उदयपुर : 21 नवंबर, 2024. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि सौर ऊर्जा दोहन, पेटेंट्स, आईएसओ प्रमाणित लैब, आईएसओ प्रमाणित केवीके, कालेज, स्कूप्स एच इंडेक्स, क्राप केफेटेरिया, सभी केवीके में मिलेट वाटिका विकसित करने जैसी दर्जनों गतिविधियां एमपीयूएटी को प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों में शीर्ष पर रेखांकित करती है.
कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने पिछले दिनों हल्द्वानी, उत्तराखंड में कृषि वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए यह बात कही. कार्यक्रम में राजस्थान के महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर एवं उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के बीच शोध व नवाचार को ले कर एक समझौतापत्र पर हस्ताक्षर हुए, जिस में यह तय किया गया कि दोनों विश्वविद्यालयों के बीच शोध व नए प्रयोगों का आदानप्रदान होगा. इस से दोनों विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों को लाभ मिल सकेगा.
डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने इस मौके पर विस्तारपूर्वक देश के कृषि परिदृश्य पर बात रखी और कहा कि बीजों से पैदावार बढ़ाने को ले कर देशभर में बहुत काम हो रहा है, लेकिन कीटनाशकों के अधिक इस्तेमाल को हमें रोकना होगा. यही नहीं, हमें हरित क्रांति के दुष्प्रभावों को देखना होगा और उसी के अनुरूप रणनीतियां बनानी होंगी.
उन्होंने आगे कहा कि एमपीयूएटी ने 14 से अधिक विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ करार किया हुआ है, जिस का लाभ विद्यार्थियों को मिल रहा है. एमपीयूएटी ने वर्ष 2024 में 25 पेटेंट हासिल किए व कुल पेटेंट 54 हैं. एमपीयूएटी ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है. एमपीयूएटी में सौर ऊर्जा से हर साल एक करोड़ रुपए से ज्यादा के बिजली बिल का खर्च बचाया जा रहा है.
उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के 5 महाविद्यालयों और एक विभाग को मिला कर 1100 किलोवाट (1.1 मेगावाट) का औन ग्रिड प्लांट लगा हुआ है. यह प्रदेश के सभी विश्वविद्यालया में लगा सब से बड़ा प्लांट है. राजस्थान कृषि महाविद्यालय में 500 किलोवाट, जबकि अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय में 465 किलोवाट का प्लांट लगा है.
कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि मोटा अनाज व आईएसओ के क्षेत्र में बेतहरीन कार्य के लिए उन के विश्वविद्यालय को राज्यपाल अवार्ड से सम्मानित किया गया है. उन्होंने कहा कि देश की 65 फीसदी आबादी आज भी सीधेतौर पर खेती से जुड़ी है. ऐसे में कृषि के क्षेत्र में शोध एवं नवाचार की बहुत आवश्यकता है.
उन्होंने उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय की सराहना करते हुए कहा कि यहां पर आईसीटी व शिक्षार्थियों के लिए पाठ्य सामग्री बहुत अच्छी गुणवत्तायुक्त तैयार की जा रही है, जिस का लाभ निश्चय ही उन के विश्वविद्यालय के विद्यार्थी ले पाएंगे.
कार्यक्रम में उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओपीएस नेगी ने विश्वविद्यालय के कार्यों को निरूपित करते हुए एक पीपीटी प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया.
विशिष्ट अतिथि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. होशियार सिंह धामी ने कहा कि इस तरह के करार से शिक्षार्थियों को एक बड़ा फलक मिल पाएगा, जिस से उन के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में विज्ञान शाखा के निदेशक प्रो. पीडी पंत ने व विश्वविद्यालय कुलसचिव खीमराज भट्ट ने सभी का आभार व्यक्त किया.
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के प्रो. मंजरी अग्रवाल, प्रो. डिगर सिंह फरस्वाण, डा. कल्पना लखेड़ा पाटनी, डा. रंजू जोशी, प्रो. राकेश चंद्र रयाल आदि ने भी विचार रखे.