उदयपुर : 19 जुलाई. कृषि विज्ञान केंद्रों की स्थापना के शानदार 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में पुडुचेरी से आंरभ हुई मशाल यात्रा (गोल्डन जुबली टौर्च) प्रदेश के विभिन्न केवीके से होती हुई पिछले दिनों केवीके, वल्लभनगर पंहुची. इस मौके पर आयोजित भव्य कार्यक्रम में राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय बीकानेर (राजुवास) के कुलपति डा. एसके गर्ग और वल्लभनगर केंद्र के अधिष्ठाता डा. आरके नागदा ने मशाल महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्ववि़द्यालय को सौंपी. एमपीयूएटी की ओर से निदेशक प्रसार शिक्षा निदेशालय डा. आरए कौशिक एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक और अध्यक्ष, उदयपुर द्वितीय डा. आरएल सोनी ने यह मशाल ग्रहण की.

एमपीयूएटी के कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने बताया कि देश में पहला केवीके 21 मार्च, 1974 को पुडुचेरी (पांडिचेरी) में स्थापित किया गया और विगत 5 दशक में उपादेयता और आवश्यकता के आधार पर आज देश में केवीके की संख्या बढ़ कर 731 हो गई है. केवीके का यह मजबूत नैटवर्क खेती की चुनौतियों के लिए अनुकूल है.

उन्होंने बताया कि केवीके योजना भारत सरकार द्वारा वित्तपोषित है. केवीके कृषि विश्वविद्यालय, आईसीएआर, संस्थानों, संबंधित सरकारी विभागों और कृषि में काम करने वाले गैरसरकारी संगठनों को स्वीकृत किए जाते हैं. केवीके का उद्देश्य प्रौद्योगिकी मूल्यांकन, शोधन और प्रदर्शनों के माध्यम से कृषि व सबद्ध उद्यमों में स्थान विशिष्ट प्रौद्योगिकी मौड्यूल का मूल्यांकन करना है.

डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि किसानों को फसल, पशुधन, वानिकी और मत्स्यपालन के क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी तक पहुंच की आवश्यकता है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) पूरे भारत में जिला स्तर पर स्थापित केवीके के माध्यम से इस का समाधान करता है. केवीके अनुसंधान और विस्तार प्रणाली के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम करते हैं. खेत पर परीक्षण, अग्रिम पंक्ति परीक्षण व किसानों एवं विस्तारकर्मियों के लिए प्रशिक्षण आयोजित करते है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
सब्सक्राइब करें
अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें...