नई दिल्ली: 17 जनवरी 2024. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने नई दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद यानी आईसीएआर के राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर की विभिन्न सुविधाओं और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा के कृषि प्रक्षेत्र का अवलोकन किया.
इस दौरान मंत्री अर्जुन मुंडा ने कृषि एवं बागबानी की आधुनिक पद्धतियों की बारीकी से जानकारी लेते हुए अधिकारियों से कहा कि यहां हो रहे अनुसंधान के कामों का लाभ देश के छोटे व मझोले किसानों तक पहुंचना सुनिश्चित किया जाना चाहिए, ताकि इन के माध्यम से वे लाभान्वित हो कर आमदनी बढ़ा सकें एवं उन का जीवनस्तर ऊंचा उठ सके.
केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा के पूसा पहुंचने पर आईसीएआर के महानिदेशक डा. हिमांशु पाठक सहित अन्य अधिकारियों एवं वैज्ञानिकों ने अगुआई की. सब से पहले मंत्री अर्जुन मुंडा ने राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर की विभिन्न सुविधाओं जैसे कि औडिटोरियम, प्रदर्शनी हाल और विभिन्न सभा कक्षों का दौरा किया और उन के उपयोग के बारे में जानकारी ली.
मंत्री अर्जुन मुंडा ने राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर स्थित अंतर्राष्ट्रीय गेस्टहाउस का दौरा किया. इस के बाद उन्होंने पूसा के वृहद कृषि प्रक्षेत्र के विभिन्न प्रभागों का भी दौरा किया. उन्होंने संरक्षित कृषि प्रौद्योगिकी केंद्र का निरीक्षण किया, जिस की स्थापना प्रदर्शन फार्म के रूप में वर्ष 1998-99 में की गई थी.
इसे बाद में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग केंद्र (माशव) और सिनाडको के माध्यम से कृषि अनुसंधान व शिक्षा विभाग (डेयर) और आईसीएआर एवं इजराइल सरकार द्वारा संयुक्त रूप से इंडोइजराइल परियोजना का रूप दिया गया. इस परियोजना का उद्देश्य उन्नत गुणवत्ता व उत्पादकता के लिए बागबानी फसलों की परिनगरीय खेती की सघन व व्यावसायिक उन्मुख प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन करना था. इजराइल सरकार के साथ सहयोग अवधि पूरी होने पर इस सुविधा को संरक्षित कृषि प्रौद्योगिकी केंद्र के रूप स्थापित किया गया.
उन्होंने यहां सब्जियों और पुष्पीय फसलों के लिए जलवायु नियंत्रित व प्राकृतिक हवादार ग्रीनहाउस, नैटहाउस, नर्सरी सुविधाओं, खुले खेत, ड्रिप सिंचाई प्रणाली और ड्रोन द्वारा छिड़काव आदि गतिविधियों का अवलोकन किया.
केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने पूसा संस्थान में स्थापित समन्वित कृषि प्रणाली की एक एवं ढाई एकड़ की 2 यूनिट का भी अवलोकन किया, जहां पर मशरूम, संरक्षित खेती, मुरगीपालन एवं बतखपालन आदि के साथ ही बागबानी एवं फसलों के उत्पादन की जानकारी भी ली, जिन के द्वारा किस तरह से छोटे किसानों की आमदनी बढ़ाई जा सकती है, इस विषय पर मार्गदर्शन दिया.
उन्होंने सरसों व सब्जी अनुसंधान कार्यक्रम को भी देखा और विभिन्न उन्नत किस्मों के बारे में वैज्ञानिकों से जानकारी ली, वहीं तिलहन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर भी चर्चा की. साथ ही, जलवायु परिवर्तन के, भविष्य में भारतीय कृषि पर पड़ने वाले प्रभावों एवं उन से किस तरह से फसलों को बचाया जाए, इस संबंध में भी मंत्री अर्जुन मुंडा ने वैज्ञानिकों से चर्चा करते हुए इस दिशा में पूसा परिसर में किए जा रहे प्रयासों की सराहना की. वहीं इस योजना का लाभ देश में छोटेमझोले किसानों तक भी पहुंचे.