नई दिल्ली : 3 मई 2023. कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि भविष्य की जरूरतों व चुनौतियों को देखते हुए जरूरी है कि कृषि क्षेत्र में तकनीक को समर्थन मिले. जैसेजैसे टैक्नोलौजी बढ़ेगी, खेती में काम करना आसान होगा, मेहनत कम होगी व ज्यादा मुनाफे की स्थिति बन सकेगी. इस से आने वाली पीढ़ियों का भी खेती के प्रति रुझान बढ़ेगा, इस के लिए भारत सरकार ने कई योजनाएं बनाई हैं..
उन्होंने यह बात खरीफ अभियान-2023 के लिए पूसा, नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि कही.
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने यह भी कहा कि खेती राज्यों का विषय है, वहीं केंद्र सरकार फंड का इंतजाम कर सकती है, योजनाएं बना सकती है और बनी योजनाओं को ले कर उन के साथ कंधे से कंधा मिला कर काम कर सकती है, लेकिन परिणाम तभी आएगा, जब राज्यों की गति बढ़ेगी, राज्य अनेक प्रकार के नवाचार करने के साथ ही कृषि के समक्ष चुनौतियों का समयसमय पर समाधान करेंगे.
उन्होंने आगे कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के साथ मिल कर काम करने की वजह से हम खाद्यान्न, दलहनतिलहन के उत्पादन, उद्यानिकी, निर्यात सहित तमाम सैक्टरों में आज बेहतर और अच्छी हालत में खड़े हैं. आज जरूरत इस बात की है कि खेती मुनाफे की गारंटी दें. अगर ऐसा नहीं होगा तो आने वाली पीढ़ियां खेती के क्षेत्र में काम करने नहीं आएंगी और देश के सामने यह बड़ी चुनौती होगी, इसलिए जरूरी है कि खेती में ज्यादा से ज्यादा तकनीक का इस्तेमाल के साथ ही समर्थन भी बढ़े, केंद्र सरकार इस दिशा में लगातार प्रयासरत है.
वैसे, अनेक योजनाओं के माध्यम से नई तकनीकें किसानों तक पहुंचाई जा रही हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों को ऐसी स्कीम बनाना चाहिए, जिन से क्रमबद्ध तरीके से पूरे राज्य में तकनीक पहुंच सकें. इस के साथ ही अनुसंधान की भी जरूरत है.
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने चिंता जताई कि वर्ष 2050 तक की चुनौती हम सब के सामने है, जब हमारी आबादी बढ़ेगी. दूसरा, आज भारत जिस राजनीतिक परिदृश्य पर खड़ा है, उस में हमारी जिम्मेदारी अपने देश की जनता के प्रति तो है ही, लेकिन दुनिया के बहुत से देश जो हम से अपेक्षा करते हैं, उन अपेक्षाओं को पूरी करने की जिम्मेदारी भी है. इसलिए चाहे फोर्टिफाइड फसलों का सवाल हो, उत्पादकता बढ़ाने या जलवायु परिवर्तन के दौर में उच्च ताप को सहन करने की शक्ति वाले बीजों की प्रचुरता का मामला हो, इन सब विषयों पर हमें एकसाथ काम करने की जरूरत है. भारत सरकार इस दिशा में चिंतित भी है और गंभीर भी.
उन्होंने बताया कि पहले उर्वरक की उपलब्धता को ले कर विसंगतियों के कारण कई तरह की कठिनाइयां होती थीं. जब यूरिया की जरूरत होती थी, तो यूरिया की उपलब्धता नहीं होती थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृढ़ संकल्प के परिणामस्वरूप केंद्र सरकार ने इस दिशा में राज्य सरकारों के साथ मिल कर कई ठोस कदम उठाए. यही वजह है कि पिछले 7-8 सालों में इस तरह की विपरीत परिस्थितियां नहीं बनीं व व्यवस्थाएं ठीक प्रकार से चलती रही हैं.
