नई दिल्ली : विश्व में टमाटर का दूसरा सब से बड़ा उत्पादक देश भारत है, जो वार्षिक 20 मिलियन मीट्रिक टन का शानदार उत्पादन करता है. हालांकि, अत्यधिक बारिश या अचानक गरमी जैसी प्रतिकूल मौसम की स्थिति उत्पादन और उपलब्धता को प्रभावित करती है. इस के परिणामस्वरूप कीमतों में अत्यधिक उतारचढ़ाव होता है. ये चुनौतियां सीधे किसानों की आय को प्रभावित करती हैं और आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित करती हैं एवं बरबादी की वजह बनती हैं. इन महत्वपूर्ण मुद्दों के समाधान और टमाटर की आपूर्ति को स्थिर करने के लिए अभिनव और प्रारूप समाधान खोजने के लिए टमाटर ग्रैंड चैलेंज (टीजीसी) शुरू किया गया है.

ग्रैंड चैलेंज का उद्देश्य टमाटर उत्पादन, प्रसंस्करण और वितरण में प्रणालीगत चुनौतियों का समाधान करने के लिए देश के युवा नवोन्मेषकों और शोधकर्ताओं की प्रतिभा का उपयोग करना था. ये चुनौतियां हैं :
उत्पादन पूर्व : जलवायु अनुकूल बीजों का कम मिलना और खराब कृषि पद्धतियां.
उपज के बाद नुकसान : कोल्ड स्टोरेज जैसी सुविधाओं की कमी और अनुचित रखरखाव के कारण फसल की बरबादी.
प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन : टमाटरों के अधिक उपज होने की स्थिति में प्रसंस्करण के लिए अपर्याप्त बुनियादी ढ़ांचा.
आपूर्ति श्रृंखला : फसल की बाधित आपूर्ति और बिचौलियों का प्रभुत्व मूल्य अस्थिरता का कारण बनता है.
बाजार पहुंच और पूर्वानुमान : फसल की बाधित आपूर्ति और मांग पूर्वानुमान में कमी के कारण मूल्य में गिरावट और बरबादी होती है.
तकनीकी अपनाना : उपयुक्‍त खेती और आईओटी आधारित निगरानी जैसी आधुनिक कृषि तकनीकों के बारे में कम जागरूकता और उपयोग.
पैकेजिंग और परिवहन: फसल को बेहतर और नुकसान को कम करने के लिए नवीन, लागत प्रभावी समाधानों की आवश्यकता.
देशभर के नवोन्मेषकों से कुल 1,376 विचार प्राप्त हुए. उचित मूल्यांकनों के बाद चरण-1 में 423 विचारों को शार्टलिस्ट किया गया. दूसरे चरण में कुल 29 विचार लिए गए, जिस में 28 परियोजनाओं को फंडिंग और मैंटरशिप मिली. परियोजनाओं की समयसमय पर निगरानी की गई, संक्षिप्त दौरे किए गए और एआईसीटीई और डीओसीए की टीजीसी मूल्यांकन समिति द्वारा समीक्षा की गई. विशेषज्ञों के पैनल द्वारा 14-15 अक्तूबर, 2024 को मूल्यांकन को अंतिम रूप दिया गया, जिसे परियोजनाओं को उन की प्रासंगिकता, मापनीयता और नवाचार के आधार पर आंका गया.

टमाटर ग्रैंड चैलेंज ने महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है, जिस के परिणामस्वरूप कई आईपी जिन में 14 पेटेंट, 4 डिजाइन पंजीकरण/ट्रेडमार्क और 10 प्रकाशन दाखिल करने की प्रक्रिया में हैं. कुछ प्रमुख परिणाम ये थे :
– फसल को ज्‍यादा दिन रखने और नुकसान को कम करने के लिए नए पैकेजिंग और परिवहन समाधानों का विकास.
– ऐसे प्रसंस्कृत उत्पादों का निर्माण, जो उपयोगिता को बढ़ाते हैं, बरबादी को कम करते हैं और सालभर उपलब्धता सुनिश्चित करते हैं.
– टमाटर ग्रैंड चैलेंज से समाधान, टमाटर मूल्य में बदलाव, लचीलापन, बरबादी को कम करने और हितधारकों के लिए लाभप्रदता बढ़ाने का वादा करते हैं. यह पहल भारत में अन्य कृषि वस्तुओं की चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक बेंचमार्क स्थापित करती है.
– टमाटर ग्रैंड चैलेंज सहयोग और नवाचार की शक्ति का एक प्रमाण है. शिक्षा, उद्योग और सरकार को एकसाथ ला कर इस ने भारत की कृषि चुनौतियों के लिए सतत, प्रभावशाली समाधानों का मार्ग प्रशस्त किया है. इस पहल के परिणामों से टमाटर के किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को लाभ होगा.

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