नई दिल्ली, 9 फरवरी, 2024. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के स्नातक विद्यालय का 62वां दीक्षांत समारोह, राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु के मुख्य आतिथ्य एवं केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा की अध्यक्षता में हुआ. भारत रत्न सी. सुब्रमण्यम हॉल, पूसा, नई दिल्ली में गरिमामय समारोह में कृषि विज्ञान के 26 विषयों में 5 विदेशी छात्रों सहित 543 छात्र-छात्राओं को डिग्री प्रदान की गई, साथ ही प्रतिभावान विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया.
इस अवसर पर अर्जुन मुंडा ने आईएआरआई के प्रकाशनों का विमोचन किया एवं नई वैरायटीज को जारी कर इन्हें राष्ट्रपति को भेंट किया.
अपने दीक्षांत भाषण में राष्ट्रपति श्रीमती मुर्मु ने कहा कि आईएआरआई ने भारत द्वारा खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने में अतुलनीय योगदान दिया है. इस संस्थान ने न केवल कृषि से जुड़े अनुसंधान व विकास कार्यों को दक्षतापूर्वक किया है, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया है कि ऐसी जानकारी प्रयोगशाला के बाहर धरातल पर जाकर मूर्त रूप ले सकें. उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि संस्थान ने 200 से ज्यादा नई तकनीकों का विकास किया है.
वर्ष 2005 से 2020 के बीच ही आईएआरआई ने 100 से ज्यादा वैरायटीज विकसित की हैं और 100 से अधिक पेटेंट्स अपने नाम किए हैं.
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में एक बहुत बड़ी जनसंख्या कृषि से जीविका अर्जन करती है. कृषि का भारत के सकल घरेलू उत्पाद में भी महत्वपूर्ण योगदान है. एक कृषि प्रधान परिवार से आने के कारण मैं जानती हूं कि किसान खाद्यान्न उपलब्ध करा कर कितनी संतुष्टि का अनुभव करता है. देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होने में किसानों का बहुत बड़ा योगदान है.
उन्हें यह जान कर प्रसन्नता हुई कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने, नई कृषि पद्धतियों को प्रोत्साहित करने व सुचारू सिंचाई प्रणाली प्रदान करने के लिए काम कर रही है. सरकार ने किसानों की आय में वृद्धि के लिए सभी फसलों की एमएसपी में महत्वपूर्ण वृद्धि की है.
उन्होंने कहा कि हम सब किसानों व कृषि संबंधी समस्याओं से अवगत हैं. किसान को उस की उपज का सही मूल्य मिले, वह अभावग्रस्त जीवन से समृद्धि की ओर बढ़े, इस दिशा में हमें और भी अधिक तत्परता से आगे बढ़ना होगा. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि वर्ष 2047 में जब भारत विकसित राष्ट्र बन कर उभरेगा, तब किसान इस यात्रा का अग्रदूत होगा.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि ऐसा कहा जाता है कि किसान के हल की नोक से खींची गई रेखा सभ्यता के पूर्व के समाज और विकसित समाज के बीच की रेखा है. किसान न केवल विश्व के अन्नदाता है, बल्कि सही अर्थों में जीवनदाता है.
इस समारोह में डेयर के सचिव व भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक डा. हिमांशु पाठक भी मौजूद थे.