उन्होंने आगे बताया कि आज लगभग ढाई लाख करोड़ रुपए की सब्सिडी फर्टिलाइजर में जा रही है, इस पर विचार करने की जरूरत है. अगर यह सब्सिडी बचेगी तो कृषि सहित अन्य क्षेत्रों के विकास में यह पैसा काम आएगा. इस नजरिए से पीएम प्रणाम जैसी योजनाएं सरकार संचालित कर रही है, जिस से राज्य इस दिशा में प्रेरित हों. वर्तमान में नैनो यूरिया, नैनो डीएपी भी आ गया है. इस की पर्याप्त उपलब्धता है व उपयोग भी हो रहा है. वहीं दूसरी ओर और्गेनिक व नैचुरल फार्मिंग का रकबा भी बढ़ रहा है, ऐसे में खाद की कोई कमी नहीं रहेगी.
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि वर्तमान में अच्छे बीजों की उपलब्धता, सिंचाई के साधन, बिजली की उपलब्धता आदि की वजह से अच्छे उत्पादन को देख कर खुशी होती है, वहीं अब कृषि का डाटा तैयार करने की दिशा में भी कदम बढ़ाते हुए भारत सरकार डिजिटल एग्री मिशन पर काम कर रही है, एग्रीस्टैक बनाया जा रहा है, ताकि राज्य और केंद्र सरकार एग्रीस्टैक के माध्यम से हर खेत को अपनी नजर से देख सकें. कौन से खेत में कौन सी फसल हो रही है, कहां ज्यादा है, कहां कम. कहां बरबादी है, कहां फायदा, इस का अवलोकन कर सकेंगे. इस के आधार पर किसानों को सलाह दी जा सकेगी कि इस बार किस हिस्से में खेती करना मुनाफे का सौदा है, कहां नहीं. दूसरा फायदा यह होगा कि अगर किसानों का नुकसान होगा, तो एग्रीस्टैक का इस्तेमाल कर के प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के माध्यम से नुकसान का आकलन कर क्लेम राशि शीघ्र ही उस के खाते में पहुंच जाएगी.
उर्वरक व पानी का अपव्यय रोकने के लिए भी तकनीक की आवश्यकता है. इस में राज्य महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, तभी हम अपना लक्ष्य हासिल कर सकते हैं. जिस तरह से हम उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, राज्यों के स्तर पर विद्यमान विषयों पर भी समयसमय पर विचार किया जाना चाहिए. अगर राज्यों की तरफ से केंद्र के लिए कोई सुझाव आएंगे, तो उन का केंद्र सरकार स्वागत करेगी. हम सब का एक ही लक्ष्य है और उस की पूर्ति के लिए हम एकदूसरे के सुझावों के साथ आगे बढ़ेंगे, तो देश का ज्यादा भला कर सकेंगे एवं किसानों की उन्नति कर सकेंगे.
सम्मेलन में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि हमें इस तरह से काम करना चाहिए कि जब हमारी आजादी के 100 वर्ष पूरे हों, तो भारत विकसित राष्ट्र बनने के साथ ही कृषि क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बन सके. नि:शुल्क बीज मिनी किट वितरण में राज्यों को और काम करने की जरूरत है, ताकि अधिक से अधिक किसानों को इस का लाभ मिल सके.
अरुण बरोका, सचिव (उर्वरक) ने कहा कि खरीफ सीजन के लिए देश में पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध है. वहीं, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव मनोज अहूजा ने केंद्र की योजनाओं के सुचारु संचालन में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से सहयोग का आग्रह किया. डेयर के सचिव व आईसीएआर के महानिदेशक हिमांशु पाठक ने जलवायु अनुकूल किस्मों का अधिकाधिक लाभ किसानों तक पहुंचाने का आग्रह किया.
इस मौके पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि मैपर एप लौंच किया. इस से कृषि क्षेत्र की गतिविधियों को सैटेलाइट के माध्यम से मौनीटर किया जा सकेगा. भूमि के किस हिस्से में, कौन सी खेती की जा रही है, इस की जानकारी मिलेगी. एकत्रित डाटा के माध्यम से किसानों को जरूरी सलाह दी जा सकेगी.