हिसार: प्रदेश में हरित क्रांति की सफलता व खाद्यान्न उत्पादन में अपार वृद्धि चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा अधिक पैदावार वाली विभिन्न फसलों की किस्में विकसित करना, नईनई तकनीकें ईजाद करना और प्रदेश के किसानों की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
हरियाणा प्रदेश क्षेत्रफल की दृष्टि से अन्य प्रदेशों की तुलना में बहुत ही छोटा प्रदेश है, जबकि देश के खाद्यान्न भंडारण व फसल उत्पादन में अग्रणी प्रदेशों में शामिल है.
हकृवि के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने हरियाणा दिवस के मौके पर बोलते हुए प्रदेशवासियों को हरियाणा दिवस की हार्दिक बधाई दी और कहा कि यह बड़े गर्व का विषय है कि आज चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हरियाणा प्रदेश के साथ नए संकल्पों व लक्ष्यों के साथ नए वर्ष में प्रवेश कर रहा है.
उन्होंने यह भी कहा कि हरियाणा प्रदेश का 1 नवंबर, 1966 को जब अलग राज्य के रूप में गठन हुआ था, उस समय खाद्यान्न उत्पादन मात्र 25.92 लाख टन था, जोकि वर्ष 2022-23 में बढ़ कर 323 मिलियन टन होने की उम्मीद है.
उन्होंने आगे कहा कि आज हरियाणा की गेहूं की औसत पैदावार 46.8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर एवं सरसों की औसत पैदावार 20.6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
60 प्रतिशत से अधिक बासमती चावल का निर्यात केवल हरियाणा से
खाद्यान्नों के अधिक उत्पादन के चलते हरियाणा राज्य केंद्रीय खाद्यान्न भंडार में योगदान देने वाला दूसरा सब से बड़ा राज्य है. उन्होंने कहा कि हरियाणा बासमती चावल के लिए भी विशेष रूप से विख्यात है और देश के 60 फीसदी से अधिक बासमती चावल का निर्यात केवल हरियाणा से ही होता है.
कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने सम्मेलन में यह भी कहा कि यह विश्वविद्यालय आज सफलता से भरा वर्ष पीछे छोड़ रहा है. मैं इन सफलताओं के पीछे रीढ़ की तरह काम करने वाले अपने शिक्षक व गैरशिक्षक कर्मचारियों का धन्यवाद करता हूं, जिन्होंने अधिकार व दायित्व में सामंजस्य बनाए रख कर विश्वविद्यालय के शिक्षा, अनुसंधान व विस्तार कार्यक्रमों में अनेक उपलब्धियां हासिल करने के साथ विश्वविद्यालय में विभिन्न कार्यक्रमों के सफल आयोजन में योगदान दिया.
सरसों की आरएच 1975, आरएच 1424 व आरएच 1706 नामक 3 नई उन्नत किस्में विकसित
प्रो. बीआर कंबोज ने कहा कि हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के बाजरा और चारा अनुभागों को इन की सर्वश्रेष्ठ उपलब्धियों के परिणामस्वरूप दूसरी बार राष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ अनुसंधान केंद्र अवार्ड प्रदान किया गया. इसी प्रकार, विश्वविद्यालय को सरसों में उत्कृष्ट अनुसंधानों के लिए सर्वश्रेष्ठ केंद्र अवार्ड से नवाजा गया. विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने सरसों की आरएच 1975, आरएच 1424 व आरएच 1706 नामक 3 नई उन्नत किस्में विकसित करने में सफलता प्राप्त की है.
कृषि शोध संस्थानों में 10वां स्थान
कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने जानकारी देते हुए कहा कि हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने देशभर में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा वर्ष 2023 के लिए जारी नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) में कृषि शोध संस्थानों में 10वां स्थान प्राप्त किया है. विश्वविद्यालय में संरचनात्मक सुविधाओं में विस्तार करते हुए प्रशासनिक भवन में आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित नया सम्मेलन कक्ष भी बनाया गया है.
उन्होंने आगे यह भी कहा कि चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय का नाम आज विश्वस्तरीय विश्वविद्यालयों में शुमार है. यहां के छात्रों का न केवल देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा के लिए चयन हो रहा है अपितु विदेशों में भी फैलोशिप पर जा रहे हैं और दूसरे देशों के छात्र भी यहां पढ़ने आ रहे हैं.
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने बीते अप्रैल माह में 25वां दीक्षांत समारोह आयोजित किया, जिस में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शिरकत कर विश्वविद्यालय का मान बढ़ाया. वहीं देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का भी हकृवि में आयोजित तीनदिवसीय कृषि विकास मेला-2023 के उद्घाटन अवसर पर बतौर मुख्यातिथि आगमन हुआ. इस कृषि विकास मेला में हरियाणा व पड़ोसी राज्यों से तकरीबन 2 लाख किसान शामिल हुए, जिन्होंने 2.02 करोड़ रुपए के रबी फसलों के बीज खरीदे.
उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए बताया कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने नूंह में खुलने वाले विश्वविद्यालय के नए कृषि विज्ञान केंद्र का शिलान्यास किया. यह विश्वविद्यालय भविष्य में भी तरक्की के नए मुकाम बनाता रहेगा और किसानों की इसी प्रकार से सेवा करता रहेगा.