नई दिल्ली: स्टार्टअप फोरम फौर एस्पायरिंग लीडर्स एंड मेंटर्स (सुफलम) 2024 का समापन इस संदेश के साथ हुआ कि खाद्य प्रसंस्करण के विभिन्न पहलुओं में नवाचार, सहयोग और उन्नत प्रौद्योगिकियां खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में स्टार्टअप को स्थापित खाद्य व्यवसायों में बदलने में प्रमुख प्रेरक की भूमिका निभाती हैं.
13 फरवरी और 14 फरवरी को नई दिल्ली में आयोजित इस दोदिवसीय कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री पशुपति कुमार पारस ने कृषि एवं किसान कल्याण एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्यमंत्री शोभा करंदलाजे, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय में सचिव अनीता प्रवीण, कुंडली स्थित एनआईएफटीईएम के निदेशक डा. हरिंदर ओबेराय और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय में अपर सचिव मिन्हाज आलम की गरिमामयी उपस्थिति में किया.
इस आयोजन में 250 से अधिक हितधारकों की भागीदारी देखी गई, जिस में स्टार्टअप, खाद्य प्रसंस्करण कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारी, एमएसएमई व वित्तीय संस्थानों के प्रतिनिधि, उद्यम पूंजीपति और शिक्षाविद शामिल थे.
2 दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में 3 ज्ञान सत्र, 2 पिचिंग सत्र, 2 पैनल चर्चा, नैटवर्किंग सत्र और एक प्रदर्शनी शामिल थी. स्टार्टअप सिंहावलोकन एवं लाभों से जुड़े ज्ञान सत्र के दौरान प्रतिभागियों को स्टार्टअप इंडिया की भूमिका, स्टार्टअप इंडिया के तहत मैंटरशिप एवं नवाचारों से जुड़े विभिन्न कार्यक्रमों और इस पहल द्वारा देश में स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा देने में मदद करने के बारे में बताया गया.
खाद्य विनियमों से जुड़े अन्य ज्ञान सत्र के दौरान प्रतिभागियों को एफएसएसएआई एवं ईआईसी नियमों के अनुसार, विभिन्न खाद्य उत्पादों के घरेलू उपयोग, आयात और निर्यात में विभिन्न नियमों, प्रमाणपत्रों और अनुपालनों के बारे में उचित जानकारी दी गई. ताजा और प्रोसैस्ड खाद्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एपीडा के तहत विभिन्न योजनाओं के बारे में नई जानकारी स्टार्टअप के लिए व्यवसाय और वित्तीय मौडलिंग थी, जिस में व्यवहार्यता और स्थिरता दिखाने वाली व्यवसाय योजना की तैयारी और किसी भी व्यवसाय की वित्तीय योजना में मुक्त नकदी प्रवाह के महत्व एवं उचित नकदी प्रवाह प्रबंधन पर स्टार्टअप को विभिन्न सुझाव दिए गए.
खाद्य प्रणालियों को बदलने से जुड़ी पैनल चर्चा कच्चे माल के विविधीकरण, शैवाल एवं मिलेट्स जैसे जलवायु अनुकूल विकल्पों और उद्यमिता में रचनात्मकता पर केंद्रित थी. खाद्य सुरक्षा मानकों को पूरा करने एवं आपूर्ति श्रंखलाओं को अनुकूलित करने के लिए प्रोसैसिंग मशीनरी, कच्चे माल और नवीन कृषि तकनीकी उपायों की डिजाइनिंग पर प्रकाश डाला गया. कच्चे माल की सोर्सिंग में हस्तक्षेप, प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थों और टिकाऊ पैकेजिंग में अवसरों की खोज और निरंतर नवाचारों के लिए सहयोग पर भी चर्चा की गई.
फूड प्रोसैसिंग से जुड़े उद्यमियों के लिए स्टार्टअप कौन्क्लेव पर सत्र के दौरान खाद्य नवाचार केंद्र के रूप में भारत की क्षमता, उद्योग, स्टार्टअप और संस्थानों के बीच तालमेल की जरूरत पर बल देते हुए चर्चा की गई. मुख्य चर्चाएं उपभोक्ता प्राथमिकताओं और अनुपालन मानकों के अनुरूप टिकाऊ पैकेजिंग के महत्व पर केंद्रित थीं. स्टार्टअप से गुणवत्तापूर्ण कच्चे माल की सोर्सिंग, किसानों के साथ सहयोग करने और प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थों और किफायती पोषण आधारित उत्पादों में उद्यम करने में सक्रिय भूमिका निभाने का आग्रह किया गया. यह सत्र निरंतर नवाचार के लिए सभी क्षेत्रों में विशेष रूप से क्रेडिट नवाचार और क्रौस उद्योग साझेदारी के माध्यम से सहयोग पर जोर देने के साथ संपन्न हुआ.
दोनों ही दिन निर्धारित 2 पिचिंग सत्रों में 12 चयनित स्टार्टअप ने खाद्य प्रौद्योगिकीविदों, एसबीआई और एचडीएफसी बैंक के शीर्ष बैंकिंग अधिकारियों, वीसी, एनआईएफटीएम के संकाय और उद्योग पेशेवरों के एक पैनल के सामने अपने विचार पेश किए. 6 स्टार्टअप को उत्पाद परिशोधन, बाजार लिंकेज के साथसाथ निवेशक जुड़ाव के बारे में सलाह एवं सहायता की पेशकश की गई.
पैनलिस्टों ने इस पहल का स्वागत किया और उभरते छोटे उद्यमों को मार्गदर्शन एवं मार्गदर्शन के लिए भविष्य में ऐसे प्रयासों के लिए समर्थन की पेशकश की. इस दोदिवसीय कार्यक्रम के दौरान 26 स्टार्टअप, 9 पीएमएफएमई लाभार्थियों और 3 सरकारी एजेंसियों सहित कुल 38 प्रदर्शकों ने अपने उत्पादों, योजनाओं और प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया. इस के अलावा स्टार्टअप और उद्योग के बीच अलगअलग नैटवर्किंग सत्र भी हुए, जहां स्टार्टअप को मदद और तकनीकी सहायता देने पर चर्चा हुई.
‘सुफलम 2024’ ने परिवर्तनकारी चर्चाओं के एक उत्प्रेरक के रूप में काम किया है और इन चर्चाओं ने नवाचार संचालित विकास की दिशा में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का मार्ग प्रशस्त किया है और स्टार्टअप, उद्योग और शिक्षाविदों के बीच सहयोग को बढ़ावा दिया है.