अविकानगर (राजस्थान): भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के संस्थान केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर, तहसील मालपुरा, जिला टोंक (राजस्थान) के दक्षिण क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, माननावनूर जिला- कोडईकनाल राज्य-तमिलनाडु द्वारा राज्य के पहाड़ी जिलों के एससी तबके के किसानों को अनुसूचित जाति उपयोजना के माध्यम से किसानवैज्ञानिक संवाद द्वारा समकलित खेती पर पांचदिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
वैज्ञानिक संवाद एवं स्थापना दिवस के कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि संस्थान के निदेशक डा. अरुण कुमार तोमर, प्रशासनिक अधिकारी भीम सिंह, माननावनूर सैंटर के प्रभारी डा. पी थिरूमुरुगान, वैज्ञानिक डा. एस. जगवीरा पांडेयन एवं केंद्र के समस्त कर्मचारियों द्वारा कार्यक्रम में हिस्सा लिया गया.
कार्यक्रम में पधारे मुख्य अतिथि निदेशक डा. अरुण कुमार तोमर एवं अन्य अतिथि का केंद्र द्वारा दक्षिण परंपरा से स्वागतसत्कार किया गया.
कार्यक्रम को संबोधन करते हुए निदेशक डा. अरुण कुमार तोमर ने सभी को समेकित खेती की ओर जाने का निवेदन करते हुए कहा कि इस से सालभर परिवार की आजीविका बनी रहेगी.
उन्होंने जानकारी देते हुए यह भी बताया कि आप भेड़, खरगोश, गाय आदि पशुओं के पालन के साथ ही सब्जी, फल और मसाले का और्गैनिक तरीके से उत्पादन कर के अच्छी आमदनी ले सकते हैं.
डा. अरुण कुमार तोमर ने आगे कहा कि आप उत्तरी भारत के हिमाचल प्रदेश के किसानों की बागबानी, सब्जी और टूरिस्ट आधारित पारिवारिक आजीविका से सीख कर कुछ अपने फार्मिंग सिस्टम को ऐसी दिशा देने की जरूरत है.
इस अवसर पर तमिलनाडु राज्य के किसानों के खरगोश मांस संगठन के साथ एमओयू किया गया, जिस से अविकानगर संस्थान की खरगोशपालन उन्नत तकनीकी को राज्य के पहाड़ी क्षेत्र के सभी तबके के लोगों तक पहुंचाया जाएगा.
केंद्र के कार्यालय प्रभारी डा. पी. थिरूमुरुगान ने बताया कि अनुसूचित जाति के तबके के किसानों को तमिलनाडु राज्य की कृषि और पशुपालन संस्थान के साथ उन्नत खेती और पशुपालन पर भ्रमण और लेक्चर्स करवाया जाएगा.