उदयपुर : महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने 11 सितंबर को प्रजनक बीज प्रताप संकर मक्का-6 के उत्पादन के लिए एक थ एक ही समय में 6 विभिन्न बीज उत्पादक कंपनियों के साथ सहमतिपत्र पर हस्ताक्षर किए, जो कि विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार किया गया है.
विश्वविद्यालय ने यह सहमतिपत्र गुजरात की इंडो यूएस बायोटैक, आंध्र प्रदेश की चक्रा सीड्स, संपूर्णा सीड्स, श्री लक्ष्मी वैंकटश्वर सीड्स, मुरलीधर सीड्स कार्पोरेशन एवं तेलंगाना की महांकालेश्वरा एग्रीटैक प्राइवेट लिमिटेड के साथ हस्ताक्षरित किए गए.
यह समझौता विश्वविद्यालय द्वारा मक्का की विकसित प्रजाति प्रताप संकर मक्का-6 के पैतृक बीजों को उपलब्ध कराने के संदर्भ में किया गया है. एकसाथ विभिन्न राज्यों की 6 बीज उत्पादक कंपनियों के साथ समझौता करना किस्म की गुणवत्ता को दर्शाता है.
इस अवसर पर कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने बताया कि प्रताप संकर मक्का-6 का उत्पादन 62 क्विंटल से 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है और विशेष अनुकूल परिस्थितियों में इस से भी अधिक उपज प्राप्त होती है.
उन्होंने आगे कहा कि प्रताप संकर मक्का-6 की यह किस्म दाने के साथ चारे के रूप में भी उपयोग होता है. साथ ही, उन्होंने अवगत कराया कि विश्वविद्यालय बीज उत्पादन कंपनियों को प्रताप संकर मक्का-6 की पैतृक पंक्ति का बीज 40 हजार रुपए प्रति क्विंटल उपलब्ध करवाएगी एवं इस के एवज में कंपनियां विश्वविद्यालय को 2.5 लाख रुपए मय 4 फीसदी रायल्टी का भुगतान करेगी. यह राशि तुलनात्मक दृष्टि से काफी कम रखी गई है, जिस से कि इस का सीधा लाभ किसानों को मिल सके, क्योंकि कंपनियां इसी प्रजनक बीज से आधार बीज बनाएगी, उस के बाद प्रमाणित बीज बना कर किसानों को उपलब्ध कराती है.
कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि मक्का का उपयोग इन दिनों काफी बढ़ गया है. इस का उपयोग मुरगीपालन उद्योग, स्ट्रार्च उत्पादन एवं इथेनोल बनाने के लिए किया जाता है. इथेनोल का उपयोग पैट्रोल व डीजल के साथ मिश्रित कर ग्रीन ईंधन के रूप में किया जा रहा है, जो कि पर्यावरण के अनुकूल है. इसे हम भविष्य के ईंधन के रूप में भी देखते हैं.
अनुसंधान निदेशक, डा. अरविंद वर्मा ने बताया कि मक्का की किस्म प्रताप संकर मक्का-6 का राष्ट्रभर में 22 केंद्रों पर परीक्षण किया गया, जहां इस किस्म ने अपनी श्रेष्ठता सिद्ध की है. इस किस्म का अनुमोदन अखिल भारतीय समन्वित मक्का अनुसंधान परियोजना की पंतनगर में हुई 66वीं बैठक में किया गया था.
यह किस्म 4 राज्य राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं गुजरात के लिए उपयुक्त पाई गई है. उन्होंने बताया कि इस किस्म के बीज उत्पादक कंपनियों के माध्यम से प्रसारण होने से यह किसानों तक शीघ्रता एवं सरलता से उपलब्ध हो सकेगी, जिस से किसान अधिक से अधिक लाभ कमा सकेंगे.
इस किस्म के वरिष्ठ प्रजनक एवं अधिष्ठाता, राजस्थान कृषि महाविद्यालय, उदयपुर के प्रोफेसर, डा. आरबी दुबे ने बताया कि प्रताप संकर मक्का-6 पीले एवं बोल्ड दाने वाली (84-85 दिन) जल्दी पकने वाली किस्म है. यह किस्म सिंचित एवं असिंचित दोनों तरह के क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है. यह किस्म तना सडन रोग, सूत्रकृमि और तना छेदक कीट के प्रति रोगरोधी है. फसल पकने के बाद भी इस का पौधा हरा रहता है, जिस से उच्च गुणवत्ता का साइलेज बनता है.
इस कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिकारी परिषद के सदस्य, क्षेत्रीय निदेशक अनुसंधान, उदयपुर एवं सहनिदेशक बीज एवं फार्म उपस्थित रहे.