चिड़ावा (झुंझुनूं) : 1 मार्च, 2023. रामकृष्ण जयदयाल डालमिया सेवा संस्थान द्वारा आज संस्थान के खेलकूद परिसर में विशाल कृषि मेले का आयोजन हुआ, जिस में क्षेत्र के किसान, किसान महिलाएं, कृषि विषय का अध्ययन करने वाले छात्रछात्राएं, पशुपालकों सहित प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया. मेले में विभिन्न कंपनियों एंव सरकारी विभागों द्वारा लगाई गई कृषि आदानों, उपकरणों, नवीन कृषि यंत्रों, जैविक उत्पादों, जल संरक्षण सहित अन्य उपयोगी जानकारीपरक 35 स्टाल लगाए.

मेले में कृषि विशेषज्ञों द्वारा कृषि उत्पादन को बढ़ाने, परंपरागत खेती के स्थान पर अधिक आय देने वाली फसलों की बोआई करने, भोजन में मिलेट्स का उपयोग बढ़ाने जैसी जानकारी दी गई.

कृषि मेले के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर (जयपुर) के पूर्व कुलपति डा. प्रवीण सिंह राठौड़ ने कहा कि किसानों को अब जमीन के घटते क्षेत्रफल और गिरते भूजल स्तर पर विशेष ध्यान देना होगा. उन्होंने बताया कि निरंतर उवर्रकों के उपयोग से भूमि की गुणवत्ता एवं पोषक तत्वों की उपलब्धता में निरंतर गिरावट आ रही है. इसी प्रकार अधिक सिंचाई वाली फसलों की बोआई के कारण भूजल स्तर भी गिरता जा रहा है. राजस्थान के 216 ब्लौक ओवर एक्सप्लौटेड हो गए हैं.

यदि यही स्थिति रही तो सिंचाई के लिए दूर पेयजल के लिए हमें पानी की तलाश करनी होगी. उन्होंने सुझाव दिया कि किसानों को संतुलित उर्वरा प्रबंधन पर ध्यान देना होगा.

कायर्क्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रवासी उद्योगपति एंव ट्रस्टी रघुहरि डालमिया ने कहा कि देश को ऐसे किसानों की आवश्यकता है, जो देश की प्रगति में सहभागी बनें. किसानों ने जमीन को आबाद कर हम सब को भोजन के लिए अन्न उपलब्ध करवा कर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका प्रस्तुत की है.

उन्होंने मेले में आए किसानों से आग्रह किया कि वे मेेले में प्रदर्शित की गई नवीन तकनीकों के उपकरणों, जानकारी व अनुसंधानों के ज्ञान को कृषि उपज बढ़ाने में साझा करें.

उन्होंने यह भी कहा कि कृषि विद्यालय अथवा महाविद्यालय से आने वाले छात्रछात्राएं संस्थान द्वारा वर्षा जल संरक्षण, वृक्षारोपण व कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए अपनाई जा रही पद्धतियों का किसी भी दिन आ कर अवलोकन कर सकते हैं.

कृषि मेले में उद्यान विभाग झुंझुनूं के उपनिदेशक डा. शीशराम जाखड़ ने परंपरागत खेती के स्थान पर अधिक आय देने वाली नकदी फसलों की बोआई करने, बागान लगाने, परंपरागत सिंचाई पद्धति के स्थान पर फव्वारा, मिनी फव्वारा आदि पद्धतियों का उपयोग करने का सुझाव दिया.

पयार्वरण विकास एंव अध्ययन केंद्र के निदेशक डा. मनोहर सिंह राठौड़ ने किसानों को एकजुट होने व जागरूक हो कर खेती करने का सुझाव दिया.

स्वामी केशवानंद विश्वविद्यालय, बीकानेर के पूर्व निदेशक डा. हनुमान प्रसाद ने रामकृष्ण जयदयाल डालमिया सेवा संस्थान द्वारा वर्षा जल संरक्षण सहित किसानों की आर्थिक समृद्धि के लिए चलाई जा रही कायर्क्रमों की सराहना की और कहा कि वर्षा जल की उपलब्धि को देखते हुए हमें कम पानी के उपयोग वाली फसलों की बोआई करनी होगी.

किसान आयोग के सदस्य ओपी खेदड़ ने कहा कि मिलेट्स की पौष्टिकता को देखते हुए हमें इस का उपयोग बढ़ाना होगा. प्रगतिशील किसान मुकेश मांजू ने भी अपने विचार रखे.

मेले में प्रगतिशील किसानों के रूप में विद्याधर, सवाई सिंह, सुरेश, लालचंद, कुंजबिहारी को, ग्राम विकास समिति के लिए मालुपुरा की ग्राम जलग्रहण समिति को, पयार्वरण मित्र के रूप में राकेश बराला को और जलयोद्धा के रूप में रोहिताश बराला को प्रमाणपत्र व प्रतीक चिन्ह दे कर सम्मानित किया.

प्रारंभ में संस्थान के परियोजना प्रबंधक भूपेंद्र पालीवाल ने अतिथियों का स्वागत किया और संस्थान की प्रगति पर प्रकाश डाला. कार्यक्रम का संचालन मोनिका स्वामी द्वारा किया गया.

इस अवसर पर संस्थान के जल संसाधन समन्वयक संजय शर्मा, कृषि समन्वयक शुबेंद्र भट्ट, प्रशासनिक अधिकारी कुलदीप कुल्हार, अजय बलवदा, राकेश महला, सूरजभान रायला, नरेश, बलवान सिंह, अनिल सैनी, मान सिंह, जितेंद्र एवं सुनील उपस्थित रहे.

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