नई दिल्ली : राजधानी नई दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा संस्थान) के डा. बीपी पाल सभागार में 6 जून, 2024 को देशभर के प्रगतिशील किसानों का सम्मेलन होने जा रहा है, जिस में इस वर्ष 6 राज्यों के 7 किसानों को ‘अध्येता किसान’ यानी फैलो फार्मर और 22 राज्यों के 33 किसानों को ‘नवोन्मेषी किसान’ यानी इनोवेटिव फार्मर पुरस्कार  से सम्मानित किया जाएगा. इस में 8 राज्यों से 9 महिला किसान, 6 आदिवासी किसान  शामिल हैं.

सभी पुरस्कृत किसानों ने खेती के विभिन्न मौडल तैयार कर अपनेअपने क्षेत्रों में स्थानीय रूप से समेकित कृषि प्रणाली का विकास किया है. इस में खाद्यान्न फसलें, बागबानी आदि शामिल किया है. कई सफल किसानों ने फसल विविधीकरण को अपना कर अपनी आय को बढ़ाया है.

इस के अलावा हाईटैक कृषि पद्धतियों जैसे संरक्षित खेती, गैरपारंपरिक ऊर्जा स्रोत, सोलर प्रणालियों, जल संसाधन के संरक्षण एवं उपयोग दक्षता बढ़ाने वाली तकनीकों को अपनाया. विभिन्न किसानों ने आईपीएम, उन्नत कृषि मशीनरी और हाइड्रोपोनिक्स इत्यादि को अपनी खेती में शामिल किया है.

पूसा संस्थान (Pusa Institute)

अनेक किसानों ने उत्पादन के साथसाथ प्रसंस्करण यानी प्रोसैसिंग, मूल्य संवर्धन और विपणन के लिए भी नवाचार किए हैं. किसानों ने प्रमुख रूप से खाद्यान्न फसलों के बीज उत्पादन के क्षेत्र में बहुत योगदान किया. इस में सतत कृषि की पद्धतियों को अपनाया, जिस में प्रमुख रूप से जैविक नाशीजीव, जैव उर्वरक, केंचुआ खाद, बायोगैस स्लरी के उपयोग के साथसाथ उत्पादन इकाइयों का निर्माण किया. फसलों के अवशेष प्रबंधन के लिए पूसा डीकंपोजर का इस्तेमाल किया और पराली से खाद बनाई. किसानों की एक बड़ी उपलब्धि यह रही है कि उन्होंने इन उन्नत तरीकों को न स्वयं अपनाया, बल्कि साथी किसानों को भी हस्तांतरित किया. उन्होंने किसान उत्पादक संगठन, स्वयं सहायता समूह भी बनाया और रोजगार भी पैदा किया.

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