हैदराबाद: 18 जुलाई, 2023. नाबार्ड के अध्यक्ष शाजी केवी ने भाकृअनुप-राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी, हैदराबाद में कृषि अनुसंधान सेवा के लिए 113वें फाउंडेशन कोर्स का उद्घाटन किया. फाउंडेशन कोर्स में 21 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों से कृषि और संबद्ध विज्ञान विषयों के 32 एआरएस विषयों का प्रतिनिधित्व करने वाले 69 वैज्ञानिक परिवीक्षार्थियों का नामांकन हुआ.
परिवीक्षाधीनों को अगले 3 महीनों के लिए 3 चरणों में फाउंडेशन प्रशिक्षण से गुजरना होगा. इस में 27 महिला और 42 पुरुष परिवीक्षाधीन थे.
शाजी केवी ने अपने उद्घाटन संबोधन में जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दों पर काबू पाने के लिए स्थायी दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने अनुसंधान और विकास में अधिक व्यय करने के महत्व पर भी जोर दिया और वैश्विक स्थिरता के प्रति हमारे देश की प्रतिबद्धता पर भी प्रकाश डाला.
उन्होंने आगे कहा कि हमारे देश को उत्पादन और उत्पादकता के मौजूदा स्तर को बनाए रखना चाहिए और फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने की दिशा में काम करना चाहिए.
सम्मानित अतिथि प्रो. अप्पा राव पोडिले, पूर्व कुलपति, हैदराबाद विश्वविद्यालय ने युवा परिवीक्षार्थियों से वन हेल्थ अवधारणा पर काम करने का आग्रह किया यानी मिट्टी, पौधे और पशु स्वास्थ्य को बनाए रखना.
उन्होंने बताया कि 30-40 फीसदी फसल जैविक रूप से सूक्ष्मजीवों से प्रभावित होती है और जीन संपादन सामान्य रूप से फसल उत्पादन और विशेष रूप से उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए आधुनिक तंत्र है.
सभी वैज्ञानिक प्रशिक्षुओं ने देश के साथसाथ भारत के संविधान की सेवा के प्रति निष्ठा की शपथ ली.
भाकृअनुप-एनएएआरएम के निदेशक, डा. चिरुकमल्ली श्रीनिवास राव ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में युवा वैज्ञानिकों की बदलती जरूरतों के अनुसार नवाचारों, जैसे- युवा वैज्ञानिकों के साथ इंटरैक्टिव सत्र, महिला निदेशकों की बातचीत और अकादमी उद्योग इंटरफेस एवं 113वें एफओसीएआरएस में वैज्ञानिक परिवीक्षार्थियों के साथ स्टार्टअप बातचीत का उल्लेख किया.
उन्होंने एफओसीएआरएस प्रशिक्षण कार्यक्रम के 3 चरणों का भी उल्लेख किया. पहला चरण अभिविन्यास एवं क्षमता निर्माण पर केंद्रित है, जबकि दूसरा और तीसरा चरण क्रमशः फील्ड अनुभवात्मक प्रशिक्षण (एफईटी) एवं बहुविषयक परिप्रेक्ष्य पर केंद्रित है.
नार्म के संयुक्त निदेशक डा. जी. वेंकटेश्वरलू ने नाबार्ड और नार्म के बीच संस्थागत सहयोग पर प्रकाश डाला.
डा. एनए विजय अविनाशिलिंगम, डा. बीएस यशवंत और डा. बीएस सोंतक्के पाठ्यक्रम निदेशक थे.