नई दिल्ली: पिछले दिनों कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के राष्ट्रीय वर्षा सिंचित क्षेत्र प्राधिकरण (एनआरएए), नई दिल्ली में ‘जलवायु अनुकूल वर्षा सिंचित कृषि (सीआरआरए)’ पर राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अपर सचिव और सीईओ (एनआरएए) फैज अहमद किदवई ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के उपमहानिदेशक (एनआरएम) डा. एसके चौधरी, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के संयुक्त सचिव (वर्षा आधारित कृषि प्रणाली) फ्रैंकलिन एल. खोबंग और राष्ट्रीय वर्षा सिंचित क्षेत्र प्राधिकरण के तकनीकी विशेषज्ञ (जल प्रबंधन) बी. रथ की उपस्थिति में इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया.

फैज अहमद किदवई ने ऐसे नीतिगत सुधारों का आह्वान किया, जो वर्षा सिंचित क्षेत्रों में भूमिहीन, छोटे और सीमांत किसानों के विकास को प्राथमिकता देते हैं. वर्षा सिंचित क्षेत्र चरम जलवायु घटनाओं के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, इसलिए उन्होंने वर्षा सिंचित कृषि में जलवायु लचीलापन बनाने के लिए कुछ नवाचारी और प्रौद्योगिकी संचालित कृषि पद्धतियों पर बल दिया.

उन्होंने आरएडी योजना की क्षमता पर भी प्रकाश डाला, जिसे जलवायु अनुकूल वर्षा सिंचित कृषि (सीआरआरए) की ओर संक्रमण के लिए ‘राष्ट्रीय कृषि विकास योजना’ (आरकेवीवाई) के एकीकृत दृष्टिकोण के तहत एक घटक के रूप में लागू किया जा रहा है.

इस के अलावा उन्होंने अधिकतम संसाधन उपयोग सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न विकास कार्यक्रमों के साथ आरएडी योजना के प्रभावी अभिसरण का आह्वान किया. कार्यशाला ने राज्य और केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों, कृषि विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं को जलवायु लचीलापन दृष्टिकोण अपना कर वर्षा सिंचित क्षेत्रों में फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए नवाचारी रणनीतियों और प्रौद्योगिकियों पर चर्चा करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया.

डा. एसके चौधरी ने कृषि और संबद्ध क्षेत्रों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को रेखांकित किया. उन्होंने एकीकृत दृष्टिकोण के माध्यम से विभिन्न कृषि इकोसिस्‍टम में वितरित वर्षा सिंचित क्षेत्रों के समावेशी विकास के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने आईसीएआर-एनआईसीआरए योजना के अनुभव को भी साझा किया, जिसे अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार के स्तंभों पर जलवायु परिवर्तन के सभी आयामों के लिए देश में लागू किया जा रहा है. उन्होंने ब्लौक स्तरीय जोखिम मूल्यांकन एटलस और सीआरआरए पर क्षेत्र के कार्यकर्ताओं को व्यावहारिक प्रशिक्षण देने पर भी बल दिया.

कार्यशाला के तकनीकी सत्रों में वर्षा सिंचित क्षेत्रों में एकीकृत कृषि प्रणाली (आईएफएस) और पशुधन व प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन की जटिलताओं पर फोकस किया गया. जलवायु अनुकूल वर्षा सिंचित कृषि के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई, जिस में परिदृश्‍य आधारित एकीकृत कृषि प्रणाली, वाटरशेड विकास, डिजिटल पूर्वानुमान तकनीक, चरागाह मार्गों का पुनरुद्धार और देश में स्थायी कृषि को बढ़ाने के लिए आर्थिक साक्ष्य तैयार करना शामिल है.

कार्यशाला में आरएडी योजना के लिए अद्यतन परिचालन दिशानिर्देशों और प्रमुख कार्यान्वयन चुनौतियों पर भी गंभीरता से चर्चा की गई. इस का समापन वर्षा सिंचित क्षेत्रों में जलवायु के अनुकूल और स्थिरता बढ़ाने के लिए दूरदर्शी दृष्टिकोणों के साथ हुआ. प्रतिभागियों ने कृषि क्षेत्र में क्रांति लाने और देशभर के किसानों के लिए आजीविका सुरक्षा में सुधार के लिए प्रस्तावित रणनीतियों की क्षमता के बारे में आशा व्यक्त की.

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