन विकसित भारत की महायात्रा में किसान की भूमिका को कोई हताश नहीं कर सकता.

25 साल पहले हुए जाट आरक्षण आंदोलन के दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि यहां मैं 25 साल बाद आया हूं. 25 साल पहले इसी जगह पर सामाजिक न्याय की लड़ाई की शुरुआत की थी, जाट और कुछ जातियों को आरक्षण मिले. यह शुरुआत 1999 की थी, समाज के प्रमुख लोग उपस्थित थे, मैं भी उन में से एक था. हम ने इस पवित्र भूमि, देवनगरी, मेवाड़ के हरिद्वार में संरचना की, कार्यसिद्धि मिली और आज उस के नतीजे देश और राज्य की प्रशासनिक सेवाओं में मिल रहे हैं.

उन्होंने कहा कि उसी आधार पर, उसी सामाजिक न्याय पर, उसी आरक्षण पर जिन को लाभ मिला है, आज वे सरकार में प्रमुख पदों पर हैं. उन से मेरा आग्रह है कि पीछे मुड़ कर जरूर देखें और कभी नहीं भूलें कि इस समाज के सहयोग की वजह से हमें सामाजिक न्याय मिला. जब भी कोई आंदोलन होता है, खासतौर से आरक्षण से जुड़ा हुआ, तो लोग आतंकित हो जाते हैं, हिंसक हो जाते हैं और कई दुर्घटनाओं के शिकार हो जाते हैं. लेकिन इस पावन भूमि पर मेरा सिर गौरव से ऊंचा है, छाती चौड़ी है कि हमारा आंदोलन सामाजिक न्याय का दुनिया के लिए सब से बड़ी मिसाल है. कहीं कोई अव्यवस्था नहीं हुई, कहीं कोई हिंसा नहीं हुई.

किसानों से कृषि विज्ञान केंद्रों का लाभ लेने का आग्रह करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने   कहा कि किसान को मदद करने के लिए 730 से ज्यादा कृषि विज्ञान केंद्र हैं. उन को अकेला मत छोड़िए, वहां पर जाइए और उन से कहिए कि आप हमारी क्या सेवा करेंगे? नई तकनीकों की जानकारी लीजिए, सरकारी नीतियों की जानकारी लीजिए. तब आप को पता लगेगा कि सरकार ने आप के लिए खजाना खोल रखा है, जिस की जानकारी आप को नहीं है. सहकारिता क्या कर सकती है, आप को जानकारी नहीं है.

उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि अगर महीने में 1-2 बार भी आप जाएंगे, एक तो जो लोग काम कर रहे हैं, उन की नींद खुलेगी, वे सक्रिय होंगे, उन को पता लगेगा कि अन्नदाता जाग गया है, अन्नदाता की सेवा करनी पड़ेगी, अन्नदाता हमारा लेखाजोखा ले रहा है और जब आप लेखाजोखा लेंगे, तो गुणात्मक सुधार आएगा.

किसानों से कृषि उत्पादों के व्यापार और मूल्य संवर्धन में अपनी भागीदारी बढ़ाने पर जोर देते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि किसान अपने उत्पाद की मूल्य वृद्धि क्यों नहीं कर रहा? अनेक व्यापार किसान के उत्पाद पर चालू हैं. आटा मिल, तेल मिल, अनगिनत हैं. हम सब को मिल कर करना चाहिए. किसान को पशुधन की ओर ध्यान देना चाहिए.

खुशी होती है कि जब डेयरी बढ़ती है, लेकिन इस में और ज्यादा उछाल आना चाहिए. हमें दूध तक नहीं सिमटा रहना है, दही, छाछ तक ही नहीं रहना है, बल्कि जितने उत्पाद दूध के बन सकते हैं, पनीर हो, चाहे आइसक्रीम हो या रसगुल्ला हो, किसान का योगदान उन सब में होना चाहिए.

युवाओं को कृषि व्यापार से जुड़ने पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि मेरा आग्रह किसान से है, किसान के बेटेबेटी से है. दुनिया का सब से बड़ा व्यापार, बेशकीमती व्यापार कृषि उत्पादन का है. किसान अपने उत्पाद के व्यापार से क्यों नहीं जुड़ा हुआ है? किसान उस में क्यों नहीं भागीदारी ले रहा है? हमारे नौजवान प्रतिभाशाली हैं. ज्यादा से ज्यादा किसानों को सहकारिता का फायदा लेते हुए, अन्य व्यवसायों में, कृषि उत्पादन के व्यवसायों में अपनेआप को लगन से काम करते रहना चाहिए. आप लिख कर ले लीजिए कि इस के दूरगामी आर्थिक सकारात्मक नतीजे होंगे.

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