भिंड : उपसंचालक, कृषि, राम सुजान शर्मा ने बताया कि जिले में खरीफ में बाजरा के बाद धान मुख्य फसल के रूप में उगाई जाती है. किसी भी फसल के अधिकतम और गुणवत्तापूर्ण उपज प्राप्त करने के लिए संतुलित मात्रा में पोषण प्रबंधन करना अति महत्वपूर्ण है. इस परिपेक्ष्य में भिंड जिले में ज्यादातर किसान फसलों में असंतुलित मात्रा में उर्वरकों का उपयोग करते हैं, जिस से मिट्टी की सेहत खराब होती है.

जिले की मुख्य फसल बाजरा है. मानसून शुरू होते ही किसान फसल के लिए खेतों में उर्वरक डाल रहे हैं.
यहां फसल के उच्चतम उत्पादन के लिए वैज्ञानिक अनुशंसा उर्वरकों के लिए की गई है. जिस से प्रति हेक्टेयर लागत भी कम हो और उत्पादन अधिकतम लिया जा सके. इस के अतिरिक्त किसान डीएपी की ज्यादा मांग करते हैं. यहां किसानों को समझना होगा कि किस फसल के लिए कौन सी खाद उपयुक्त है और किस मात्रा में किस प्रकार दिया जाना है.

डीएपी में दो तत्व होते हैं. 18 फीसदी नाइट्रोजन और 46 फीसदी फास्फोरस, इस की फास्फोरस मात्र 39 फीसदी पानी में घुलनशील है और बाक़ी मिट्टी में बांड हो जाती है.

डीएपी दलहनी और फूल वाली फसलों के लिए उपयुक्त खाद है. इस की कीमत प्रति 50 किलोग्राम 1,350 रुपए है. इस की तुलना में दानेदार फसलों के लिए एनपीके, जो 12:32:16  और 16:16:16 फार्मूलेशन में आता है. ये विशेषतः धान, बाजरा, ज्वार की फसल के लिए सब से उपयुक्त खाद माना जाती है. इस का फास्फोरस डीएपी की तुलना में पानी में अधिक घुलनशील है, लगभग इस का फास्फोरस 90 फीसदी घुलनशील है, जो फसल को आसानी से उपलब्ध हो जाता है. साथ ही, इस में पोटाश भी 16 फीसदी होता है, जो दाने में चमक के लिए होता है. इस की कीमत भी 1,250 प्रति 50 किलो बैग है, जो डीएपी से 150 रुपए कम है.

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