नई दिल्ली : 20 अप्रैल 2023, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों और अन्य हितधारकों के मार्गदर्शन के लिए सार्वजनिक डोमेन में फसल विशिष्ट “ड्रोन के साथ कीटनाशकों के अनुप्रयोग के लिए मानक प्रचालन प्रक्रियाएं (एसओपी)” जारी की. साथ ही, उन्होंने “मिलेट उत्पादन, प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन के लिए मशीनरी” नामक एक पुस्तिका का विमोचन भी किया.
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि हमारी प्रधानता है, इसलिए चाहे रिसर्च का काम हो या योजनाएं बनाने का, सरकार की पहली प्राथमिकता कृषि को बढ़ावा देने व किसानों की माली हालत में सुधार की रहती है. आज कृषि क्षेत्र में अनेक चुनौतियां हैं. किसानों को खेती में बढ़ावा देना, खेती से दूरी बनाती नई पीढ़ी को भी आकर्षित करना व उत्पादन लागत कम करते हुए किसानों का मुनाफा बढ़ाना है. इन के लिए कृषि क्षेत्र में तकनीक का समर्थन बहुत जरूरी है.
उन्होंने आगे कहा कि कृषि क्षेत्र में नित नई चुनौतियों की संभावनाएं रहती हैं, इसलिए समयसमय पर सोच में बदलाव के साथ ही विधाओं का परिवर्तन जरूरी है. कृषि क्षेत्र की बात करें, तो आने वाले कल में तकनीक का समर्थन किए बिना हम उद्देश्य प्राप्त नहीं कर पाएंगे, इसलिए योजनाओं को तकनीक से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. प्राकृतिक खेती जैसे विषयों को आगे बढ़ाया जा रहा है. हमारे देश ने नैनो यूरिया बनाया, नैनो डीएपी भी. ड्रोन टैक्नोलौजी को सरकार ने कृषि क्षेत्र में स्वीकार किया है.
उन्होंने अपनी बात साझा करते हुए बताया कि पिछली बार जब टिड्डी का प्रकोप हुआ था, तो उस समय ड्रोन के उपयोग की जरूरत महसूस की गई थी, तभी से पूरे समर्थन के साथ ड्रोन तकनीक हमारे सामने है. कृषि में लागत कम करने व कीटनाशकों के दुष्प्रभाव से शरीर को बचाने में किसान ड्रोन द्वारा व्यापक लाभ मिलेगा.
हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जब भी हम कोई नया काम करते हैं, तो अंतिम व्यक्ति तक मदद अवश्य पहुंचे. यही वजह है कि जब ड्रोन की स्कीम बन रही थी, तब सामान्य किसान, सामान्य ग्रेजुएट को भी इस में जोड़ा गया, ताकि ड्रोन का उपयोग छोटे किसानों तक सुलभ हो सके.
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की घोषणानुसार, वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में दुनियाभर में मनाया जा रहा है. विभिन्न आयोजनों में श्री अन्न को प्राथमिकता व मान्यता मिल रही है. इस के लिए प्रसन्नता के साथ हमारी जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है. देशदुनिया में श्री अन्न की मांग व खपत बढ़ेगी, तो उत्पादन व उत्पादकता के साथ ही प्रोसैसिंग व एक्सपोर्ट भी बढ़ाना होगा.
कार्यक्रम में कृषि सचिव मनोज अहूजा, आईसीएआर के महानिदेशक डा. हिमांशु पाठक, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव अभिलक्ष लिखी, संयुक्त सचिव शुभा ठाकुर, एस. रुक्मणि व विजयलक्ष्मी, कृषि आयुक्त पीके सिंह, उपायुक्त (मशीनीकरण व प्रौद्योगिकी) सीआर लोही व एएन मेश्राम, ड्रोन फेडरेशन औफ इंडिया, आईसीएआर, एसएयू व राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी-वैज्ञानिक, नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधिकारी, एफएमटीटीआई के निदेशक व किसान शामिल हुए.
ड्रोन के लिए अनुदान सहायता
किसानों के खेतों में ड्रोन के प्रदर्शन के लिए आईसीएआर के संस्थान, केवीके, एसएयू, राज्य व केंद्र सरकार के अन्य कृषि संस्थानों व कृषि गतिविधियों में कार्यरत भारत सरकार के पीएसयू को कृषि यंत्रीकरण उपमिशन के तहत आकस्मिक व्यय के साथ ड्रोन लागत की 100 फीसदी की दर पर वित्तीय सहायता (प्रति ड्रोन 10 लाख रुपए तक) प्रदान की जाती है, वहीं एफपीओ को किसानों के खेतों पर प्रदर्शन के लिए ड्रोन की खरीद के लिए 75 फीसदी की दर से अनुदान सहायता दी जाती है. ड्रोन प्रयोग के जरीए कृषि सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से किसान सहकारी समिति, एफपीओ व ग्रामीण उद्यमियों के तहत सीएचसी द्वारा ड्रोन खरीद के लिए ड्रोन की मूल लागत की 40 फीसदी की दर से वित्तीय सहायता दी जाती है, जो अधिकतम 4 लाख रुपए है.
सीएचसी स्थापित करने वाले कृषि स्नातक ड्रोन की लागत के 50 फीसदी की दर से अधिकतम 5 लाख रुपए तक की वित्तीय सहायता के लिए पात्र हैं. व्यक्तिगत छोटे व सीमांत किसानों, एससी व एसटी के किसानों, महिला किसानों, पूर्वोत्तर राज्यों के किसानों को भी ड्रोन की लागत की 50 फीसदी की दर से अधिकतम 5 लाख रुपए व अन्य किसानों को ड्रोन की लागत की 40 फीसदी की दर से अधिकतम 4 लाख रुपए तक की सहायता दी जाती है.